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कही-सुनी ( 23-APRIL 23): टिकट वितरण में भाजपा हाईकमान का सर्वे और आईबी रिपोर्ट होगा अहम

रवि भोई की कलम से


कहते हैं 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन के वास्ते भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ में सर्वे करवा रहा है, साथ ही आईबी से भी जमीनी हकीकत के बारे में फीड बैक ले रहा है। कहा जा रहा है कि केंद्रीय संगठन राज्य चुनाव समिति से प्रत्याशी के लिए तीन-तीन नाम मांगेगा, लेकिन अंतिम फैसला भाजपा हाईकमान ही करेगा। भाजपा के टिकट वितरण में राज्य के नेताओं की नहीं चलने वाली है, हालांकि चुनाव अभियान समिति का मुखिया बनने के लिए राज्य के कई नेता कतार में हैं। माना जा रहा है कि केंद्रीय संगठन के सर्वे और आईबी की रिपोर्ट के आधार पर ही भाजपा 2023 के चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करेगी। जानकारों का कहना है 2023 में छत्तीसगढ़ में भी गुजरात और कर्नाटक का फार्मूला चलेगा। कई दिग्गजों के टिकट काटे जाएंगे। सत्ता में वापसी के लिए भाजपा अपने कई दिग्गजों की टिकट तो काटेगी ही। विधानसभा चुनाव में जीत के लिए संभाग स्तर पर एक केंद्रीय मंत्री और एक राष्ट्रीय पदाधिकारी की तैनाती पर भी विचार चल रहा है। कहा जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव निपटने के बाद भाजपा के कई पदाधिकारी रायपुर में डेरा जमाने वाले हैं।

कौन होगा छत्तीसगढ़ के वन विभाग का मुखिया ?

माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ का नया पीसीसीएफ कौन होगा, यह अगले हफ्ते तय हो जाएगा। संभावना है कि रेरा के चैयरमेन के पद पर नियुक्ति के बाद संजय शुक्ला अगले हफ्ते ही पीसीसीएफ का पद छोड़ देंगे। नए पीसीसीएफ के बारे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वन मंत्री मोहम्मद अकबर फैसला करेंगे। चर्चा है कि वरिष्ठता के चलते सुधीर अग्रवाल नए पीसीसीएफ बन सकते हैं और तपेश झा को पीसीसीएफ वन्य प्राणी बनाया जा सकता है। अभी सुधीर अग्रवाल पीसीसीएफ वन्य प्राणी का काम देख रहे हैं। कहा जा रहा है कि तपेश झा की रूचि पीसीसीएफ वन्य प्राणी बनने में है। अनिल राय राज्य लघु वनोपज संघ में हैं, खबर है कि उनको वहां का मुखिया बना दिया जाएगा। अभी राज्य लघु वनोपज संघ के मुखिया का प्रभार भी संजय शुक्ला के पास है। आशीष भट्ट जून में रिटायर होने वाले हैं, ऐसे में वे जहां हैं, वहां बने रह सकते हैं। संजय ओझा और कुछ वरिष्ठ वन अफसरों के प्रभार में हेरफेर की चर्चा है।

मई में व्यापक प्रशासनिक फेरबदल की चर्चा

चर्चा है कि इस हफ्ते व्यापक प्रशासनिक फेरबदल हो सकता है। सचिवों के साथ कई जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक भी इधर से उधर हो सकते हैं या बदले जा सकते हैं। कुछ एसपी-कलेक्टर अलग-अलग जिले संभालकर फील्ड में लंबा कार्यकाल बिता चुके हैं, उनको बदला जा सकता है। कहा जा रहा है कि सरकार ने नहीं बदला तो आचार संहिता लगने के बाद चुनाव आयोग बदल देगा। वित्त सचिव अलरमेलमंगई डी की छुट्टी से वापसी का इंतजार है। अलरमेलमंगई अभी दो महीने के अवकाश पर हैं। अभी वित्त सचिव की जिम्मेदारी अंकित आनंद संभाल रहे हैं। कई विभाग संभाल रहे कुछ अफसरों को हल्का किए जाने की भी खबर है। माना जा रहा है कि चुनावी साल में सरकार मई-जून में तबादलों पर रोक भी हटा सकती है।

