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चैत्र नवरात्रि आज से : पहले दिन ऐसे करें माता शैलपुत्री की पूजा

जगत जननी मां दुर्गा का पर्व चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से आरंभ हो जाएगी और 30 मार्च 2023 को नवमी को समाप्त होगी. चैत्र नवरात्रि की नवमी पर राम नवमी का त्योहार भी मनाया जाता है. नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है. चैत्र नवरात्रि के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना की जाती है, इस दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी होती है. इस साल नवरात्रि बेहद खास मानी जा रही है क्योंकि मां दुर्गा इस बार नौका पर सवार होकर आ रही हैं जो शुभता का प्रतीक है, हालांकि इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत पंचक में होगी.

शारदीय नवरात्रि आज से शुरू हो रहे हैं और घट स्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पार्वती पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और मां के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा देवी के मंडपो में पहले नवरात्र के दिन होती है। शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। पार्वती के रूप में इनको भगवान शिव के पत्नी के रूप में भी जाना जाता है। आइए आपको बताते हैं मां शैलपुत्री की पूजाविधि, मंत्र और भोग के बारे में विस्‍तार से…

ऐसा है मां शैलपुत्री का स्वरूप
माता शैलपुत्री का स्वरूप बेहत शांत और सरल है। माता के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल शोभा दे रहा है। मां अपने नंदी नामक बैल पर सवार होकर संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं इसलिए माता शैलपुत्री को वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है। यह वृषभ वाहन शिवा का ही स्वरूप है और शैलपुत्री समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक भी हैं। माता शैलपुत्री ने घोर तपस्या करके ही भगवान शिव को प्रसन्न किया था। शैलपुत्री के अधीन वे समस्त भक्तगण आते हैं, जो योग, साधना-तप और अनुष्ठान के लिए पर्वतराज हिमालय की शरण लेते हैं। मां अपने भक्तों की हमेशा मनोकामना पूरी करती हैं और साधक का मूलाधार चक्र जागृत होने में सहायता मिलती है।

ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा
शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत स्वच्छ वस्त्र धारण करें और फिर चौकी को गंगाजल से साफ करके मां दुर्गा की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। पूरे परिवार के साथ विधि-विधान के साथ कलश स्थापना की जाती है। घट स्थापना के बाद मां शैलपुत्री का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। माता शैलपुत्री की पूजा षोड्शोपचार विधि से की जाती है। इनकी पूजा में सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है। इसके बाद माता को कुमकुम और अक्षत लगाएं। इसके बाद सफेद, पीले या लाल फूल माता को अर्पित करें। माता के सामने धूप, दीप जलाएं और पांच देसी घी के दीपक जलाएं। इसके बाद माता की आरती उतारें और फिर शैलपुत्री माता की कथा, दुर्गा चालिसा, दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती आदि का पाठ करें। इसके बाद परिवार समेत माता के जयकारे लगाएं और भोग लगाकर पूजा को संपन्न करें। शाम के समय में भी माता की आरती करें और ध्यान करें।

चैत्र नवरात्रि 2023 कब से?

पंचांग के अनुसार चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 को रात 10 बजकर 52 मिनट से आरंभ होगी और अगले दिन 22 मार्च 2023 को रात 8 बजकर 20 मिनट पर इसका समापन होगा. उदयातिथि के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च 2023 से होगी. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन 22 मार्च 2023 को घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06:29 – सुबह 07:39 तक है.

 

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