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क्या दोपहर की झपकी बढ़ा सकती है आपकी मानसिक चुस्ती? जानिए रिसर्च के नतीजे

दोपहर की थोड़ी देर की नींद को खराब समझा जाता है. कुछ लोग उसे सुस्ती, कम ऊर्जा, या यहां तक कि बीमारी की निशाने के तौर पर देखते हैं. लेकिन, एक नए रिसर्च से पता चला है कि दोपहर की झपकी आपको दिमागी रूप से ज्यादा तेज बना सकती है अगर आप 60 साल से ज्यादा के हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक, दिमागी परीक्षण में दोपहर की नींद लेनेवाले ज्यादा उम्र के व्यस्कों ने नींद नहीं लेनेवालों के मुकाबले ज्यादा नंबर हासिल किया. दिमाग के लिए झपकी के फायदेमंद होने पर जेनेरल साइकेट्री में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि चीन के बड़े शहरों में 60 साल से ऊपर के रहनेवाले 2 हजार 214 लोगों के दोनों शारीरिक और दिमागी स्वास्थ्य का मुआयना किया गया. उनमें से 1 हजार 534 लोगों ने दोपहर की नींद को नियमित लिया जबकि 689 लोगों ने नहीं लिया. अवलोकनात्मक रिसर्च से पता चला कि झपकी लेनेवालों ने मानक डिमेंशिया स्क्रीनिंग टेस्ट में ‘उल्लेखनीय रूप से ज्यादा स्कोर’ हासिल किया.

शंघाई मेंटल हेल्थ सेंटर से जुड़े शोधकर्ता डॉक्टर लिन सन कहते हैं दोपहर की नींद लेनेवालों ने खास तौर से बाद की तीन श्रेणियों में अच्छा प्रदर्शन किया. जेवो हेल्थ के डायरेक्टर डेविना रामकिशोन ने हेल्थलाइन को बताया, “नींद का सीखने की हमारी क्षमता से बहुत कुछ लेना देना है. दोपहर की झपकी सूचना के बोझ से आपके दिमाग की रिकवरी में मदद करती है.

नींद लेते वक्त, आपके दिमाग की कोशिकाएं अनावश्यक सूचना को आपके दिमाग के अस्थायी भंडारण क्षेत्रों से साफ करती हैं, जिससे नई सूचना ग्रहण के उसे फिर से तैयार कर सके.” दोपहर की झपकी को कम से कम लगातार पांच की नींद लेने को परिभाषित किया गया था, लेकिन लंच के बाद 2 घंटे से ज्यादा नहीं. हालांकि, रिसर्च का एक कमजोर पक्ष भी गौर करनेवाला रहा.

शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से ये नहीं पूछा कि उन्होंने कितनी देर तक झपकी ली या दिन के किस खास समय सोए. शोधकर्ताओं का कहना है कि एक आदर्श स्वस्थ झपकी दोपहर में 1 बजे से 3 बजे के बीच ली जानी चाहिए और 10 से मिनट तक रहनी चाहिए. उन्होंने नतीजा निकाला कि झपकी अच्छे मूड, ऊर्जा और उत्पादकता के लिए शानदार है, जबकि बेचैनी के अलावा शारीरिक और मानसिक तनाव घटाता है.

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