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कोरोना के नाम पर आम आदमी को रेलवे का सफर कितना महंगा पड़ा, जानें ये बदलाव

काम वहीं, नाम नया सुविधायें कम, दाम नया. झंझट ज्यादा, जेब खाली. घंटो के सफर से पहले अंग्रेज़ी वाला-सफर-यानी जेब और दिमाग पर प्रताड़ना अलग. बात हो रही है आकार और प्रभाव में देश के सबसे सरकारी प्रतिष्ठान यानी रेलवे के इस नए अवतार की. आम से लेकर खास और पूरब से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत को एक सूत्र में पिरोने वाली रेल की.

कोरोना को आपदा मानते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा में अवसर ढूढ़ने का आह्वन किया था. उनकी बात को जैसे रेलवे ने तुरंत लपक लिया और कोरोना का डर दिखाते हुए अतार्किक तरीके से रेलवे के किरायों में न सिर्फ बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि अब जनरल क्लास को ही कैसे सफाई के साथ गायब कर दिया गया है.

कोरोना के दौरान ट्रेन बंद हुईं फिर जब चलीं तो भीड़ न बढ़ने के नाम पर किराये बढ़ा दिए गए. ट्रेनों के मौजूदा नंबर बंदल कर सबको स्पेशल ट्रेन कर दिया गया. राज की बात इस स्पेशल ट्रेन करने के दांव की ही है. इसमें ट्रेन वहीं हैं, सुविधाएं पहले स कम कर दी गई हैं. लेकिन आपकी जेब हल्की हो गई है. राज की बात में आपको यही समझाते हैं कि कैसे कोरोना के नाम पर आम आदमी को रेलवे का ये सफर कितना महंगा पड़ने लगा है.

पहले आपको ये जानना ज़रूरी है कि कोरोना में बंद हुई अधिकांश ट्रेनें चला दी गई हैं. लेकिन सभी को स्पेशल ट्रेन का दर्जा दे दिया गया है. किराया बढ़ गया है, प्लेटफार्म टिकट 500% तक महंगी हो गई है. बुजुर्गों और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को मिलने वाली छूट बंद है. जेनरल डब्बे में भी रिजर्वेशन जरूरी है. मोबाइल कैटरिंग बंद है और बेडरोल भी नहीं दिया जा रहा. ये सब किया जा रहा है कोरोना को रोकने के नाम पर और यात्रियों के फ़ायदे के नाम पर. तो राज की बात में सबसे बड़ा सवाल पहले यही है कि क्या यह सब वाकई यात्रियों के फायदे के लिए हो रहा?

पहले तो आए दिन रेलवे की तरफ से इस बढ़ोत्तरी के पक्ष में आने वाले हास्यास्पद बयानों को याद करिये. रेलवे इन दिनों तरह-तरह के बहाने बना रहा है. हमारी जेब भी ढीली हो रही है और सुविधाएं भी गायब हो ही रही हैं.

एक तो तर्क है कि ट्रेनों के किराए बढ़ा दिए गए हैं ताकि आप अनावश्यक सफर नहीं करें. प्लेटफ़ार्म के टिकट कई गुना महंगा कर दी गई है कि आप अनावश्यक भीड़ नहीं लगाएं. नेशनल खेलने वाले खिलाड़ियों और सीनियर सिटिजन्स को राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों को और बुजुर्गों आदि को टिकट में छूट दी जाती थीं, वह बंद कर दी गई हैं. ताकि उन्हें महामारी से बचाया जा सके तो आप समझें कि सरकार कितनी चिंतित है आपके बारे में .

जरा इसके दूसरे पहलू पर जाते हैं. एयरलाइन का खर्चा बढ़ चुका है. सैनिटाइजर. मास्क. शील्ड, पीपीई किट आदि उन्हें देनी पड़ रही है. कोरोना से बचाव के इंतज़ाम में उनका खर्चा और बढ़ा है. मगर पूरी फ्लाइट ठसाठस भरकर चल रही हैं. दाम भी नहीं बढ़े हैं. तो अब रेलवे और एयर ट्रैफ़िक में ये विरोधाभास क्यों?

राज की बात में आपको बताते हैं कि कैसे चतुराई से रेलवे ने स्पेशल ट्रेन के नाम पर सारा खेल किया गया. कोरोना में सारी ट्रेनें बंद हुईं. फिर बारी-बारी चलनी शुरू हुईं. सभी को Ticket & refund rules- 2015 के तहत चलाया गया.इसके तहत स्पेशल ट्रेन में अधिक किराया वसूला जा सकता है. इसी नियम के तहत टिकट पर छूट भी बंद. वैसे कुल 53 श्रेणियों में मिलती है छूट. इनमें से 38 बंद कर दी गईं.बुजुर्गों और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों की भी छूट बंद.

अब रेलवे की दलील ये सामान्य ट्रेनें नहीं हैं. वैसे ख़ास बात ये है कि रिजर्वेशन वाली 2500 में से 2000 ट्रेनें चलने लगीं. रिजर्वेशन टिकटों की संख्या पहले की स्थिति पर आ चुकी है. मगर दाम बढ़े हुए हैं. 10 रुपये के प्लेटफार्म टिकट 30 से 50 रुपये तक के. भीड़ कम करने के लिए यें फ़ैसला उठाया गया और कहा गया है कि स्थिति सामान्य होने पर होगी पुरानी दर बहाल.

ऐसा ही हाल जेनरल क्लास का है पहले बिना रिजर्वेशन सस्ते टिकट से होता था सफर. ऐसे सारे डिब्बे रिजर्व्ड सीटिंग कोच में बदले गए. रिजर्वेशन जरूरी हुआ साथ ही शुल्क भी ज्यादा लिया जा रहा है. इतना ही नहीं, मोबाइल कैटरिंग के सारे ठेके रद्द किए गए. इनकी जगह लोग ई-कैटरिंग का उपयोग करें. फोन के ऐप पर खाना बुक करें.

अब एक और आंकड़ा देखिए. कुल क़रीब 4000 पैसेंजर ट्रेनें चल रही हैं लेकिन इनमें रिज़र्वेशन लागू होने के कारण किराया बढ़ा हुआ है. क़रीब 1200 मेल एक्सप्रेस ट्रेनें चल रही हैं. इनमें 300 ऐसी हैं जो पैसेंजर के रूप में चलती थीं लिहाज़ा इसमें किराया दो से तीन गुना बढ़ गया है. ये छोटी दूरी की ट्रेनें हैं. इन्हीं मेल एक्सप्रेस में 60 ट्रेनें ऐसी हैं जिन्हें फ़ेस्टिवल स्पेशल के रूप में चलाया जा रहा है और इनमें 1.3 गुना किराया बढ़ा हुआ है. सबसे ख़तरनाक बात है कि आम आदमी के लिए जनरल क्लास जिसे अब रिज़र्व कर दिया गया है, संकेत ये हैं कि शायद ही अब ट्रेन में इस तरह का कोई डिब्बा बचे. मतलब कोरोना काल में ट्रेनों के किराये में बढ़ोत्तरी और सुविधाओं में जो घटोत्तरी हुई है, वो आगे भी जारी रहने के इशारे किए जा रहे हैं.

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