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नया संसद भवन और पुराना विपक्ष

राकेश अचल

देश को नया नेता मिलेगा तब मिलेगा लेकिन नया संसद भवन 28 मयी 2023 को मिल जाएगा। नया संसद भवन मौजूदा सरकार का एक सपना था। इसके निर्माण पर 862 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गयी है । नए संसद भवन का लोकार्पण कौन करे ,इसको लेकर पुराना विपक्ष एकजुट हो रहा है । विपक्ष चाहता है कि नए संसद भवन का लोकार्पण प्रधानमंत्री को नहीं बल्कि राष्ट्रपति को करना चाहिए। कांग्रेस सहित देश के तमाम गैर भाजपा दल नए संसद भवन के लोकार्पण समारोह का बहिष्कार करने पर आमादा है।
पिछले एक दशक में राजनीति में सौजन्यता का स्थान नफरत ने ले लिया है। सियासत अदावत का दूसरा नाम हो गया है । संवाद के रिश्ते लगभग रहे ही नहीं हैं,और शायद इसीलिए नए संसद भवन का लोकार्पण भी राजनीति की भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है। मौजूदा सरकार भी इस बहाने विपक्ष की कथित संकीर्णता को उजागर करने के लिए कमर कैसे बैठी है। सरकार नए संसद भवन का लोकार्पण प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से ही करके मानेगी। सरकार कांग्रेस के नेतृत्व में एकजुट हो रहे विपक्ष के सामने झुकने वाली नहीं। सरकार वो ही करेगी जो उसने सोच लिया है ,और बहुत पहले सोच लिया है।

दरअसल नए संसद भवन का मूल विचार भाजपा का नहीं बल्कि कांग्रेस का है। आप कह सकते हैं कि नया संसद भवन वक्त की जरूरत है न कि राजनीति की लेकिन राजनीति हो रही है। मौजूदा संसद भवन के पुराने ढांचे के साथ भविष्य की चिंताओं के कारण 2010 में मौजूदा संसद भवन के स्थान पर एक नए संसद भवन के प्रस्ताव आया था। तत्कालीन अध्यक्ष मीरा कुमार ने 2012 मे वर्तमान भवन के लिए विकल्पों का सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन किया था । संसद की मौजूदा इमारत 93 साल पुरानी है और समय के साथ इस इमारत में अनेक समस्याओं ने जन्म ले लिया है।
नए संसद भवन का लोकार्पण प्रधानमंत्री जी करें या राष्ट्रपति ये सर्वदलीय बैठक के जरिये तय किया जा सकता था,लेकिन सबका साथ ,सबका विकास का नारा देने वाली सरकार इस मुद्दे पर अकेले ही फैसला ले चुकी है कि प्रधानमंत्री जी ही नए संसद भवन का लोकार्पण करेंगे। उन्हें ऐसा करने का हक है क्योंकि वे ही इस समय देश में सबसे बड़े और महत्वपूर्ण व्यक्ति है। राष्ट्रपति से भी बड़े। वे राष्ट्रपति को उतना ही महत्व देना चाहते हैं जितने की हकदार वे हैं।
नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दल 28 मई को समारोह का बहिष्कार कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया। जल्द ही सदन के सभी नेता एक संयुक्त बयान जारी कर सकते हैं। इसमें कार्यक्रम के संयुक्त बहिष्कार की घोषणा की जाएगी।कर्नाटक में विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा की अप्रत्याशित पराजय के बाद बिखरे हुए विपक्ष में नयी जान आ गयी है। विपक्ष अब विरोध का कोई भी मौक़ा नहीं गंवाना चाहता ,यहां तक कि नए संसद भवन के लोकार्पण को भी उसने इसक एकता के लिए इस्तेमाल किया है।

लोकार्पण समारोह से राष्ट्रपति को अलग रखने को मुद्दा बनाकर कांग्रेस के अलावा आप, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने कहा भी उद्घाटन समारोह में शिरकत नहीं करने का ऐलान कर दिया है। आप नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि संसद भवन के उदघाटन समारोह में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू जी को आमंत्रित न करना उनका घोर अपमान है। यह भारत के दलित आदिवासी और वंचित समाज का अपमान है। संजय ने कहा कि राष्ट्रपति को आमंत्रित नही करने के विरोध में आम आदमी पार्टी उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करेगी।
इस मुद्दे पर सबके अपने-अपने तर्क हैं। राज्यसभा में टीएमसी के नेता डेरेक ओ’ब्रायन कहते हैं कि संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है। यह पुरानी परंपराओं, मूल्यों, मिसालों और नियमों के साथ एक प्रतिष्ठान है। यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है। प्रधानमंत्री मोदी शायद यह नहीं समझते। उनके लिए रविवार को नई इमारत का उद्घाटन ‘मैं, मेरा और मेरे लिए’ से ज्यादा कुछ नहीं है। इसलिए हमें इससे बाहर ही समझें। भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा कि उनकी पार्टी समारोह में शामिल नहीं होगी।

