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कोरोना का कहर : भारत के इन्वेस्टमेंट ग्रेड स्टेटस पर लटकी तलवार

कोरोना संक्रमण का असर भारत की रेटिंग पर तो पड़ा ही है, अब निवेश के लिहाज से इसकी रेटिंग पर डाउनग्रेडिंग की तलवार लटक रही है. फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाली  कंपनी यूबीएस का कहना है कि भारत जल्द ही जंक रेटेड ब्राजील और अर्जेंटीना के बाद तीसरा बड़ा कर्जदार देश बन जाएगा. भारत अगर अपने कर्ज को स्थिर करना चाहता है या इसे घटाना चाहता है तो इसे दस फीसदी की दर से ग्रोथ करना होगा. फिलहाल ऐसा मुश्किल लग रहा है. पिछले साल जब कोरोना संक्रमण की वजह से देश भर में पूरा लॉकडाउन लगाया गया था तो भारत की आर्थिक विकास दर 24 फीसदी घट गई थी. यूबीएस का कहना है कि भारत के इनवेस्टमेंट ग्रेड की डाउनग्रेडिंग हो सकती है.

यूबीएस के हेड ऑफ इर्मजिंग मार्केट स्ट्रेटजी मानिक नारायण ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए सवाल यह नहीं है कि इनवेस्टमेंट डाउनग्रेडिंग होगी या नहीं बल्कि सवाल यह है कि यह कब होगी. अगर भारत की इन्वेस्टमेंट ग्रेड की डाउनग्रेडिंग होती है तो यह पहली बार नहीं होगा. इसके पहले भी देश 1991 में भारत अपना इनवेस्टमेंट ग्रेड गवां चुका है. अगर भारत को अपना इनवेस्टमेंट ग्रेड बरकरार रखना है तो इसे दस फीसदी की दर से आर्थिक विकास दर हासिल करना होगा. मौजूदा स्थिति में सरकार के पास जो संसाधन है उसमें यह संभव नहीं दिखता. वर्ल्ड बैंक के के आंकंड़ों के मुताबिक 1988 के बाद से भारत इस विकास दर के आसपास भी नहीं रहा है.

भारत के आर्थिक मामलों के मंत्रालय के पूर्व सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का कहना है कि सरकार का दहाई अंक का घाटा कर्ज की स्थिति सरकार की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है. हालांकि उनका मानना है कि रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग अब आगे डाउनग्रेड नहीं करेंगी. हाल में कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत के विकास दर अनुमान में गिरावट दर्ज कराई है.

 

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