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बंगाल में हिंसा : सुनिए न महामहिम

बंगाल के बीरभूमि इलाके में हाल ही में हुई हिंसा में 10 लोगों की मौत के बाद राज्य में एक बार फिर राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग उठी है। मेरे ख्याल से महामहिम राष्ट्रपति जी को भाजपा की मांग पूरी कर देना चाहिए, लेकिन सवाल ये है कि इस बाबद केंद्र सरकार प्रस्ताव तो भेजे । राज्य विधानसभा चुनावों के बाद बंगाल में हिंसा की ये पहली बड़ी वारदात है और सचमुच चिंतित करने वाली है.

बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सत्ता में है, और भाजपा के तमाम तिलिस्मों को तोड़कर सत्ता में लौटी है। तृमूकां सत्तारूढदल थी इसलिए उसके खिलाफ सत्ता प्रतिष्ठान विरोधी आक्रोश को भुनाया जाना था किन्तु भाजपा तमाम कस-बल लगाने के बाद तृमूकां को उखाड़ नहीं पायी, लेकिन उसकी कोशिश अभी भी थमी नहीं है. आपको पता ही होगा कि तृणमूल कांग्रेस के प्रमुख की हत्‍या के बाद बीती रात कुछ लोगों ने बीरभूमि  के रामपुरहाट थाना क्षेत्र के बोगतुई गांव में करीब एक दर्जन घरों में आग लगा दी, आग में झुलसने 10 लोगों की मौत हो गई।

किसी भी राज्य में हिंसा के लिए नैतिक रूप से राज्य सरकार को जिम्मेदार माना जाता है,इसलिए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हिंसा सरकार की विफलता का ही कारण हुई। लेकिन इस विफलता के अलावा भी तो कहीं कोई दूसरी वजह नहीं है इस हिंसा की ? इस हिंसा के बाद राजनीति शुरू हो गयी है और ऐसा अक्सर होता है ।  इस मामले में बीजेपी नेता गौरव भाटिया और लॉकेट चटर्जी ने राज्य की सत्तासीन ममता बनर्जी   सरकार पर निशाना साधा है। गौरव भाटिया ने कहा कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र  को टुकड़े-टुकड़े किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल में जो भी असामाजिक तत्व जो हिंसा को अंजाम दे रहे हैं, उन्हें ममता बनर्जी सरकार का संरक्षण प्राप्त है।

इस मामले में भाजपा के सभी नेताओं के सुर एक जैसे हैं,होना भी चाहिए । राज्य के बीजेपी अध्यक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा, पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति गंभीर है।  राज्य के विभिन्न हिस्सों में पिछले एक सप्ताह में 26 हत्याएं हो चुकी हैं. केंद्र को हस्तक्षेप करना चाहिए और बंगाल में स्थिति को अपने नियंत्रण में लेने के लिए धारा 356 (राष्ट्रपति शासन) या आर्टिकल 355का उपयोग करना चाहिए।  भाजपा की अश्वमेघ यात्रा में बंगाल सबसे बड़ा रोड़ा साबित हुआ है, इसलिए भाजपा की लगातार कोशिश है कि बंगाल सर्कार को किसी बी तरह चित किया जाये.लेकिन ये काम इतना आसान नहीं है. अगर होता तो भाजपा को बीरभूमि  हत्याकांड का इन्तजार नहीं करना पड़ता ।

बीरभूमि  के रामपुरहाट में टीएमसी के उपप्रधान की हत्या का बदला लेने के लिए इस घटना को अंजाम दिया गया है।  पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।  इन सब के बीच बीरभूम के दमकल अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि घटना कल रात की है, 10-12 घरों में आग लगाई गईं. इस हिंसा में अब तक कुल 10 लोगों की मृत्यु हुई है। जाहिर है कि हत्या के पीछे स्थानीय राजनीति होगी. पुलिस जांच कार रही है लेकिन भाजपा इस वारदात की आड़ में राज्य सरकार को पटखनी देने की योजना बना रही है।  राज्य भाजपा से केंद्रीय  गृहमंत्री ने 72 घंटे में रिपोर्ट देने के लिए कहा है ।

भाजपा को सुर्ख़ियों में बने रहने के साथ ही देश को किसी न किसी मामले में उलझाए रखने की पुरानी आदत है.अब देश में ‘ द कश्मीर फ़ाइल’ का भूत उतरने लगा है, इसलिए  इसने बंगाल की हिंसा को नयी सुर्खी बनाने की कोशिश शुरू कर दी है, लेकिन भाजपा के लिए राष्ट्रपति शासन के जरिये बंगाल को रूल करना इतना आसान नहीं  है. जाहिर है कि भाजपा बंगाल हासिल करने के लिए अदले विधानसभा चुनावों का इन्तजार नहीं कर सकती और केंद्र के लिए बंगाल हड़पने के लिए राष्ट्रपति शासन के अलावा कोई और विकल्प नहीं है ।

हल के पांच राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा के हौसले बढे हैं किन्तु ये हौसले बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने का भी हौसला दे सकते हैं ऐसा नजर नहीं आता। दरअसल ममता बनर्जी इस समय देश में विपक्ष के नेता के रूप में उभरती दिखाई दे रही हैं,हालांकि उत्तर प्रदेश में वे कुछ ख़ास कर नहीं पायी थीं लेकिन वे एक केंद्र तो हैं गैर भाजपा की राजनीति का, इसलिए उन्हें लगातार घेरे रहना भाजपा की पहली जरूरत है .। ममता बनर्जी को भी वीरभूमि की हिंसा के माले में सख्त से सख्त कार्रवाई करना चाहिए अन्यथा उनकी मुसीबतें बढ़ सकतीं हैं।  राज्य में भाजपा ने मंमता को व्यस्त रखने के लिए राज्यपाल  के रूप में जगदीप धनखड़ को बंगाल में तैनात कर ही रखा है ।

भाजपा का दुर्भाग्य ये है कि वो बंगाल को जम्मू-कश्मीर की तरह तीन भागों में विभाजित कर उसका राज्य का दर्जा छीन नहीं सकती। इसके लिए उसे जनादेश ही लेना पडेगा, किन्तु भाजपा इस स्थिति में तो है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन के जरिये ममता बनर्जी को लंगड़ा जरूर कर सकती है।  वीरभूमि जैसे दंगे एक-दो जगह और हो गए तो भाजपा का राश्ता आसान हो जाएगा. फिल्मों के शेयर देश की जनता को जगाने वाली पहली राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी अब किसी भी हद तक जा सकती है. फिलहाल भाजपा का रास्ता निष्कंटक है. कोई दूसरा दल नहं है जो भाजपा को पटखनी दे सके । अब तो किसान भी भाजपा का रास्ता नहीं रोक सकते, भले ही वे दोबारा आंदोलन शुरू कर दें।

मै शुरू से ही भाजपा कि संगठन क्षमता और रणनीति बनाने और उस पर अमल करने के तरिके का कायल रहा हूँ । मुझे आता है कि भाजपा  किसी भी समय अब देश में ‘धज्जी का सांप’ बना सकती  है । वैसे भाजपा में असली कोबरा भी हैं .मिथुन दादा पहले ही इस बारे में घोषणा कर चुके हैं. इसलिए यही वक्त है कि देश में बंगाल  समेत जितने भी गैर भाजपा शासित हैं वे सतर्क रहें, दंगे-संगे न भड़कने दें। दंगे वैसे भी देश के स्वास्थ्य के लिए घातक हैं।  @ राकेश अचल

 

 

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