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रिलायंस का दावा- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से कोई लेना देना नहीं, हम किसानों से कोई खरीद नहीं करते

नई दिल्ली: दिल्ली बॉर्डर पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के बीच रिलांयस के प्रोडक्ट्स का विरोध किया जा रहा है. जियो के मोबाइल टॉवर को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. अब रिलायंस की ओर से बयान जारी किया गया है. कंपनी ने कहा है कि तीनों कृषि कानूनों से उसका कोई लेना-देना नहीं है और यह तीनों कानून कंपनी को किसी भी तरह से फायदा नहीं पहुंचाते हैं. कंपनी ने साफ किया है कि भविष्य में भी ऐसा कोई इरादा कंपनी का नहीं है. वह सीधे तौर पर किसानों से कोई खरीद नहीं करती है.

रिलायंस ने अपने बयान में कहा, कंपनी ने कभी भी कॉरपोरेट या कॉन्ट्रैक्ट खेती नहीं की है और ना ही कंपनी का भविष्य में इस व्यापार में उतरने का कोई इरादा है. कंपनी ने पंजाब हरियाणा या फिर भारत में कहीं भी कॉरपोरेट या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए कोई जमीन नहीं खरीदी है.

कंपनी ने कहा, रिलायंस ने कभी भी किसानों से खरीद को लेकर कोई भी लंबी अवधि का कॉन्ट्रैक्ट नहीं किया है. रिलायंस अपने सप्लायर से भी एमएसपी पर ही खरीद करने को बढ़ावा देने की पक्षधर है. कंपनी देश के अन्नदाता ओं का सम्मान करती है. किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम मिले. इस आईडिया को कंपनी पूरी तरह से समर्थन करती है.

दरअसल, किसान आंदोलन के बीच पंजाब के अलग-अलग इलाकों से जियो के मोबाइल टावरों के बिजली कनेक्शन काटने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं. दावा किया जा रहा है कि किसान इस तरह नए कानूनों के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. हालांकि किसान संगठनों से इस तरह के नुकसान पहुंचाने वाली घटनाओं का समर्थन नहीं किया है.

वहीं जियो की ओर से यह आरोप लगाया गया था कि भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के चैनल भागीदारों द्वारा किसानों के विरोध प्रदर्शन की आड़ में उसके टावरों के साथ तोड़फोड़ करने के प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन एयरटेल ने टावरों को हाल ही में नुकसान पहुंचाए जाने के मामले में रिलायंस जियो के आरोपों को बेबुनियाद बताया है. दूरसंचार विभाग के सचिव अंशु प्रकाश को लिखे एक पत्र में एयरटेल ने प्रतिस्पर्धी कंपनी रिलायंस जियो के आरोपों को बेबुनियाद व बेतुका करार दिया है.

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