भू-माफियाओं के हौसले बुलंद

लगता है छत्तीसगढ़ में भू-माफियाओं के हौसले बुलंद हो गए हैं। राजधानी में सरकार की नाक के नीचे भू-माफिया आम लोगों की जमीन पर खुलेआम कब्जा कर रहे हैं। लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है, फिर भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। प्रशासन कान में रुई डाल लिया है। पिछले दिनों राजधानी में एक भू-माफिया के खिलाफ आम लोगों ने, जिनमें कुछ महिलाएं भी थी, एक दिन का धरना भी दिया। कहते हैं यह भू-माफिया पहले सरकारी नौकरी करता था, फिर कारोबारी बना। अब भू-माफिया बन गया है। यह भू-माफिया सरकार से करीबी संबंध बताकर आम लोगों के साथ पुलिस और प्रशासन के लोगों को धौंस भी देता है। कहा जा रहा चुनावी साल में सरकार नहीं चेती तो लेने के देने न पड़ जाएं। खबर है कि भू-माफिया ने रायपुर के मोवा, सड्ढू और रायपुरा इलाके में लोगों की जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया है और कब्जा छोड़ने के एवज में मोटी रकम मांग रहा है। पीड़ित लोगों ने न्याय के लिए अब मुख्यमंत्री के दरबार में गुहार लगाने का फैसला किया है। अब देखते हैं क्या होता है ?

शराब मामले में भाजपा नेताओं की चुप्पी चर्चा में

शराब मामले को लेकर झारखंड के भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी काफी मुखर है। कहते है छत्तीसगढ़ की शराब नीति को झारखंड में लागू कर वहां की सरकार उलझ गई है और उसके अफसरों को ईडी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। शराब खरीदी-बिक्री को लेकर छत्तीसगढ़ के अफसर और कारोबारी भी ईडी की चपेट में आए हैं, लेकिन यहां के भाजपा नेता चुप्पी साधे हुए हैं। कहते हैं 2017 में भाजपा शासनकाल में तैयार शराब नीति को ही भूपेश सरकार ने बिना फेरबदल के यहां लागू कर रखी है, उसी नीति के तहत शराब की खरीदी-बिक्री कर अफसर लाल और कारोबारी मालामाल होकर ईडी के मकड़जाल में फंस गए हैं। भाजपा शासनकाल में नियुक्त एक अफसर को ही छत्तीसगढ़ और झारखंड में शराब कारोबार का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। चर्चा है कि इसके चलते छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं को शराब खरीदी-बिक्री मामले में सांप सूंघ गया है। अब वे वक्त का इंतजार कर रहे हैं।

इस हफ्ते ईडी कर सकती है बड़ी कार्रवाई

कहा जा रहा है कि ईडी छत्तीसगढ़ में इस हफ्ते कोई बड़ी कार्रवाई कर सकती है। चर्चा है कि किसी राजनेता के खिलाफ एक्शन हो सकता है। वैसे ईडी के एक्शन के खिलाफ कुछ लोग हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंच रहे हैं , लेकिन उन्हें राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। ईडी ने शराब मामले में जिस तरह झारखंड के अफसरों को बुलाकर बयान लिया है, उससे साफ़ है कि छत्तीसगढ़ में भी आने वाले दिनों में शराब मामले की जांच तेज करेगी। वैसे कहा जा रहा है कि शराब मामले में ईडी छत्तीसगढ़ के कुछ टॉप अफसरों को बुलाकर पूछताछ कर चुकी है। कुछ का इंतजार कर रही है। ईडी के अगले कदम का लोगों को बेसब्री से इंतजार है।

कांग्रेसी कार्यकर्ता असमंजस में

कहते हैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदलने की चर्चा के कारण कार्यकर्ता ऊहापोह की स्थिति में हैं। मोहन मरकाम को बदले जाने की खबरें लगातार चल रही है। विकल्प भी सामने आ रहे हैं , लेकिन ठोस फैसला न होने कार्यकर्ता लाइन तय नहीं कर पा रहे हैं। मोहन मरकाम भी संगठन पर फोकस करने की जगह क्षेत्र पर ध्यान देने लगे हैं। चर्चा है कि दिल्ली स्तर पर अनिर्णय की स्थिति के चलते असमंजस का माहौल बन रहा है। अब देखते हैं आगे क्या होता है।


(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)

(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )


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