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कोरोना वैक्सीन को लेकर बना हुआ है संदेह, टारगेट पूरा करना बड़ी चुनौती

कोरोना वैक्सीन को लेकर अभी भी कई लोगों के मन में संदेह बना हुआ है। जिसके चलते देश भर के कई अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में वैक्सीन लगाने को लेकर तय किए गए टारगेट पूरे नहीं हो पाए हैं. नाम रजिस्टर्ड होने के बावजूद कई स्वास्थ्यकर्मी वैक्सीन लगवाने के लिए टीकाकरण केंद्र नहीं पहुंच रहे हैं.

हैदराबाद में कुछ डॉक्टरों ने अपने आला अधिकारियों को पत्र लिखकर वैक्सीन लगाने से मना कर दिया. डॉक्टरों ने कहा कि वे वैक्सीन लगवाने के लिए इसके अन्य विकल्पों के आने का इंतजार करेंगे. वैक्सीन लगवाने के बाद AEFI (एडवर्स इवेंट्स फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन) यानी साइड इफेक्ट के कुछ मामले आने की वजह से लोग संकोच कर रहे हैं. ओस्मानिया जनरल हॉस्पिटल के एक वरिष्ठ डॉक्टर के अनुसार, “अगर मैं अभी वैक्सीन लगवा लेता हुं तो मैं भविष्य में जल्द ही दोबारा वैक्सीन नहीं ले पाउंगा, वो भी तब जब इसके बेहतर विकल्प आने की सम्भावना है.” ओस्मानिया जनरल हॉस्पिटल में 600 स्वास्थ्यकर्मियों के नाम  टीकाकरण के लिए रजिस्टर्ड किए गए थे लेकिन 200 से भी कम इस का लाभ लेने पहुंचे.

महाराष्ट्र के पूणे और पिंपरी छिंछवाड़ में भी स्वास्थ्यकर्मी वैक्सीन लगवाने में संकोच कर रहे हैं. स्वास्थ्य सेवाओं के उपनिदेशक संजय देशमुख ने बताया कि, वैक्सीन की कारगरता और उसके सुरक्षित होने को लेकर लोगों के मन में संदेह बना हुआ है. यही वजह है कि कई स्वास्थ्यकर्मी अभी भी वैक्सीन लगवाने के लिए आने में संकोच कर रहे हैं.

राष्ट्रव्यापी कोरोना टीकाकरण के चौथे दिन यानी मंगलवार शाम 6 बजे तक एक लाख 77 हजार 368 लाभार्थियों को टीका लगाया जा चुका था. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आखिरी रिपोर्ट के मुताबिक इसे मिलकर अब तक 6 लाख 31 हजार 417 हैल्थ केयर वर्कर्स को टीका लगा दिया गया. वहीं अब तक कुल नौ AEFI की शिकायत सामने आई हैं.

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