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कही-सुनी ( 05 MARCH -23):भाजपा में भोजन की राजनीति

रवि भोई की कलम से

भाजपा के अंदरखाने में भोजन की राजनीति सिर चढ़कर बोल रही है। खबर है कि पिछले दिनों तय कार्यक्रम के अनुसार भाजपा के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी को दुर्ग में पार्टी के एक जमीनी कार्यकर्ता के घर पर भोजन करने जाना था। सारी तैयारी हो गई थी, लेकिन एनवक्त पर राष्ट्रीय पदाधिकारी दुर्ग की एक कद्दावर राजनेता के निवास पर भोजन करने चले गए। कहते हैं राष्ट्रीय पदाधिकारी के कद्दावर राजनेता के निवास पर भोजन पर जाने से एक सांसद ने कार्यक्रम में ही अपना भड़ास निकाला और छोटे नेताओं की उपेक्षा और बड़े नेताओं को तवज्जो देने को राज्य में पार्टी की हार का बड़ा कारण बता दिया। बताते हैं डेमेज कंट्रोल के लिए राष्ट्रीय पदाधिकारी बाद में जमीनी कार्यकर्ता के घर चाय पीने गए। कहा जा रहा है कि दुर्ग की ताकतवर राजनेता ने राष्ट्रीय पदाधिकारी को अपने निवास पर भोजन पर आमंत्रित करने के लिए प्रदेश संगठन के एक पदाधिकारी से एप्रोच भी लगाया। राष्ट्रीय पदाधिकारी को भोजन पर आमंत्रित कर दुर्ग के ताकतवर राजनेता की ताकत में कितना इजाफा हुआ, ये तो वे ही जान सकती हैं, पर भोजन पॉलिटिक्स से दुर्ग की राजनीति में उबाल आ गया है।

टीएस सिंहदेव का होली मिलन कार्यक्रम

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने सात मार्च को अंबिकापुर में होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया है। इस आयोजन को चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। वैसे तो सरगुजा के राजमहल में होली मिलन कार्यक्रम की परंपरा सालों पुरानी है, पर कहते हैं मंत्री बनने के बाद टीएस सिंहदेव ने आयोजन बंद कर दिया था। 2023 में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव लड़ने और न लड़ने को लेकर टीएस सिंहदेव के कई बयान आ चुके हैं। मुख्यमंत्री न बन पाने की टीस भी उनकी जुबान पर आ ही जाती है। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद वे मुख्यमंत्री की दौड़ में थे। सरगुजा के लोग भी उन्हें 2018 के पहले भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे थे, पर ऐसा नहीं हो पाया। भूपेश बघेल बाजी मार ले गए। अब होली मिलन के बहाने क्या संदेश देना चाहते हैं, उस पर सबकी नजर है।

कांग्रेस के दो कद्दावर नेताओं में बहस ?

विधानसभा के एक कक्ष में कांग्रेस के दो कद्दावर नेताओं के बीच गर्मागर्म बहस चर्चा का विषय बना हुआ है। दोनों नेता अपने-अपने कार्यक्षेत्र में सुप्रीम है। कहते हैं एक मंत्री जी का दुख दोनों नेताओं के बीच बहस का कारण बन गया। मंत्री जी को एक नेताजी का काफी करीबी माना जाता है। नेताजी मंत्री जी को हमेशा आगे बढाने में लगे रहते हैं। मंत्री पद भी नेताजी की मेहरबानी से मिली है। मंत्री जी की पीड़ा से नेताजी में सहानुभूति जाग गई और उन्होंने मंत्री जी का पक्ष ले लिया। इससे दूसरे नेताजी नाराज हो गए और दोनों के बीच तीखी तकरार हो गई।

कुलबुलाते भाजपा के आदिवासी नेता

कहते हैं भाजपा के आदिवासी नेता आरक्षण के मुद्दे पर पार्टी फोरम में अपनी बात रखना चाहते हैं, लेकिन संगठन ने उनका मुंह बंद कर दिया है। ऐसे में वे अपने व्हाट्सप ग्रुप में भड़ास निकाल रहे हैं। छत्तीसगढ़ में आरक्षण का मुद्दा सांप के फन की तरह हो गया है। भूपेश बघेल सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर राज्य में 76 फीसदी आरक्षण का विधेयक पारित कर दिया है। राजभवन में विधेयक अटका है। चर्चा है कि इस मसले पर भाजपा चुप्पी साधे हुए है और अपने आदिवासी विधायकों को भी मौन रहने की नसीहत दे रखी है।

बजट पर निगाहें

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने इस कार्यकाल का आखिरी बजट सोमवार को विधानसभा में पेश करेंगे। चुनावी साल के बजट पर सबकी निगाहें हैं। कहा जा रहा है कि बजट सवा लाख करोड़ के आसपास का होगा। संभावना है कि आखिरी बजट चुनावी होने के साथ-साथ लुभावनी भी होगा और भूपेश बघेल का बजट किसान और गांव को प्राथमिकता देने वाला होगा। सरकार ने बेरोजगारी भत्ता का दांव चला है। इस बजट में उसके लिए राशि का प्रावधान किया जाएगा। संविदा, अस्थायी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी सरकार की तरफ देख रहे हैं। इसके आलावा शराब को लेकर सरकार की नीति का भी सभी को इंतजार है।

छत्तीसगढ़ में पुलिस सुस्त, अपराधी चुस्त

राजधानी रायपुर में जिस तरह चाकूबाजी और हत्या की घटनाएं बढ़ गईं हैं , उससे लगता है पुलिस सुस्त पड़ गई है और अपराधी चुस्त हो गए है। अपराधियों के हौसले राजधानी में ही नहीं, बिलासपुर, भिलाई और दूसरे शहरों -कस्बों में भी बुलंद हो गए हैं। राजधानी के पाश कालोनी में कैंची मारकर दिनदहाड़े एक युवक की हत्या बताता है कि राज्य में पुलिस का इकबाल बचा नहीं है। राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ में आबादी बढ़ी है, पर पुलिस फ़ोर्स भी बढ़ा है। थाने और चौकियां भी बढ़ी हैं। सुविधाएं भी बढ़ीं हैं, फिर भी अपराध क्यों बढ़ रहे हैं ? इस पर पुलिस के आला अफसरों को चिंतन-मनन करना होगा और नए सिरे से प्लानिंग करनी होगी।

बिना “नैक ग्रेड” के रविशंकर यूनिवर्सिटी

छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर बिना नैक ग्रेड” के ही चल रहा है। कहते हैं नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिएशन काउंसिल (नैक) से पांच साल पहले रविशंकर यूनिवर्सिटी को ‘ ए ‘ ग्रेड मिला था , वही चल रहा है। कहा जा रहा है “नैक ग्रेड” के लिए विश्वविद्यालय को जनवरी तक का एक्सटेंशन मिला था , वह अवधि भी खत्म हो गई है। चर्चा है कि कुलपति प्रो. के एल वर्मा के कार्यकाल में ‘नैक’ से मूल्यांकन कराया ही नहीं गया। खबर है कि डॉ. वर्मा के कार्यकाल में न तो टीचिंग स्टाफ की भर्ती हुई और न ही दूसरे स्टाफ की। डॉ. वर्मा का कार्यकाल एक अप्रैल को समाप्त हो जाएगा। प्रोफ़ेसर सच्चिदानंद शुक्ला को रविशंकर यूनिवर्सिटी का नया कुलपति नियुक्त कर दिया गया है। अब देखते हैं नए कुलपति क्या करते हैं ?

लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं। )
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )
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