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संयम और संस्कार सुदृढ़ जीवन के आधारः सुयश शुक्ल

विवेकानंद जयंती पर वेबीनार का आयोजन, अध्यात्म से समाज सुधार और उन्नति पर जोर

रायपुर।  जिन्दल स्टील एंड पावर लिमिटेड के महाप्रबंधक  सुयश शुक्ला ने कहा कि संयम और संस्कार ही सुदृढ़ जीवन का आधार बन सकते हैं। भारत को पुनः विश्वगुरु बनाना है तो अध्यात्म के माध्यम से समाज सुधार और उन्नति पर जोर देना होगा।

श्री शुक्ला बुधवार को  “स्वामी विवेकानंद जी के विचार प्रत्येक परिस्थिति एवं समय में समसामयिक हैं” विषय पर आयोजित वेबीनार में अपने विचार प्रकट कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से संयम और संस्कार प्राथमिक स्तर पर ही डाले जाएं तो बच्चे बड़े होकर राष्ट्र के प्रति समर्पित और निष्ठावान नागरिक बन सकते हैं। पूरी दुनिया ने तेजी से तरक्की की लेकिन अध्यात्म का अंश न होने के कारण आज पर्यावरण संकट उत्पन्न हो गया, अंधाधुंध तरक्की के कारण अनेक ऐसी बीमारियां पैदा हो गईं, जिससे मानव अस्तित्व को ही खतरा उत्पन्न हो गया। अगर शिक्षा के साथ पूरे विश्व में अध्यात्म जुड़ा होता तो ब्रह्मांड की तस्वीर अलग होती। सांस लेने के लिए स्वच्छ वायु और पीने के लिए स्वच्छ पानी की समस्या उत्पन्न न होती।

श्री शुक्ला ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के अनुभव से न सिर्फ भारत बल्कि पूरी मानवता को सीखना चाहिए। उन्होंने अध्यात्म को शिक्षा, साहस और संपूर्ण जीवन से जोड़ा था और उसी मार्ग पर चलकर समस्त मानवता के कल्याण की बात पर अमल कर सकते हैं। विकास की कोई भी कोशिश करने से पहले भारत में आध्यात्मिक शिक्षा की आवश्यकता है। हमारे वेद, पुराण, उपनिषद् और अन्य धार्मिक ग्रंथों में जो सत्य छिपा है, उसका अन्वेषण कर जन-सामान्य को उस मार्ग पर चलने के प्रेरित करना चाहिए। जब शास्त्र लोगों के मन में उतरेंगे तभी सार्थक विकास का मार्ग निकलेगा। उन्होंने स्कूलों में बच्चों को शुरू से ही आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करने पर भी जोर दिया।

 

 

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