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मानदंड पूरा करने पर सेहत सुधारने 38 बिजली वितरण कंपनियों को केंद्र से मिलेगी रकम

नई दिल्ली। केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार डिस्कॉम की स्थिति संभालने दूसरी सुधार योजना की शुरुआत करने जा रही है। इस योजना में उन्हें शामिल किया जा रहा है जो पात्रता मानदंड पूरा किया है। इसमें 38 डिस्कॉम के लिए वित्तपोषण की मंजूरी दी गई है।

अधिकारियों ने कहा कि रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत 3 लाख करोड़ की राशि में से 65 प्रतिशत के करीब राशि इन डिस्कॉम के हिस्से आई है। इसमें दर्जनभर राज्य की कंपनियां शामिल हैं।

इस डिस्कॉम में राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, असम, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, केरल, मिजोरम, झारखंड और छत्तीसगढ़ की बिजली वितरण कंपनियां शामिल हैं। बिजली मंत्रालय द्वारा जुलाई 2021 में योजना को अधिसूचित करने के बाद पिछले साल दिसंबर में 52 डिस्कॉम ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) सौंपी थी। आरडीएसएस की घोषणा पिछले साल बजट में की गई थी।

डिस्कॉम के लिए स्वीकृत 1.9 लाख करोड़ रुपये में से करीब 92,000 करोड़ रुपए हानि कम करने के बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए दिए जाएंगे। वहीं 10,000 करोड़ रुपये स्मार्ट मीटर लगाने के लिए आवंटित किए गए हैं। शेष राशि राज्य विशेष के लिए परियोजनाओं के लिए है, जिससे उनके डीपीआर के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहले चरण में डिस्कॉम घाटा कम करने की पहल पर ध्यान देंगी और दूसरे चरण में वे व्यवस्था मजबूत करने पर ध्यान देंगी। केंद्रीय बिजली सचिव आलोक कुमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि आरडीएसएस के तहत मंत्रालय की प्राथमिकता हानि कम करने पर है।

कुमार ने कहा था, ‘हमने राज्यों से कहा था कि पहले चरण में डीपीआर का 50 प्रतिशत लोड घटाने के निवेश जैसे एरियल बंच केबलिंग, फीडर मजबूत करने, स्मार्ट मीटर लगाने आदि पर ध्यान होना चाहिए।’

अधिकारियों ने कहा कि पात्रता मानदंड पूरा करने वाले राज्य/डिस्कॉम को स्टेटमेंट आफ पर्पज (एसओपी) में हानि कम करने व बुनीयादी ढांचे के सृजन को लेकर अनुमान की प्रतिबद्धता जतानी होगी। अधिकारी ने कहा, ‘पूर्व पात्रता मानदंड में इन डिस्कॉम के लिए अनिवार्य किया गया है कि वे लागत प्रभावी शुल्क, तकनीकी व वाणिज्यिक हानि में कमी, मीटर वाले कनेक्शन, लागत राजस्व अंतर को पूरा करने और बिजली उत्पादन कंपनियों का अपना बकाया कम करने की प्रतिबद्धता जताएं।’

जिस राज्य सरकार की डिस्कॉम है, उसे राज्य के विभागों के डिस्कॉम के बकाये को कम करने, नियामकीय संपत्ति कम करने और राज्य बिजली नियामक आयोगों (एसईआरसी) के साथ मिलकर नियमित रूप से बिजली की दरों में बदलाव का काम सुनिश्चित करना होगा।

अधिकारियों ने कहा कि इसके बारे में फैसला करने का सबसे अहम मानदंड कुल तकनीकी व वाणिज्यिक (एटीऐंजसी) हानि कम करना, एसीएस-एएआर (लागत-राजस्व) में अंतर और नियामकीय संपत्ति होंगे।

बिजली मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सभी डीपीआर और डिस्कॉम की प्रगति को जल्द ही एक सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर दिया जाएगा और इसे समय समय पर अद्यतन किया जाएगा।’

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