नए संसद भवन के लोकार्पण समारोह का सबसे पहले विरोध करने वाली कांग्रेस है। कांग्रेस समेत और कई अन्य विपक्षी नेताओं का मानना है कि पीएम की बजाय राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों ही होना चाहिए। मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा । विपक्ष ने इस अवसर को विरोध के लिए क्यों चुना ये समझने की बात है ।
आपको याद होगा कि 10 दिसंबर 2020 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भवन की आधारशिला रखी थी । समारोह में तमाम धार्मिक प्रमुखों को आमंत्रित किया गया था। नई दिल्ली में अन्य परियोजनाओं के साथ-साथ राजपथ को पुनर्जीवित करने, प्रधान मंत्री के लिए एक नया कार्यालय और निवास बनाने और सभी को मिलाने के साथ, केंद्रीय विस्टा पुनर्विकास परियोजना शुरू कीगयी थी। ये इमारत शुरू से विवादास्पद रह। पर्यावरणप्रेमी इस इमारत की अनुमति के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय तक गए। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर ने अदालत में परियोजना के खिलाफ प्राप्त दलीलों के समाधान तक सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के शिलान्यास की सशर्त अनुमति दी थी।सेंट्रल विस्टा के रीडिजाइन के वास्तुकार प्रभारी बिमल पटेल है।

पटेल का कहना है कि इस नए भवन की उम्र कम से कम 150 साल होगी। पटेल के मुताबिक़ इसे भूकंप प्रतिरोधी बनाया गया है और यह भारत के विभिन्न हिस्सों से वास्तुशिल्प शैलियों को शामिल किया गया है । नए भवन में लोकसभा और राज्यसभा के लिए प्रस्तावित कक्षों में वर्तमान में मौजूद सदस्यों की तुलना में अधिक सदस्यों को समायोजित करने के लिए बैठने की बड़ी क्षमता होग। सरकार का मानना है कि सांसदों की संख्या भारत की बढ़ती जनसंख्या और परिणामस्वरूप भविष्य के परिसीमन के साथ बढ़ सकती है। लोकसभा को 2026 तक 888 सदस्यों की आवश्यकता हो सकती है। नए परिसर में लोकसभा कक्ष में 888 सीटें और राज्यसभा कक्ष में 384 सीटें होंगी। वर्तमान संसद भवन के विपरीत, इसमें एक केंद्रीय हॉल नहीं होगा और लोकसभा कक्ष में ही संयुक्त सत्र के मामले में 1224 सदस्य होंगे। इमारत के बाकी हिस्सों में मंत्रियों और समिति के कमरों के साथ 4 मंजिलें होंगी।

नया संसद भवन विवादों के साथ बनना शुरू हुआ था और विवादों के बीच ही इसका लोकार्पण होता नजर आ रहा ह। विवादों से बचने के लिए बेहतर था कि सरकार अपने देश के राष्ट्रपति को न सही तो चीन,अमेरिका,रूस के राष्ट्रपति को ही बुला लेती ,लेकिन ये सब हमारे प्रधानमंत्री के मुकाबले में कहीं ठहरते ही नहीं है। सबसे बड़े और सुंदर कर-कमल तो हमारे प्रधानमंत्री जी के ही हैं। वैसे इस मुद्दे पर विपक्ष की भूमिका मेरी समझ से बाहर ह। विरोध के लिए दुसरे तमाम मुद्दे है। नयी इमारत को लेकर इस तरह का व्यवहार स्वस्थ्य राजनीति का प्रतीक नहीं बन सकता। मेरा मानना है कि नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर विपक्ष सत्तारूढ़ दल को एक बार फिर हमलावर होने का अवसर दे रहा ह। मुझे यदि समारोह का निमत्रण मिलता तो मै खुशी-ख़ुशी समारोह में सिरकत करता। लेकिन जब समारोह में राष्ट्रपति को ही नहीं न्यौता जा रहा तो अपने राम किस खेत की मूली हैं।?

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