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कही-सुनी (19 JUNE-22): रेस्क्यू आपरेशन से भूपेश बघेल की निखरी नई छवि

(रवि भोई की कलम से)


जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में बोरवेल में गिरे 10 साल के राहुल साहू को बचाने के लिए जिस तरह रेस्क्यू आपरेशन चलाया गया और सफलता हासिल की गई, वह काबिले तारीफ़ है। इस अभियान से राज्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अलग ही छवि निखरकर जनता के सामने आई और शासन-प्रशासन को लेकर नया नजरिया भी देखने को मिला। राहुल साहू को रेस्क्यू कर मंगलवार की देर रात पिहरीद गांव से अपोलो हॉस्पिटल ले जाते वक्त सड़कों पर खड़े लोग जिस तरह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पक्ष में नारे लगाए, उससे साफ़ लगा कि ‘भूपेश है तो भरोसा है’ का स्लोगन सटीक है। माना जा रहा है कि बोरवेल में गिरे किसी बच्चे को बचाने के लिए अब तक के देश के सबसे लंबे सफल आपरेशन से राजनीतिक दृष्टि से भी मुख्यमंत्री के लिए लाभदायक होगा। कांग्रेस से कुछ-कुछ नाराज चल रहे साहू समाज के लोग मुख्यमंत्री के प्रयास से पार्टी से स्वाभाविक तौर पर जुड़ेंगे। मुख्यमंत्री ने भेंट-मुलाकत कार्यक्रम के बीच भी इस रेस्क्यू आपरेशन की प्रगति की जानकारी ली और दिल्ली में राजनीतिक घटनाक्रम में मौजूदगी के बावजूद राहुल साहू की जान बचाने के लक्ष्य को नहीं भूले। कहते हैं न मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। इस रेस्क्यू आपरेशन में टीम वर्क के साथ जोश-जूनून, जज्बा, जन सहयोग व तकनीक सबका तालमेल देखने को मिला। सफलता और काम हमेशा याद किया जाता रहेगा।

गुस्साए श्री गोपाल व्यास जी

कहते हैं खांटी संघी और पूर्व राज्यसभा सांसद श्रीगोपाल व्यास जी पिछले दिनों राज्य के एक भाजपा नेता के बेटे की शाही शादी से बिफर उठे और गुस्से में समारोह से चले गए। कहा जाता है कि भाजपा नेता ने बड़ा जलसा किया था और पार्टी के नए-पुराने के साथ सरकार में बैठे लोगों और प्रदेश के गणमान्य को न्यौता था। श्रीगोपाल व्यास जी भी मेहमान बनकर गए। चर्चा है कि सादगी और सेवाभाव के लिए ख्यात व्यास जी समारोह की भव्यता देखकर नाराज हो गए। वहां मौजूद पार्टी के लोगों से भाजपा की संस्कृति पर सवाल किए और शादी समारोह का पानी भी नहीं पीने का ऐलान करते चले गए। खबर है कि कुछ लोगों ने पूर्व सांसद और जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज के पूर्व छात्र को समझाने और उनका गुस्सा शांत करने की कोशिश की, लेकिन उन पर ही खरी-खोटी की बौछार होने लगी।

कलेक्टर साहब का कारनामा

कहते हैं राज्य के एक बड़े और चर्चित जिले के कलेक्टर साहब को छत्तीसगढ़ ऐसी भा गई कि यहां डिजाइन किए गए फर्नीचर और दरवाजे-खिड़कियां अपने गृह राज्य भिजवा दिया। चर्चा है कि तीन-चार ट्रकों में लकड़ी का सामान गया है। दो-तीन जिलों में कलेक्टरी और कुछ म्यूनिसपल कार्पोरेशन में कमिश्नरी की जिम्मेदारी संभाल चुके ये साहब फाइलों पर कुंडली मारने के लिए भी चर्चित हो चले हैं। खबर है कि साहब के राज में पटवारी -तहसीलदारों के बल्ले-बल्ले हैं। साहब के जिले में एक तहसीलदार प्रमोशन के बाद भी कई महीने तक चिपका रहा। लोगों ने हल्ला-गुल्ला किया तब जाकर सरकार ने उसे आदिवासी इलाके में पटका ।

भाजपा में दो कार्यकारी अध्यक्ष बनेंगे ?

