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पत्रकारिता विश्वविद्यालय के आनलाइन उन्मुखीकरण कार्यक्रम का शुभारंभ नई राह दिखाई है छत्तीसगढ़ ने आंचलिक पत्रकारिता को – प्रो. बल्देव भाई शर्मा

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के नवप्रवेशित विद्यार्थियों के उन्मुखीकरण कार्यक्रम का शुक्रवार को  शुभारंभ करते  कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा ने  कहा कि छत्तीसगढ़ ने आंचलिक पत्रकारिता को नई राह दिखाई है। यहां का आंचलिक परिवेश विविधताओं, रचनात्मकता और विकासशीलता से भरा  है। उन्होंने कहा कि आज आंचलिक पत्रकारिता के सामने कई चुनौतियां हैं पर उसमें संभावनाएं भी बहुत हैं। उनसे सीख लेकर पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए तरक्की कई नए रास्ते खुलेंगे। 

कुलपति प्रो.शर्मा ने हिन्दी पत्रकारिता का बीजारोपण करने वाले पत्र उदंत मार्तंड का उल्लेख करते कहा कि पत्रकारिता सामाजिक जिम्मेदारी का काम है। इसके लिए विद्यार्थी पाठ्यक्रम की पढ़ाई के साथ व्यावहारिक ज्ञान भी प्राप्त कर सुयोग्य बनें। पत्रकारिता विश्वविद्यालय इसी ओर प्रयासरत है। उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन इसी का उपक्रम है। आज पत्रकारिता में तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका है,  परन्तु विद्यार्थियों की पढ़ाई तभी सार्थक होगी, जब उनमें व्यावहारिक समझ भी विकसित होगी।

अपने उद्बोधन में विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ पत्रकार  रवि भोई ने कहा कि आंचलिक पत्रकारिता को पहले काफी सम्मान मिलता था। बहुत से पत्रकार काफी उंचाई तक गए पर जैसे- जैसे समाचारपत्रों, न्यूज चैनलों का व्यावसायीकरण हुआ, आंचलिक पत्रकारिता का स्वरूप बदलता रहा। पहले एक समर्पण की भावना होती थी। पहले लोग रीजनल न्यूज पेपर से बड़ी आशा करते थे। श्री भोई ने कहा कि रीजनल न्यूज पेपर कम संसाधनों में चलते हैं। उत्पादन लागत बहुत ज्यादा आती है। पर आदर- सम्मान आंचलिक पत्रकार का ज्यादा होता है। क्षेत्रीय पत्रकारिता को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि अंचल की खबरों को ज्यादा महत्व मिलना चाहिए। समाचारों की संभावनाओं पर उन्होंने कहा कि रीजनल स्तर पर हर तरफ न्यूज है। विश्वसनीयता पर भी ध्यान देना है। इसलिए मुख्य मीडिया के आंचलिक पत्रकारों पर ज्यादा जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जीवन में चुनौतियां तो आती हैं पर संभावनाएं खत्म नहीं होती।

विशिष्ट वक्ता नवभारत के संपादक  राजेश जोशी ने कहा कि आंचलिक पत्रकारिता में बहुत संभावनाएं हैं। समाचार के रूप में जो नयापन पाठकों को चाहिए वह महानगर में नहीं है। चुनौतियां भी बहुत हैं। नव प्रवेशित विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी में नालेज की कमी नहीं है। उन्हें बस दिशा देने की जरूरत होती है। अब विशेषीकृत पत्रकारिता का समय है। राज्य में पर्यटन को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है, जनजाजीय क्षेत्रों में बहुत से उद्योग आ रहे हैं, महिला स्व सहायता समूह के कार्य, वनोपज, बस्तर में काजू की प्रोसेसिंग, कांकेर में सीताफल उत्पादन, इमली का वितरण जैसे क्षेत्र हैं जहां से समाचार बनाए जा सकते हैं। बस्तर का दशहरा प्रबंधन का बहुत बड़ा उदाहरण है।सभी को अपने कार्य की जानकारी रहती है। ग्रामीण इलाकों में समाचारों की बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे देखते और प्रस्तुत करते हैं। विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि आप जितना पढ़ सकें उतना पढ़ें, मोबाइल जर्नलिज्म, यू-ट्यूब और वेबसाइट की वजह से प्लेटफार्म बहुत ज्यादा उपलब्ध हैं।

