अर्थव्यवस्था पर कोरोना का असर कम करने की कवायद, पूंजीगत खर्चों में आएगी तेजी मसरकार ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए निवेश बढ़ाने और मांग की रफ्तार तेज करने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. सरकार ने पूंजीगत खर्चों को बढ़ाने के इससे जुड़े नियमों में छूट देना शुरू कर दिया है. चूंकि पूंजीगत खर्चों से बिजनेस गतिविधियां बढ़ती है और खरीद-फरोख्त की रफ्तार तेज होती इसलिए सरकार का इस मोर्चे पर पूरा ध्यान है. पूंजीगत खर्चों के तहत मंत्रालयों की ओर से संपत्तियों, उपकरण और एडवांस टेक्नोलॉजी की खरीदारी होती है. आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देने में इसकी अहम भूमिका होती है. इसके लिए अलग से एक बजट निर्धारित किया जाता है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक सरकार ने सभी मंत्रालयों से कहा है कि उसने मंत्रालय के मासिकऔर तिमाही खर्चों को लेकर कैश मैनेजमेंट से जुड़ी जो नियंत्रण लगाए थे वे पूंजीगत खर्चों के मामले में अगले आदेश तक लागू नहीं होंगे. मंत्रालय अपनी जरूरत के हिसाब से पूंजीगत खर्च कर सकेंगे. हालांकि बजट में उनके लिए जितना खर्च निर्धारित किया गया है, वे उतना ही खर्च कर सकते हैं. मंत्रालयों को अपनी कैटेगरी के हिसाब से मासिक और तिमाही बजट के तय हिस्सा ही खर्च करने की अनुमति होगी.
दरअसल सरकार की सबसे बड़ी चिंता मांग पैदा करना है. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से आर्थिक गतिविधियों पर चोट पड़ी है. इससे मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों की गतिविधियां धीमी हुई हैं. यही वजह है कि सरकार इसमें तेजी लाना चाह रही है. पूंजीगत खर्चों को अगर रफ्तार दी जाए तो ऐसा हो सकता है. कोरोना के पिछले संक्रमण के दौर में भी यही स्थिति आई थी. इससे अर्थव्यवस्था में आई गिरावट से देश अभी उबरा नहीं है लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस बार कुछ बड़े कदम उठाए जा सकते हैं .
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