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मूडीज ने रूस की रेटिंग डाउनग्रेड करके B3 की, सॉवरेन रेटिंग ‘जंक’ होने से और बढ़ेंगी रूस की मुश्किलें

रूस पर लगातार लग रहे प्रतिबंधों के बीच वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच और मूडीज ने युद्ध में लिप्त इस देश को एक और झटका दे दिया है. फिच और मूडीज ने रूस की सॉवरेन रेटिंग को घटाकर ‘जंक’ कर दिया है. दोनों ही रेटिंग एजेंसियों का मानना है कि रूस पर लगातार लग रहे आर्थिक बैन और सेंक्शन्स के बीच इस देश के लिए अपने कर्जों को चुकाना मुश्किल होगा और ये इसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करेगा.

क्या है मूडीज का कहना

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज का कहना है कि इसने रूस के लंबी अवधि के अनसिक्योर्ड लोन की रेटिंग Baa3 से घटाकर B3 कर दी है. इसके पीछे रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए कई प्रतिबंधों का हवाला दिया गया है. इसके अलावा मूडीज ने ये भी कहा है कि इसमें आगे और डाउनग्रेड करने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि इनका रिव्यू किया जाता रहेगा.

रूस के आर्थिक बाजार धराशायी

रूस के आर्थिक बाजार और शेयर बाजार में बेहद बड़ी गिरावट देखी जा रही है क्योंकि रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद इस पर अमेरिका सहित कई देशों ने आर्थिक बैन लगा दिए हैं. इसके असर से वहां बाजारों में आ रहा निवेश भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और कई विदेश निवेशकों ने इस देश से अपना निवेश वापस लेने का फैसला लिया है.

एसएंडपी ने भी रूस की रेटिंग घटाकर ‘जंक’ की

दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूक्रेन पर हुआ मौजूदा हमले ने विश्व की जियो-पॉलिटिकल स्थितियों को बिगाड़ दिया है और रूस की इकोनॉमी पर इसका खासा असर देखा जा रहा है. बैंकों के कामकाज पर असर आ रहा है, देश में महंगाई बढ़ रही है और रूस के निर्यात संबंधी सेंक्शंस का असर इसके व्यापार घाटे पर भी देखा जा रहा है.

दरअसल अमेरिका ने धमकी दी है कि रूस पर अभी तक को बैन और प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनमें और इजाफा किया जा सकता है. रूस के एनर्जी संबंधी निर्यात पर भी रोक लगाए जाने पर विचार किया जा रहा है. अगर ऐसा होता है तो विश्व के कई देशों में इसका गहरा नकारात्मक असर देखा जाएगा.

कच्चे तेल का बड़ा निर्यातक है रूस

इस समय कच्चे तेल के दाम 117-118 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ चुके हैं और रूस-यूक्रेन युद्ध के असर से कच्चा तेल और महंगा होने की आशंका है. रूस कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है और इस पर प्रतिबंध लगने से वैश्विक कच्चे तेल की सप्लाई पर निगेटिव असर आएगा. इसका सीधा असर भारत पर भी देखा जाएगा और यहां ईंधन के रूप में पेट्रोल और डीजल के दाम में जोरदार बढ़ोतरी देखी जा सकती है.

 

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