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नवरात्रि में कब करें कन्या पूजन ? जानें विधि और पूजा मुहूर्त

आज 29 मार्च को दुर्गा अष्टमी और 30 मार्च को महानवमी है. दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी और महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. इन दो दिनों में कन्या पूजा भी की जाती है. हालांकि आप चाहें तो नवरात्रि के प्रथम दिन से नवमी तक प्रत्येक दिन भी कन्या पूजन कर सकते हैं. कन्या पूजन करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है. कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है, इसलिए नवरात्रि में कन्या पूजा का महत्व है.

दुर्गा अष्टमी 2023 कन्या पूजा मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी और महानवमी पर कन्या पूजा की जाएगी. 29 मार्च को दुर्गा अष्टमी के दिन प्रात:काल से ही शोभन योग बना है. रवि योग रात 08:07 बजे से अगले दिन प्रात:काल तक है. इस दिन का राहुकाल दोपहर 12:26 बजे से दोपह 01:59 बजे तक है. ऐसे में आप प्रात:काल से लेकर राहुकाल पूर्व तक कन्या पूजा कर सकते हैं. इस दिन सुबह में लाभ-उन्नति मुहूर्त 06:15 से 07:48 बजे, अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 07:48 से 09:21 बजे और शुभ-उत्तम मुहूर्त 10:53 से 12:26 बजे तक है. ये समय भी शुभ हैं.

कन्या पूजा से मिलने वाले 9 वरदान
नवरात्रि में कन्या पूजा का भी नियम है. कन्या पूजा में आप 1 से लेकर 9 कन्याओं का पूजन कर सकते हैं. इसमें भी अलग अलग उम्र की कन्याओं की पूजा करने से अलग-अलग मनोकामनाएं पूरी होती हैं. एक से लेकर 9 तक की संख्या की कन्याओं की पूजा से 9 वरदान मिलते हैं.

संख्या अनुसार कन्या पूजा का फल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 1 कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, 2 कन्या पूजा से भोग, 3 कन्या पूजा से पुरुषार्थ, 4-5 कन्या पूजा से बुद्धि और विद्या, 6 कन्या पूजा से कार्य में सफलता, 7 कन्या पूजा से परमपद, 8 कन्या पूजा से अष्टलक्ष्मी और 9 कन्याओं की पूजा से सभी ऐश्वर्य प्राप्त होता है.

उम्र अनुसार कन्या पूजा का फल
2 वर्ष की कन्या पूजा से धन-ऐश्वर्य, 3 वर्ष की कन्या पूजा से धन-धान्य, 4 वर्ष की कन्या पूजा से परिवार का कल्याण, 5 वर्ष की कन्या पूजा से रोगों से मुक्ति, 6 वर्ष की कन्या पूजा से राजयोग, विद्या और विजय, 7 वर्ष की कन्या पूजा से ऐश्वर्य, 8 वर्ष की कन्या पूजा से कोर्ट कचहरी के मामलों में सफलता, 9 वर्ष की कन्या पूजा से शत्रुओं पर सफलता और 10 वर्ष की कन्या पूजा से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.

कन्या पूजा की विधि
दुर्गा अष्टमी या महानवमी के दिन जब भी आपके यहां कन्या पूजा होती है, उस दिन सुबह स्नान के बाद मां दुर्गा की पूजा कर लें. फिर कन्याओं को पूजन के लिए घर पर आमंत्रित करें. उनके साथ एक छोटे बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजते हैं, इसलिए उन्हें भी आमंत्रित करें.

कन्याओं के आगमन पर पानी से उनके चरण पखारें और उनको एक आसन पर बैठाएं. फिर अक्षत्, फूल, चंदन आदि से उनकी पूजा करें. फूलों की माला और चुनरी अर्पित करें. फिर उनको हलवा, काला चना, पूड़ी, खीर, नारियल आदि मिठाई का भोग लगाएं. उनसे भोजन करने का निवेदन करें.

भोजन के बाद उनको उपहार और दक्षिणा दें. फिर पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें, ताकि नवरात्रि का व्रत पूर्ण हो और आपकी मनोकामनाएं सिद्ध हों. इसके बाद कन्याओं को सहर्ष विदा करें.

 

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