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कृषि मंत्री तोमर बोले- किसानों को कानून समझने की जरूरत, सरकार चर्चा से चाहती है समाधान

केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले करीब दो महीनों से दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं.  e-Conclave में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों के आंदोलन पर कहा है कि विरोध कर रहे किसानों को कानून समझने की जरूरत है. हमने किसान नेताओं को बेहतर प्रस्ताव दिया है. हम चर्चा से समाधान चाहते हैं और हिंसा कोई समाधान नहीं है. सरकार किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है.

कृषि मंत्री तोमर ने कहा, ”26 जनवरी की घटना से किसानों को भी दुख है. किसान संगठनों ने लाल किला हिंसा को लेकर माफी भी मांगी है. लेकिन फिर भी वह आंदोलन खत्म करने को राजी नहीं है. हम चाहते हैं कि किसान आगे बढ़ें और सरकार के प्रस्ताव पर बात करें. सरकार हमेशा वार्ता के लिए तैयार है. अगर किसान अपना भी कोई प्रस्ताव देते हैं तो हम तुरंत इसपर चर्चा के लिए तैयार हैं.”

लाल किला हिंसा को लेकर कृषि मंत्री ने कहा, ”हिंसा को लेकर कानून अपना काम करेगा. इस पर पंजाब सरकार या केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है. सरकार पर किसान संगठनों की ओर से जो आरोप लग रहे हैं, उनका कोई औचित्य नहीं है. जो कुछ दिल्ली में हुआ, उसको पूरे देश ने देखा है. किसी के बोल देने से किसी पर आरोप नहीं चिपक जाता. हिंसा की जांच एजेंसियां कर रही हैं, ये उनका काम है.”

विपक्ष के आरोपों पर नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ”मैं सभी विपक्षी दलों से कहना चाहता हूं कि इस आंदोलन को लेकर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए.’ उन्होंने कहा, ”विपक्षी दल अपनी राजनीतिक रोटी सेकना चाहते हैं और ये लोग किसान के कंधों पर बंदूक रखकर चला रहे हैं. कई जगह कुछ लोग किसानों को उकसा रहे हैं. लेकिन इस आंदोलन का चुनाव से कोई वास्ता नहीं है.”

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ”मैं किसानों से अपील करना चाहता हूं कि वह तुरंत आंदोलन खत्म करें और सरकार के गले लगे. मैं अभी भी आशावाद हूं कि किसान संगठन चर्चा करके सरकार के दिए प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे.”

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