विशिष्ट वक्ता आकाशवाणी के समाचार संपादक  विकल्प शुक्ला ने कहा कि आंचलिक पत्रकारिता की चुनौतियां तो पहले से ही चली आ रही हैं। जब हमने पत्रकारिता की शुरुआत की तब समाचारपत्रों में नए पत्रकारों की शुरुआत रीजनल न्यूज डेस्क से होती थी। आंचलिक डेस्क पर ज्यादा संपादन करना होता था। यदि आंचलिक स्तर पर प्रशिक्षित लोग होंगे तो बेहतर खबरें आएंगी। वहां अच्छे लोग भी होते हैं। विकास समाचार भी आने चाहिए।श्री  शुक्ला ने कहा कि समाज को जागरुक बनाने में आंचलिक पत्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आंचलिक पत्रकार जमीन से जुड़े रहते हैं और जनता की नब्ज पहचानते हैं। जरूरत है उन्हें कुछ प्रशिक्षित करने की। मीडिया संस्थान एवं मीडिया शिक्षा के संस्थानों को पहले नवोदित पत्रकारों को जिस जगह से आए हैं वहां कुछ दिन काम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इससे वे अपने क्षेत्र की ज्यादा अच्छे से सेवा कर सकते हैं। उसके बाद नगरों में आना चाहिए। अपने आकाशवाणी के समाचार कार्यक्रम के संबंध में उन्होंने का कि एक बुलेटिन में 30 प्रतिशत समाचार आंचलिक होते हैं जिनमें कम से कम एक विकास का प्रेरणादायी समाचार जरूर रहता है। श्री शुक्ला ने कहा कि रेडियो का प्रभाव ग्रामीण व अर्ध शहरी क्षेत्रों में ज्यादा है। प्रसार भारती का ध्येय सूचना, शिक्षा व मनोरंजन है। व्यक्ति को सूचित करने के साथ शिक्षित व जागरुक भी करना होता है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में विश्वविद्यालय के उन्मुखीकरण कार्यक्रम के संयोजक एसोसिएट प्रोफेसर  शैलेन्द्र खंडेलवाल ने चार दिवसीय आनलाइन उन्मुखीकरण कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैश्विक महामारी की वजह से सीधे नहीं मिल पा रहे हैं। इसलिए इस आन लाइन कार्यक्रम के माध्यम से विषय के संबंध में व्यावहारिक जानकारी प्राप्त होगी। तत्पश्चात पत्रकारिता के विभाग के अध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर  पंकज नयन पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत किया तथा विषय प्रवर्तन करते हुए उन्होंने कहा कि समाचारपत्रों का प्रसार देश के अंदरूनी हिस्सों में बढ़ रहा है। इसलिए आंचलिक पत्रकारिता को जानना- समझना अच्छा अनुभव रहेगा।

अंत में आभार प्रदर्शन करते हुए  कुलसचिव डा. आनंद शंकर बहादुर ने कहा कि आंचलिक पत्रकारिता के माध्यम से भाषा और संस्कृति, लोक कलाएं एवं लोक व्यवहार के विषय भी सामने आते हैं। कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता विभाग के डा. नृपेन्द्र कुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डा. आशुतोष मंडावी, डा. नरेन्द्र त्रिपाठी, डा, राजेन्द्र मोहंती, उप कुलसचिव डा. ऋषि दुबे, संबद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, नव प्रवेशित एवं अध्ययनरत विद्यार्थी शामिल थे। इस आनलाइन कार्यक्रम का प्रसारण यू ट्यूब पर भी लाइव किया गया।

उन्मुखीकरण कार्यक्रम की श्रंखला में 16 जनवरी को दोपहर 12.30 बजे से इलेक्ट्रानिक मीडिया विभाग की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। तत्पश्चात 18 जनवरी को प्रबंधन एवं 20 जनवरी को विज्ञापन व जनसंपर्क विभाग के कार्यक्रम होंगे।

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