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बैंकों को लगा भारी झटका, बड़ी कंपनियों ने कर्ज नहीं चुकाया तो डालने पड़े बट्टे खाते में 62 हजार करोड़ रुपये

बैंकों से भारी-भरकम कर्ज लेकर जानबूझ कर न चुकाने वाले यानी विलफुल डिफॉल्टर की संख्या बढ़ती जा रही है. इस वजह से बैंकों का घाटा भी बेतहाशा बढ़ रहा है. मार्च,2020 तक बैंकों को ऐसे विलफुल डिफॉल्टर के 62 हजार करोड़ रुपये बट्टे खाते में डालना पड़ा है. ऐसे कर्जदारों में सबसे ऊपर जतिन मेहता की कंपनी विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी है, जिस पर बैंकों का 3098 करोड़ रुपये का कर्ज है.

इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक विश्वनाथ गोस्वामी के एक आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने बताया है कि बैंकों ने मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स का 661 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डाल दिया. बैंक ने जिन कंपनियों का कर्ज बट्टे खाता में डाला है, उसमें सबसे ऊपर विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी शामिल थी, जिसके ऊपर 3098 करोड़ रुपये का कर्ज था. बासमती राइस कंपनी आरईआई एग्रो का 2,789 करोड़, केमिकल कंपनी कुदोस केमी का 1979 करोड़, कंस्ट्रक्शन फर्म जूम डेवलपर्स का 1927 करोड़ रुपये का कर्ज बैंक बट्टे खाते में डाल चुके हैं.

आरटीआई से हासिल डेटा के मुताबिक बैंक 31 मार्च, 2020 तक जानबूझ कर कर्ज न चुकाने वाले 100 बड़े कर्जदारों पर बकाया 61,949 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाल चुकी है. मार्च 2019 तक यह राशि 58,375 करोड़ रुपये थी. अब तक इन कंपनियों पर बकाये की रकम बढ़ कर 84 हजार करोड़ तक पहुंच चुकी है. आरबीआई चार साल से अधिक के एनपीए को बट्टे खाते में डालने की इजाजत देता है. इसकी वजह से अब इसका एनपीए 9.1 फीसदी से घट कर 8.2 फीसदी पर आ गया है. आरबीआई ने कहा है एनपीए में यह गिरावट कर्जदारों पर भारी बकायों को बट्टे खाते में डालने से आया है.

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