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बंगाल में दूसरे चरण की वोटिंग कल

एक अप्रैल को पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण की वोटिंग होगी। इसमें 30 सीटों पर वोट डाले जाएंगे, जिसमें पश्चिम और पूर्व मेदिनीपुर की 9-9 सीटें भी शामिल हैं। इनमें  एक दर्जन सीटें हाईप्रोफाइल हैं। सबसे दिलचस्प और बड़ा संग्राम नंदीग्राम की सीट पर है जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कभी उनके सबसे भरोसेमंद रहे शुभेंदु अधिकारी आमने-सामने हैं। इसके बाद दूसरी बड़ी हाईप्रोफाइल सीट खडगपुर सदर है, जहां भाजपा की तरफ से हिरन चटर्जी और तृणमूल की तरफ से प्रदीप सरकार मैदान में हैं।

वहीं डेबरा सीट पर दो पूर्व आईपीएस  अधिकारी आमने-सामने हैं। भारती घोष भाजपा की तरफ से तो हुमायूं कबीर तृणमूल से चुनाव लड़ रहे हैं। इसके साथ ही क्रिकेटर अशोक डिंडा भी भाजपा की तरफ से मोयना सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। यहां भी दूसरे फेज में ही वोटिंग होनी है। राज्यसभा सांसद मानस भूनिया और ममता सरकार में मंत्री सोमेन महापात्रा की किस्मत का फैसला भी इसी फेज की वोटिंग में होना है। इसको लेकर भाजपा और तृणमूल जबरदस्त  मेहनत कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पिछले चार दिनों से नंदीग्राम में ही डेरा जमाए हुई हैं। वहीं चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह ने नंदीग्राम, डेबरा और पंसकुरा पश्चिम में रोड शो करके अपनी ताकत झोंकी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने  मंगलवार को  भागाबेड़ा में व्हीलचेयर पर बैठकर पदयात्रा की अगुआई की।

शुभेंदु के आने से पुराने भाजपा कैडर में नाराजगी

पूर्व मेदिनीपुर का इलाका अधिकारी परिवार का गढ़ माना जाता है। यहां हर जगह भाजपा के बैनर-पोस्टर नजर आ रहे हैं। शुभेंदु अधिकारी, पिता शिशिर अधिकारी और उनके भाई दिव्येंदु अधिकारी यहां मोर्चा संभाले हुए हैं। पुरजोर मेहनत और ताबड़तोड़ जनसभाएं कर रहे हैं ताकि पार्टी को ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल हों। यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि अधिकारी परिवार की साख बचेगी या नहीं।

यहां के लोकल पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है कि एक तरफ शुभेंदु के भाजपा में आने से यहां पुराने भाजपा कैडर में नाराजगी है, तो दूसरी तरफ शुभेंदु तृणमूल को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं। यहां भाजपा कुछ सीटें जीत सकती है, लेकिन क्लीन स्वीप जैसी स्थिति नहीं होगी। यहां की जिन 9 सीटों पर दूसरे फेज में वोटिंग होनी है। उसमें से पंसकुरा पश्चिम, तामलुक, महीसादल, नंदकुमार और चांदीपुर में बीजेपी जीत दर्ज कर सकती है। जबकि नंदीग्राम, पंसकुरा पूर्व, मोयना और हल्दिया में कांटे की टक्कर है।

2016 विधानसभा चुनाव में हल्दिया से सीपीएम की सीट पर तापसी मंडल जीतीं थीं, लेकिन अब वे शुभेंदु के साथ हैं और भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ रही हैं। वहीं चांदीपुर के तृणमूल विधायक अमिया भटाचार्य ने खुद के घर बनाने में बहुत ज्यादा पैसे खर्च किए थे। इसलिए उनकी छवि धूमिल हो गई थी। जिसके बाद टॉलीवुड स्टार सोहम चक्रवर्ती को पार्टी ने टिकट दिया है।

पश्चिम मेदिनीपुर में दो पूर्व IPS आमने सामने

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष 2016 में लाइम लाइट में आए थे, तब उन्होंने खडगपुर सदर सीट से जीत दर्ज की थी। हालांकि 2019 उपचुनाव में यह सीट तृणमूल के हिस्से में चली गई। इस बार उनकी साख दांव पर लगी है। दिलीप घोष के खिलाफ भी लोगों में नाराजगी है। लोगों की शिकायत है कि वे क्षेत्र में कम ही नजर आते हैं। इस नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा ने हिरन चटर्जी को टिकट दिया है। वहीं डेबरा सीट पर दो पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष और हुमायूं कबीर आमने-सामने हैं। भास्कर से बातचीत में स्थानीय व्यवसायी महेंद्र कहते हैं कि एक वक्त था जब भारती यहां तृणमूल को लीड कर रही थीं, लेकिन अब वे भाजपा के साथ हैं। इन दोनों सीटों पर दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल रही है।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट के मुताबिक यहां की 9 सीटों में से 5 तृणमूल के खाते में जा सकती है। सबंग, केशपुर, घटल, दासपुर और चंद्रकोना में तृणमूल जीत दर्ज कर सकती हैं। वहीं डेबरा, खडगपुर सदर, नारायणगढ़ और पिंगला में क्लोज फाइट देखने को मिल सकती है। 2016 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों ही जिलों में तृणमूल का पलड़ा भारी रहा था। तब तृणमूल ने 18 में से 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेफ्ट के खाते में तीन जबकि भाजपा और कांग्रेस के खाते में एक-एक सीट गई थी। अगर लोकसभा 2019 की बात करें तो नारायणगढ़, खडगपुर सदर, डेबरा और पंसकुरा पश्चिम इन चार सीटों पर भाजपा आगे रही थी। वहीं नंदीग्राम में तृणमूल 6800 से ज्यादा मतों से आगे रही थी।

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