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राष्ट्र की धरोहर हैं विवेकानंद जी की विचारधारा : सुयश

रामकृष्ण मिशन विवेकानंद आश्रम में “राष्ट्रीय युवा दिवस” के अवसर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुयश शुक्ल थे। स्वामी सत्यरूपा ने अध्यक्षता की। कार्यक्रम में विवेकानन्द स्कूल सेजबहार के संचालक विवेक जी भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर स्वामी स्वरूपानंद जी ने राज्य भाषा और देश की राष्ट्रभाषा पर बच्चों को शिक्षा दी। घर पर इन्हीं भाषाओं पर संवाद की सीख भी दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुयश शुक्ल ने संयम पर एक उदाहरण देते हुए कहा संयम को कुंए में उपयोग की जाने वाली बाल्टी से भलीभांति समझा जा सकता है जैसे कुएं में प्रयोग की जाने वाली बाल्टी जब पानी तक पहुंचती है तब भी पानी स्वयं उठकर बाल्टी में नहीं आता।

बाल्टी को ही झुकना होता है, पानी उस बाल्टी में स्वयं में भरने के लिए नहीं आता। इसी तरह का एक अवसर का उन्होंने और जिक्र किया जब एक ब्रिटिश महिला ने स्वामी विवेकानंद जी को विवाह का प्रस्ताव दिया दृष्टिकोण से कि वह स्वामी जी के जैसा ही एक पुत्र प्राप्त कर सकें संदर्भ में स्वामी विवेकानंद जी ने उन्हें माता का संबोधन देकर और स्वयं को उनका पुत्र बता कर वह अवसर प्रतीक्षारत नहीं अभी ही आपको प्राप्त है यह कह कर उस महिला का सम्मान बढ़ाया।

शिकागो में व्याख्यान प्रस्तुत करते वक्त विद्वत जन मंचासीन थे एवं लगभग 7000 व्यक्ति उस हॉल में उपस्थित इस अवसर पर उन्होंने अपने भाषण के पहले वाक्य से ही ऐसा वातावरण निर्मित करने में सफल हुए जिससे लोग लगातार तालियां बजाने को मजबूर हो गए। इसी करतल ध्वनि ने स्वामी विवेकानंद जी का आत्मविश्वास बढ़ाया और वही भाषण आज भी हमारे लिए अविस्मरणीय है। यही भाषण है, जिसकी वर्षगांठ भी मनाई जाती है। कार्यक्रम में युवाओं ने गीत की प्रस्तुति दी। सभी उपस्थित युवा कार्यक्रम में स्वस्फूर्त जोश से ओत प्रोत दिखाई दिए। कार्यक्रम की समाप्ति पर प्रसाद वितरण किया गया।

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