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क्या खाने की रफ्तार आपके वजन घटाने को करती है प्रभावित? जानिए, धीरे-धीरे क्यों खाना है जरूरी

इंसानी शरीर कई फैक्टर से प्रभावित हो सकता है. बात जब खास तौर से वजन कम करने की हो, ज्यादातर फैक्टर जैसे जेनेटिक्स, पर्यावरण और खास स्वास्थ्य स्थितियों को काबू नहीं किया जा सकता और अंत में स्वस्थ शरीर हासिल करने की राह में बाधा बन जाते हैं. लेकिन, कुछ फैक्टर जैसे डाइट, शारीरिक गतिविधि और खानपान की आदतों को रोका जा सकता है और उसमें फिटनेस उद्देश्य हासिल करने की संभावना होती है.

धीमा खाने पर लोगों की तरफ से अक्सर असहमति जताी जाती है. कुछ लोगों का मानना है कि अगर कोई धीमी गति से खाने की आदतों में शामिल है, तब या तो ऐसे लोग सुस्त हैं या असभ्य. लेकिन, पुरानी मान्यताओं के विपरीत, धीमा खाना वजन घटाने पर काम कर रहे लोगों के लिए मुफीद हो सकता है.

वजन घटाने वाली डाइट्स पर काम कर रहे लोगों की अक्सर चिंता दिन भर कैलोरी सेवन को लेकर होती है. धीमा खाने से परिपूर्णता की भावना को प्रेरित करने में मदद मिल सकती है और इस तरह थोड़े-थोड़े अंतराल पर भूख लगने से लोगों को रोक सकता है. इसका सीधा योगदान कैलोरी के कम सेवन पर होता है, इस तरह वजन घटाने की प्रक्रिया को प्रेरित करता है.

बेहतर पोषक तत्वों का अवशोषण- धीरे-धीरे खाने से बेहतर पाचन को हासिल करने में मदद कर सकता है. इसका मतलब हुआ कि शरीर के जरिए पोषक तत्वों का अवशोषण भी ज्यादा किया जाएगा.

तनाव लेवल में कमी- चबाने में बढ़ोतरी और भोजन की संतुष्टि शांत और प्रसन्न मन की ओर जाता है. इसका सीधा योगदान तनाव के कम लेवल हासिल करने में हो सकता है.

बेहतर पाचन- धीरे-धीरे खाने के लिए आपको ज्यादा चबाने की जरूरत होगी. ये पाचन की प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद कर सकता है और वजन घटाने को प्रोत्साहित करता है.

चबाने को बढ़ावा देता है- धीमा खाने के दौरान चबाने को बढ़ोतरी मिलती है. ये कैलोरी सेवन को कम और नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, इस तरह वजन घटाने को बढ़ावा देता है.

निष्कर्ष
धीरे-धीरे खाना आपकी सोच से ज्यादा स्वस्थ हो सकता है. अगर धीमी गति में खा रहे हैं, तो उससे आप ज्यादा खाने से बच जाते हैं और मोटापा का खतरा भी कम होता है, जो आगे चलकर ज्यादा स्वस्थ और प्रसन्न शरीर में योगदान करता है.

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