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भारत की अपील को ओपेक ने किया दरकिनार, सऊदी अरब ने दी स्टॉक में रखे सस्ते तेल के इस्तेमाल की सलाह

नई दिल्ली: पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगी देशों के जरिए उत्पादन पर लागू नियंत्रण को उठाने की भारत की अपील को अनुसुना कर दिया गया. वहीं इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी देखने को मिली है.

सऊदी अरब ने भारत से कहा है कि वह पिछले साल जब कच्चे तेल के दाम काफी नीचे चले गये थे, उस समय खरीदे गये कच्चे तेल का इस्तेमाल कर सकता है. कच्चे तेल का सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाले ब्रेंट कच्चे तेल का भाव शुक्रवार को करीब एक प्रतिशत बढ़कर 67.44 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.

ओपेक और उसके सहयोगी देशों, जिन्हें ओपेक प्लस के नाम से जाना जाता है, ने अपनी बैठक में इस बात पर सहमति जताई है कि अप्रैल में कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ाया जाना चाहिये. इन देशों का मानना है कि मांग में और मजबूत सुधार आने देने की प्रतीक्षा करनी चाहिये.

दरअसल, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओपेक देशों से अपील की थी कि कच्चे तेल के दाम में स्थिरता लाने के लिये वह उत्पादन पर लागू बंदिशों को कम करें. उनका मानना था कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ते कच्चे तेल के दाम से आर्थिक क्षेत्र में आने वाला सुधार और मांग दोनों पर बुरा असर पड़ रहा है.

ओपेक देशों की बैठक के बाद भारत के आग्रह के बारे में पूछे गये सवाल पर सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलाजीज बिन सलमान ने कहा कि भारत को पिछले साल काफी कम दाम पर खरीदे गये कच्चे तेल के भंडार में से कुछ तेल का इस्तेमाल कर लेना चाहिये.

भारत ने पिछले साल जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम काफी कम दाम पर चल रहे थे, अपने रणनीतिक भंडारों को भरने के लिये एक करोड़ 67 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद की थी. उस कच्चे तेल का औसत मूल्य 19 डॉलर प्रति बैरल पड़ा था. प्रधान ने 21 सितंबर 2020 को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी थी.

बहरहाल, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बाद देश में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच चुकी हैं. तेल कंपनियों ने अगर कच्चे तेल के दाम में आई ताजा वृद्धि को भी ग्राहकों पर डाल दिया तो इनकी खुदरा कीमतें और बढ़ जायेंगी.

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