अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है. महिलाओं को बहुत सारे काम घर से लेकर दफ्तर और सामाजिक जीवन में करने पड़ते हैं. पारिवारिक जिंदगी और संतुलित काम के लिए जरूरी है कि स्वास्थ्य को बनाए रखा जाए. लेकिन, दिल की बीमारी, डायबिटीज और हाइपरटेंशन के बढ़ते मामले साबित करते हैं कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य पर कम ध्यान देती हैं.
स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम और उचित डाइट खुशहाल जिंदगी जीने में अहम भूमिका अदा करते हैं. उम्र के बावजूद, हर महिला को अपनी फिटनेस के प्रति प्राथमिकता देना जरूरी है. सभी आयु वर्ग की
टीनएजर- रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ बनाए रखने में आयरन एक जरूरी मिनरल है. लड़कियों को मासिक धर्म के लिए यौवन में तो ये और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. हर पीरियड के साथ, आयरन लड़की के शरीर से निकल जाता है, जो बदले में उसकी इम्यूनिटी कमजोर करता है. किशोर उम्र के दौरान लड़कियों को मासिक धर्म के लिए उचित मात्रा में आयरन का उचित सेवन बनाए रखना आवश्यक है.
20 साल की उम्र- 20 साल की उम्र में खानपान की आदतें अच्छी नहीं हो सकतीं और महिलाओं को कई शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन से गुजरना पड़ता है. इसमें कोई शक नहीं है कि ये उम्र हड्डियों के निर्माण का होता है. इस उम्र में हड्डियां निरंतर मरम्मत की स्थिति में होती हैं और कैल्शियम के तेजी से और आश्वस्त अवशोषण के लिए ज्यादा विटामिन डी का सेवन की जरूरत होती है. इसके अलावा, विटामिन डी की कमी इस उम्र में कमजोरी, आसानी से टूटनेवाली हड्डियों की वजह बन सकती है.
30 साल की उम्र- 20 साल के आखिर और 30 साल के शुरुआत में प्रजनन स्वास्थ्य महिला के आम स्वास्थ्य और संपूर्ण सेहत के लिए अधिकतम महत्व का होता है. जैसा कि शरीर बदलाव के दौर से गुजर रहा होता है, इसलिए पोषण की जरूरत पड़ती है. महिला के शरीर को नए विटामिन से परिचय कराने की जरूरत है जिससे आगे चलकर शरीर प्रसव के लिए तैयार हो सके. शरीर में नई कोशिकाओं के निर्माण के लिए फोलेट जिम्मेदार होता है. नियमित फोलेट का सेवन जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां और फोलिक सप्लीमेंट लेना प्रेगनेन्ट होने से पहले एक उचित तरीका है.