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कही-सुनी (23-JAN-22): यूपी चुनाव और छत्तीसगढ़

samvet srijan

(रवि भोई की कलम से)


कहते हैं यूपी में चुनाव की तारीख बढ़ने की संभावना के साथ छत्तीसगढ़ के कुछ कांग्रेसी नेताओं की दिल की धड़कने बढ़ गई है। वैसे तो तय कार्यक्रम के अनुसार पांच राज्यों में 10 मार्च तक चुनाव निपट जायेंगे, लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण से चुनाव आयोग चिंतित है। कहते हैं चुनाव आयोग पांच राज्यों के हेल्थ सेक्रेटरी से विचार-विमर्श में लगा है। पंजाब में चुनाव की तारीख आगे बढ़ चुकी है। इस कारण यूपी और दूसरे राज्यों में तारीख बढ़ने की अटकलें तो चल रही है। इन अटकलों से छत्तीसगढ़ के कुछ कांग्रेस नेताओं के प्लान पर ओस जमता नजर आ रहा है।

कहते हैं राज्य के कुछ कांग्रेसी नेता यूपी चुनाव के बाद राज्य में सत्ता में उलटफेर के अभियान में लगने वाले थे। यूपी चुनाव में लेटलतीफी का प्रभाव उनके अभियान पर पड़ने की संभावना से उनकी नींद उड़ने लगी है। कहते हैं इन नेताओं को चुनाव आयोग के कदम का बेसब्री से इंतजार है। साथ में दुआ मांग रहे हैं कि यूपी चुनाव समय पर निपटे , फिर वे अपने भविष्य संवारने में लगें।

डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी चर्चा में

राज्य की प्रमुख सचिव हेल्थ बनाए जाने के बाद 1995 बैच की आईएएस अफसर डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी एक बार फिर चर्चा में आ गईं हैं। तीन साल के भूपेश बघेल राज में ही डॉ. मनिंदर कौर कई विभागों का सफर कर चुकी हैं। कृषि उत्पादन आयुक्त से लेकर प्रमुख सचिव वाणिज्यिक, फिर ग्रामोद्योग और विज्ञान प्रौद्योगिकी के बाद अब स्वास्थ्य जैसा बड़ा महकमा मिला है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच स्वास्थ्य विभाग की कमान को बड़ी जिम्मेदारी माना जा रहा है।

आईएएस लॉबी में डॉ. मनिंदर और उनके पति गौरव द्विवेदी को स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के गुड बुक में माना जा रहा है। सिंहदेव के ही वाणिज्यिक कर विभाग में गौरव प्रमुख सचिव हैं। डॉ. मनिंदर को प्रमुख सचिव स्वास्थ्य बनाए जाने के कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। एमबीबीएस डॉ. मनिंदर की हेल्थ में पोस्टिंग के साथ ही मंत्री सिंहदेव के दोनों अहम विभाग की मुखिया महिला आईएएस बन गई हैं। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की एसीएस रेणु पिल्लै हैं।

ब्यूरोक्रेसी की हार ?

मुंगेली जिला पंचायत के सीईओ रोहित व्यास के बस्तर तबादले को लोग ब्यूरोक्रेसी की हार और जनप्रतिनिधियों की जीत मान रहे हैं। पिछले महीने यहां सीईओ और जिला पंचायत की महिला सदस्य के बीच विवाद काफी चर्चित रहा। विवाद के बाद सीईओ के पक्ष में आईएएस और दूसरे अफसर लामबंद हुए, लेकिन महिला सदस्य का कुछ नहीं बिगड़ा, उलटे सीईओ की विदाई हो गई। सरकारी मुलाजिमों का ट्रांसफर भले सामान्य प्रक्रिया हो, पर सीईओ के पक्ष में आईएएस एसोसिएशन के सामने आने के बाद भी घटना के कुछ दिनों बाद अफसर के तबादले को ब्यूरोक्रेसी के लिए झटका माना जा रहा है।

कहते हैं जिला पंचायत की महिला सदस्य बसपा से जुडी है, लेकिन वह जिला पंचायत में कांग्रेस को समर्थन दे रही है, उसकी नाराजगी से गणित गड़बड़ा जाता, ऐसे में सीईओ को ही विदा कर दिया गया। यहां ” न रहेगी बांस , तो न बजेगी बांसुरी” वाली बात हो गई।

चुनावों से भाजपा नेता दूर

पांच राज्यों के चुनाव में छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं की पूछपरख नहीं हो रही है।कहा जा रहा है छत्तीसगढ़ से सरोज पाण्डे और दीपक म्हस्के ही यूपी चुनाव में लगे हैं। सातवें चरण के चुनाव के लिए बनारस और इलाहबाद में नलनेश ठोंकने की ड्यूटी लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह और दूसरे नेताओं को अभी तक बुलावा नहीं आया है। कहते हैं आमसभा न होने से पार्टी के बड़े नेताओं को चुनावी राज्यों में नहीं बुलाया जा रहा है। कोरोना के चलते चुनाव सिस्टम में बदलाव हो गया है। न आमसभा हो रही है और न ही डोर-टू -डोर कैम्पेन हो पा रहा है, ऐसे में न तो भीड़ जुटाने की जरुरत पड़ रही है और न ही चुनावी मैनेजमेंट करना पड़ रहा है।

