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खपत बढ़ाने के लिए नौकरीपेशा-गरीबों की मदद करे सरकार, कोरोना काल से प्रभावित रिटेल सेक्टर की वित्त मंत्री से मांग

एक फरवरी 2022 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब बजट पेश करेंगी तो उनके बजट पर सबसे ज्यादा उन सेक्टरों की निहाहें होंगी तो बीते दो सालों से कोरोना महामारी के चलते संकट से जूझते रहे हैं. रिटेल सेक्टर उन्हीं सेक्टरों में से एक है. लॉकडाउन और बंदिशें का सबसे ज्यादा खामियाजा रिटेल सेक्टर को ही उठाना पड़ा है. वो तो शुक्र हो ई-कॉमर्स का जो रिटेल सेक्टर के लिए सबसे बड़ा सहारा साबित हुआ है. लेकिन आने वाले बजट से रिटेल सेक्टर ने भी वित्त मंत्री को अपनी मांगों की फेहरिस्त सौंपी है जिससे देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले सेक्टर को राहत दी जा सके.

रिटेल सेक्टर की बजट 2022 से उम्मीदें

रिटेल सेक्टर चाहता है कि वित्त मंत्री अपने बजट में कुछ ऐसा ऐलान करें जिससे गरीबों और मध्यम वर्ग के हाथों में ज्यादा पैसा आए. रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सीईओ कुमार राजागोपालन के मुताबिक दो साल से कोरोना महामारी ने गरीबों पर सबसे ज्यादा प्रभाव डाला है. रिवर्स माइग्रेशन और लॉकडाइन के चलते लोगों की नौकरियां चली गई. बजट में ऐसी कोई भी स्कीम जिससे गरीबों की खरीद क्षमता को बढ़ाई जा सके वो स्वागत योग्य कदम होगा. इसी प्रकार नौकरीपेशा लोगों के हाथों में पैसा खर्च करने के लिए होना चाहिए जिससे वे विश्वास के साथ खर्च कर सकें. बढ़ती महंगाई चिंता का विषय है. इससे निपटने के लिए अगर लोगों के हाथों में ज्यादा पैसा छोड़ा जाता है तो इससे उनकी परेशानी कम होगी.

आधारभूत ढांचे पर बढ़े खर्च

रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी सुलभ होगी. साथ ही इसके चलते  वस्तुओं और लोगों के मूवमेंट पर असर होगा. इससे समय की बचत होगी जिसके चलते सप्लाई चेन की बर्बादी को कम किया जा सकेगा. RAI की ये भी मांग है कि ऊर्जा के नए स्त्रोत पर खर्च बढ़ाना चाहिए और रिटेलर्स को उचित कीमत पर बिजली उपलब्ध कराई जानी चाहिए.

जीएसटी लागू में सरलता 

रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया का मानना है कि कपड़े, खाने की वस्तुएं और हाउसिंग पर जीएसटी के बढ़ने का सीधा असर खपत पर पड़ेगा. जीएसटी पॉलिसी में स्थिरता स्वागत योग्य कदम होगा. कैरी फॉरवर्ड और जीएसटी रिफंड को लेकर स्पष्टीकरण देना जरुरी है. साथ ही रिटेल एसोसिएशन के तरफ से रिटेल और इंटर्नल ट्रेड को लेकर नेशनल लेवल पॉलिसी भी लाने की मांग की गई है.

रिटेल के लिए एमएसएमई समर्थन

हाल ही में रिटेल सेक्टर को एमएसएनई गाइडलाइंस के तहत प्राथमिकता उधार दिशानिर्देशों में शामिल किया गया है, इस क्षेत्र के लिए यह महत्वपूर्ण है कि एमएसएमई नीतियों के अनुसार 90% से अधिक खुदरा को वर्गीकृत किया जा सकता है और एमएसएमई को सभी समर्थन प्राप्त हो.

रिटेल सेक्टर को ECLGS सपोर्ट 

रिटेल सेक्टर को Emergency Credit Line Guarantee Scheme (ECLGS) के तहत फाइनैंस उपलब्ध कराया जाना चाहिए.  क्योंकि अधिकांश लॉकडाउन के दौरान रेस्तरां, दुकानों, सैलून आदि जैसे हाई कॉंटैक्ट वाले क्षेत्र प्रभावित हुए हैं.

डिजीटाईजेशन के लिए रिटेल सेक्टर को मिले सपोर्ट

रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक रिटेलर्स को खुद को तेजी से  डिजिटाइज करने की जरूरत है और ई-कॉमर्स को तैयार करने की जरूरत है. डिजिटलीकरण के लिए बजट में वित्तीय सहायता इस क्षेत्र को बेहतर ढंग से बढ़ावा देने में मदद कर सकती है. साथ ही डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) के माध्यम से रिटेलर्स को सक्षम करने के लिए एक दिशात्मक फोकस से  रिटेल सेक्टर को बढ़ाना मिलेगा.

एक ट्रिलियन डॉलर का होगा रिटेल सेक्टर

दरअसल रिटेल सेक्टर हर भारतवासी के दिनचर्या से जुड़ा है. देश की अर्थव्यवस्था की क्या हालत है लोग कितने संपन्न हो रहे हैं या आमदनी घट रही या बढ़ रही है इसे मापने के लिये इसी सेक्टर के जरिए परखा जाता है.  देश में हर 100 व्यक्ति के लिए एक स्टोर उपलब्ध है। रिटेल सेक्टर न केवल सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला सेक्टर है बल्कि ये ऐसा क्षेत्र है जिसमें कम शिक्षित से लेकर बड़ी डिग्री हासिल करने वाले लोग भी काम करते हैं. भारत की अर्थव्यवस्था जहां पांच ट्रिलियन डॉलर हासिल करने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है तो अकेले रिटेल सेक्टर एक ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य लेकर चल रहा.

अगर कोरोना महामारी के देश में लॉकडाउन नहीं लगा होता तो भारत का रिटेल सेक्टर एक ट्रिलियन डॉलर के कारोबार का लक्ष्य हासिल कर चुका होता. लेकिन अब 2024 तक माना जा रहा है भारतीय रिटेल सेक्टर 1.3 ट्रिलियन डॉलर का हो जाएगा. फिलहाल इस सेक्टर का ट्रेड 850 बिलियन डॉलर के आसपास है. भारत पांच ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को हासिल करेगा तो 20 फीसदी से ज्यादा उसमें हिस्सेदारी अकेले रिटेल सेक्टर की होगी.

 

 

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