चर्चा है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा को मजबूत करने के लिए दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। अभी आदिवासी नेता विष्णुदेव साय प्रदेश अध्यक्ष हैं, ऐसे में कहा जा रहा है कि जातीय संतुलन के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के एक-एक नेता को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाएगा। अन्य पिछड़ा वर्ग से साहू समाज से किसी नेता को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की खबर है, क्योंकि अभी कुर्मी समाज के धरमलाल कौशिक नेता प्रतिपक्ष हैं। कहते हैं श्री कौशिक की जगह कुर्मी समाज के ही एक विधायक को नेता प्रतिपक्ष बनाने की बात चली थी। कहा जा रहा है, जिस विधायक को नेता प्रतिपक्ष बनने का आफर दिया गया था, उसने एक साल के लिए जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया।

एपीसीसीएफ के दो पद खाली

कहते हैं वन विभाग में एडिशनल पीसीसीएफ बनने के पात्र अफसर विभाग में अब नहीं बचे हैं। एपीसीसीएफ बनने के लिए निर्धारित सेवा अवधि पूरी करने वाले आईएफएस अफसर फिलहाल विभाग में नहीं हैं। इसके कारण एडिशनल पीसीसीएफ स्तर से अप्रैल में रिटायर यूनुस अली और एसएसडी बड़गैया के पद खाली हैं। पीसीसीएफ स्तर के अधिकारी एसएस बजाज भी इस महीने रिटायर हो जाएंगे। अब वन विभाग राज्य में आईएफएस कैडर के पुनर्गठन का प्रस्ताव भारत सरकार को भेज रहा है, जिसमें एडिशनल पीसीसीएफ स्तर के दो पद को समाप्त कर पीसीसीएफ स्तर के दो पद बढ़ाने की मांग की गई है। खबर है कि कायदे से आईएफएस का कैडर रिव्यू 2018 में हो जाना चाहिए था। 2022 में नए सिरे से प्रस्ताव भेजा जा रहा है। अब कब कैडर रिव्यू होता है, यह देखना है ?
क्या परदेशी डेपुटेशन पर जाएंगे ?

चर्चा है कि देर-सबेर मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं। अंकित आनंद को मुख्यमंत्री का सचिव बनाए जाने के बाद आईएएस अफसर श्री परदेशी के डेपुटेशन में जाने की कयासबाजी शुरू हो गई है। 2003 बैच के आईएएस सिद्धार्थ कोमल परदेशी मुख्यमंत्री के सचिव के साथ पीडब्ल्यूडी और खनिज विभाग के सचिव हैं, वहीँ 2006 बैच के अंकित आनंद ऊर्जा विभाग के सचिव के साथ छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के अध्यक्ष हैं, उन्हें भी मुख्यमंत्री सचिवालय से जोड़ लिया गया है। अंकित आनंद की पोस्टिंग के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय में अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू के अलावा अब चार सचिव हो गए हैं। डॉ. एस. भारतीदासन, डीडी सिंह भी मुख्यमंत्री के सचिव हैं।

ऊबने लगे भाजपाई

कहते हैं रोज-रोज के कार्यक्रम से भाजपा के नेता और कार्यकर्ता बोर होने लगे हैं। इसके चलते भाजपा के कार्यक्रमों में भीड़ कम जुट रही है। इसका उदहारण है 16 जून को रायपुर के बलबीर जुनेजा स्टेडियम में मोदी सरकार के आठ साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में कुर्सियां खाली रहना और केंद्रीय राज्यमंत्री सुश्री रेणुका सिंह के भाषण को कार्यकर्ताओं द्वारा ध्यान से नहीं सुनना। आठ साल पूरे होने के कार्यक्रम के अलावा दूसरे कार्यक्रमों में प्रदेश के अन्य हिस्सों में वैसी भीड़ नहीं जुट रही है,जैसी भीड़ होनी चाहिए। कहा जा रहा है कि प्रदेश इकाई को दिल्ली से कार्यक्रम मिल जाते हैं। प्रदेश इकाई नीचे निर्देशित कर देती है। इसलिए खानापूर्ति चल रही है।

राज्यसभा के झटके से कराहते कांग्रेसी

छत्तीसगढ़ के कई कांग्रेस नेता राज्यसभा में जाने के लिए हाथ-पांव मार रहे थे। इसमें बड़े -छोटे सभी शामिल थे, लेकिन किसी को मौका नहीं मिला। यहां से उत्तरप्रदेश में राजनीति करने वाले राजीव शुक्ला और बिहार की राजनीति में सक्रिय रंजीता रंजन राज्यसभा पहुँच गईं। इससे कई कांग्रेसियों को करारा झटका लग गया। इस झटके से वे अभी तक उबर नहीं पाए हैं। ऐसे कांग्रेसी अब छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया स्लोगन को बेमानी मानने लगे हैं।


(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )


 

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