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कुसमी इलाके के लोगों की उम्मीदों पर मुहर,दो बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को मुख्यमंत्री ने दी मंजूरी

बलरामपुर। सालों पहले नक्सलवाद की चपेट में रहा बलरामपुर जिले के कुसमी इलाके के लोगों की उम्मीदों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुहर लगाई है। मुख्यमंत्री ने लोगों की पीड़ा को अहसास करके कुसमी इलाके में एक साथ दो बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को तत्काल मंजूरी दे दी। 70 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली योजनाएं हैं लावा और भूमका। दोनों सिंचाई परियोजना के बन जाने से इलाके के लोगों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा , साथ में किसानों की फसलें भी लहलहायेंगी। यह संभव हो पाया क्षेत्रीय विधायक और संसदीय सचिव चिंतामणी महाराज के प्रयासों से। नक्सलवाद की मार झेल चुका यह इलाका विकास से अब भी कोसों दूर हैं। विधायक चिंतामणि इलाके की दिशा और दशा बदलने में जी-जान से जुटे हैं तो बलरामपुर कलेक्टर विजय दयाराम के.भी इलाके के विकास में विधायक जी के साथ कदम पर कदम मिला रहे हैं।

दोनों परियोजनाओं का काम जून 23 से शुरू हो जाएगा। इन योजनाओंं से एक हजार किसानों को 24 सौ हेक्टेयर एरिया में सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। कुसमी विकासखंड में सिंचाई सिर्फ 9 प्रतिशत है। इन योजनाओं के निर्माण से 12 प्रतिशत हो जाएगी। सिंचाई रकबा दो गुनी करने के मुख्यमंत्री के लक्ष्य के मुताबिक यह काम हो रहा है। खास बात है कि दाेनों नाले में बारहों महीने तक लबालब पानी रहता है। लावा जलाशय कुसमी क्षेत्र में लावा नदी पर प्रस्तावित है। 400 किसानों को 1100 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलेगी। लावा से 5 गांव भवानीपुर, गोपीनगर, गोविंदपुर, लवकुशपुर, नीलकंठपुर सीधे लाभान्वित होंगे। भूमका से 1300 हेक्टेयर में सिंचाई की जा सकेगी। भूमका व्यपवर्तन योजना विकासखंड कुसमी के चांदों क्षेत्र में निर्मित होगी। इस योजना से 6 गांव चुरुंदा, कंदरी, शाहपुर, धनजी, चांदों, खजुरियाडीह लाभान्वतित होंगे। इस पर 30 करोड़ खर्च होंगे। 500 कृषकों को लाभ मिलेगा। इस इलाके में 75 प्रतिशत आदिवासी एवम 10 प्रतिशत मुस्लिम अल्पसंख्यक निवास करते हैं। जल संसाधन विभाग बलरामपुर के कार्यपालन अभियंता वेदप्रकाश पांडेय ने बताया कि दोनों सिंचाई योजनाएं दो साल में बनकर तैयार हो जाएंगी और किसानों को पानी मिलने लगेगा। क्षेत्र के लिए यह बड़ी योजना है। किसानों को व्यापक लाभ मिलेगा।

मिर्च और टमाटर की खेती के लिए कुसमी का इलाका अनुकूल
कुसमी में पारंपरिक खेती के अलावा मिर्च व टमाटर की व्यवसायिक खेती होती है। यह सिंचाई की सुविधा पर निर्भर है। यहां के मिर्च की श्रीलंका तक मांग है। नई योजनाओं से मिर्च व टमाटर की खेती का रकबा बढ़ेगा। वहीं सिंचाई के अभाव में जो किसान दूसरे के खेतों में मजदूरी करते हैं या फिर धान की खेती के बाद बाहर मजदूरी के लिए जाते हैं, अब अपने खेत में काम कर सकेंगे।

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