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जोगी कांग्रेस में एकजुटता दिखाने की कवायद

खैरागढ़ उप चुनाव के प्रत्याशी और रणनीति तय करने के लिए हुई बैठक में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की है। बलौदाबाजार विधायक प्रमोद शर्मा ऐसी किसी रणनीतिक बैठक में दो साल बाद शामिल किए गए। बैठक के बाद पार्टी की केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. रेणु जोगी और विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह ने मीडिया को वक्तव्य देने के लिए प्रमोद शर्मा को ही आगे किया।

बैठक की जानकारी देते हुए विधायक प्रमोद शर्मा ने कहा, बैठक में प्रत्याशियों के बहुत से नाम आए थे। उस पर विचार किया गया है। उसकी घोषणा हम कल करेंगे। 24 मार्च को हम धूमधाम से नामांकन करेंगे और यह सीट दोबारा जीतेंगे। प्रमाेद शर्मा ने कहा, खैरागढ़ हमारे स्वर्गीय देवव्रत सिंह की सीट थी। हमारी पार्टी की सीट थी। उन्हें पूरा विश्वास है कि वहां के लोग जिस तरह पिछली बार हमारी पार्टी को जिताए थे, इस बार भी वैसा ही होगा। हम फिर से वह सीट वापस लाएंगे।

विधायक प्रमोद शर्मा की रणनीतिक बैठकों में वापसी से पार्टी ने एकजुटता का बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। बैठक में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के प्रभावों पर भी चर्चा हुई। जकांछ नेताओं ने पंजाब में आप की जीत को क्षेत्रीय दलों के लिए शुभ संकेत बताया। उनका कहना था, देश के हर हिस्से में अब क्षेत्रीय दल सरकार में हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ में भी क्षेत्रीय दल की सरकार बन सकती है। इसके लिए हमें संघर्ष तेज करना होगा।

पार्टी में ऐसे पड़ती गई थी फूट

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के संस्थापक अध्यक्ष अजीत जोगी के निधन के बाद नवम्बर 2020 में मरवाही विधानसभा के लिए उप चुनाव हुआ। उस समय तक अमित जोगी और उनकी पत्नी ऋचा जाेगी के अनुसूचित जनजाति के प्रमाणपत्र को सरकार ने निरस्त कर दिया था। इसकी वजह से जनजातियों के लिए रिजर्व सीट पर उनका चुनाव लड़ना संभव नहीं हो सका। कांग्रेस प्रत्याशी को हराने के लिए जनता कांग्रेस ने भाजपा को समर्थन दे दिया। इसके बाद प्रमोद शर्मा और देवव्रत सिंह ने जकांछ नेतृत्व का विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था, अजीत जोगी होते तो भाजपा को कभी समर्थन नहीं देते।

कांग्रेस जॉइन करने तक की तैयारी थी

देवव्रत सिंह और प्रमाेद शर्मा दोनों ने सार्वजनिक तौर पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से अलग राह लेने की बात कह दी थी। उनका कहना था दल बदल विरोधी कानून उन्हें कांग्रेस में जाने से रोक रहा है। दोनों नेता तो इसका रास्ता बनाने के लिए निर्वाचन आयोग से भी मिल आए थे। इन बयानबाजियाें के बाद जकांछ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने दोनों विधायकों को कोर कमेटी सहित महत्वपूर्ण रणनीतिक पदों से अलग कर दिया था।

भाजपा-कांग्रेस के बाद पत्ता खोलेगी जकांछ

संसदीय बोर्ड की बैठक में दावेदारों के नामों पर चर्चा के बाद पदाधिकारियों ने अंतिम फैसला केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. रेणु जोगी पर छोड़ दिया है। पार्टी दो नाम तय करके बैठी है। उसमें से एक खैरागढ़ राजघराने से संबंधित है और दूसरे दावेदार ने एक दूसरे राजनीतिक दल से भी टिकट की दावेदारी कर रखी है। जकांछ नेतृत्व भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित होने का इंतजार कर रहा है। उनके उम्मीदवार देखने के बाद पार्टी अपना पत्ता खोलेगी।

 

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