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पद्मश्री से सम्मानित होने वाले छत्तीसगढ़ के नक्सलबाड़ी के अजय कुमार मंडावी कौन हैं -जानें

रायपुर।छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के अजय मंडावी को काष्ठ शिल्प कला में गोंड ट्राईबल कला से जोड़ते हुए नक्सली क्षेत्र के प्रभावित और भटके हुए लोगों को काष्ठ शिल्प कला से जोड़ते हुए क्षेत्र के 350 से ज्यादा लोगों के जीवन में बदलाव लेकर आने के साथ-साथ लकड़ी के अद्भुत कला से युवाओं को जोड़ते हुए उन्हें बंदूक छुड़ाकर छेनी उठाने के लिए प्रेरित करने जैसे कार्यों के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है।

आपको बता दें कि 75 साल के अजय कुमार मंडावी छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में निवास करते हैं बीते दिनों इनके द्वारा लकड़ी पर कलाकारी करते हुए इन्होंने बाइबल, भगवत गीता, राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान, प्रसिद्ध कवियों की रचनाएं को उकेरने का काम किया। कांकेर जिले के ग्राम गोविंदपुर के रहने वाले अजय कुमार का पूरा परिवार आज किसी न किसी कला से जुड़ा हुआ है कहीं ना कहीं उन्हें यह कला विरासत में मिली है उनके पिता आरती मंडावी मिट्टी की मूर्तियां बनाने का काम करते थे जबकि उनकी मां सरोज मंडावी पेंटिंग का काम किया करती थी इतना ही नहीं उनके भाई विजय मंडावी एक अच्छे अभिनेता व मंच संचालक भी हैं।

बता दे कि कांकेर के जेल में 200 से अधिक बंदी आज कास्ट कला में काफी हद तक पारंगत हो चुके हैं जोकि अजय कुमार मंडावी की मेहनत है। आज उस क्षेत्र के बंदी भी इस बात को मानते हैं कि यह कला नहीं बल्कि एक तपस्या है कास्ट का लाने बंदी नक्सलियों के विचारों को पूरी तरीके से बदल कर रख दिया है इसीलिए यह माना जाता है कि सभी बंदूकों की भाषा बोलने वाले आज अपनी कला से कमाई से ऐसे ऐसे अनाथ व गरीब बच्चों की मदद कर रहे हैं जो कि आज नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रहते हैं।

कांकेर जिले में एक खूंखार नक्सली चैतू का उदाहरण लेकर कई बार ऐसा बताया जाता है कि जिले की जेल में बंद खूंखार नक्सली चैतू कभी क्षेत्र क्षेत्र के जंगलों में आतंक बरपाया करता था उसने कई बेकसूर ग्रामीणों की हत्या भी की थी लेकिन 2016 में कोयलीबेड़ा के जंगल में उसे गिरफ्तार किया गया था आज चेतू कास्ट कला के जरिए देशभर में सम्मानित भी हो चुका है।

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