नियंत्रक नाप-तौल का पद खाली

सरकार ने पिछले हफ्ते कई अफसरों की पोस्टिंग बदली। कुछ जिलों में भी फेरबदल किया, लेकिन नियंत्रक नाप-तौल के पद पर किसी की पोस्टिंग नहीं की। शिखा राजपूत को अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी नियुक्त करने के बाद से यह पद खाली है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति सचिव के नाते टोपेश्वर वर्मा अस्थायी तौर से नियंत्रक नाप-तौल का कामकाज देख रहे हैं। नाप-तौल विभाग भले छोटा है और चर्चा में नहीं रहता ,लेकिन आम उपभोक्ता से जुड़ा विभाग है। पेट्रोल-डीजल और सब्जी से लेकर दूसरी चीजें लोगों को सही माप में मिले, इसकी जिम्मेदारी नाप-तौल विभाग की होती है।

उमादेवी गृह मंत्रालय में जाने वाली पहली आईएफएस

छत्तीसगढ़ कैडर की 1987 बैच के भारतीय वन सेवा की अधिकारी बी. वी. उमादेवी केंद्रीय गृह मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेटरी बनने वाली पहली आईएफएस अधिकारी हैं। भारत सरकार में 1990 बैच के आईएएस सचिव बन चुके हैं। आईएफएस होने की वजह से अतिरिक्त सचिव बनाई गईं। इसके पहले छत्तीसगढ़ कैडर के आईएफएस अधिकारी प्रशांत कुमार भारत सरकार में स्पेशल सेक्रेटरी रह चुके हैं। उमादेवी पीसीसीएफ स्तर की अधिकारी हैं और इस साल दिसंबर में रिटायर हो जाएंगी। वे अभी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेटरी थीं।उमादेवी के पति बी व्ही आर सुब्रमण्यम भारत सरकार में कॉमर्स सेक्रेटरी हैं। सुब्रमण्यम भी छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस हैं।

पीसीसीएफ बजाज बनेंगे या सुधीर

छत्तीसगढ़ वन विभाग में के. मुरुगन के रिटायरमेंट के बाद पीसीसीएफ का एक पद रिक्त है। अब 1988 बैच के आईएफएस अफसरों का पीसीसीएफ के पद पर पदोन्नति होनी है। इस बैच में वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर एस एस बजाज हैं, उसके बाद सुधीर अग्रवाल का नाम है। भूपेश सरकार ने एस एस बजाज के खिलाफ कार्रवाई की थी, ऐसे में उनका नाम कटता है तो फिर सुधीर अग्रवाल को मौका मिल जायेगा। बजाज इस साल जून में रिटायर हो जायेंगे , जबकि सुधीर अग्रवाल 2025 में रिटायर होंगे।

बिलासपुर में विकास फहराएंगे झंडा, शैलेश फिर कटे

कांग्रेस के अधिकांश विधायकों को कुछ न कुछ पद मिल रहा है,पर बिलासपुर के विधायक शैलेश पांडे ऐसे हैं, जिन्हें अब तक कुछ भी पद नहीं मिला है। यहां तक उन्हें अब तक एक बार भी झंडावंदन का मौका भी नहीं मिल पाया है। बिलासपुर में कभी मंत्री ताम्रध्वज साहू ने तो कभी जयसिंह अग्रवाल और संसदीय सचिव रश्मि सिंह ने झंडा फहराया। अबकी बार गणतंत्र दिवस के मौके पर संसदीय सचिव विकास उपाध्याय झंडावंदन करेंगे। शिक्षा के क्षेत्र से राजनीति में आए शैलेश पांडे को कांग्रेस की गुटीय राजनीति में टीएस सिंहदेव के खेमे का माना जाता है। कहते हैं शासन-प्रशासन से छतीस के आंकड़े वाले शैलेश का पत्ता बार-बार कटने से अब उन्हें बिलासपुर के जनता की सहानुभूति मिलने लगी है। छत्तीसगढ़ में रायपुर के बाद बिलासपुर बड़ा केंद्र हैं। यहां हाईकोर्ट के साथ रेलवे का जोन दफ्तर और एसईसीएल का मुख्यालय भी है।

रमन राज के चहेते भूपेश के गुड बुक में

कहा जा रहा है डॉ.रमन के शासन में चहेते एक अफसर भूपेश राज में सरकार के चहेते बन गए हैं। कांग्रेस की सरकार आने के बाद ये अफसर जरूर कुछ दिन तक लूप लाइन में रहे , पर गुण के दम पर पुराना मुकाम हासिल कर लिया। कहते हैं भाजपा सरकार में यह अधिकारी सीएजी के फंदे में फंसते-फंसते बचे। चर्चा है कि गड़बड़ी के जाल से बचने के लिए तब अफसर ने साम-दाम-दंड भेद की नीति अपनाई और बच निकले।माना जा रहा पुरानी तरकीब से अब भूपेश बघेल की सरकार में भी चांदी काट रहे हैं।


(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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