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सावधान : शोध में दावा- फ्रीज में रखे मांस पर 30 दिन जिंदा रह सकता है कोरोना के वायरस

नई दिल्ली। कोरोना को लेकर एक और बात सामने आई है। मांस खाने के शौकीनों के लिए यह शोध निराश करने वाली है। खासकर जो बचे मांस हैं जिन्हें लोग फ्रीज में रख देते हें उनके लिए खतरे की घंटी है।

मामले में कोरोना महामारी फैलाने वाले सॉर्स-कोव-2 वायरस (SARS-CoV-2) को लेकर एक अध्ययन में बड़ा दावा किया गया है। अमेरिकी शोध में पाया गया है कि फ्रीज या फ्रीजर में रखे मांस व मछलियों में यह वायरस 30 दिनों तक जिंदा रह सकता है।

कोरोना को लेकर दुनियांभर में लगातार शोध हो रहे हैं। इसी के तहत एप्लाइड एंड एनवायर्नमेंटल माइक्रोबायोलॉजी जर्नल में हाल ही में प्रकाशित एक शोध में यह दावा किया गया है। सॉर्स-कोव-2 वायरस के समान स्पाइक्स वाले चिकन, बीफ, पोर्क और सरोगेट वायरस का उपयोग करके यह अध्ययन किया गया था।

इस मामले में शोधार्थियों ने मांस व मछली उत्पादों को फ्रीज में चार डिग्री तापमान पर रखा था, जबकि फ्रीजर में इन्हें माइनस 20 डिग्री तापमान पर रखा था। अमेरिका में कैंपबेल यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर, अध्ययन की प्रथम लेखिका एमिली एस बेली ने कहा कि आप 30 दिनों तक मांस को फ्रीज में स्टोर नहीं कर सकते हैं, लेकिन आप इसे फ्रीजर में लंबे समय तक स्टोर कर सकते हैं।

बेली ने एक बयान में कहा कि हमने यह भी पाया कि वायरस को लंबे समय तक (जमे हुए रहने के बाद) प्रोसेस किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने यह जानने के बाद अध्ययन किया कि COVID-19 का प्रकोप दक्षिण पूर्व एशिया में सामुदायिक प्रसारण से पहले हो रहा था। बेली ने कहा कि डिब्बाबंद मांस उत्पाद उन इलाकों में तैयार किए जा रहे थे, जहां SARS-CoV-2 वायरस पाया गया था।

ऐसे में यह संक्रमण का सबब बन सकता है। उन्होंने कहा कि हम यह जांचना चाहते थे कि इतने ठंडे वातावरण में समान वायरस जीवित रह सकते हैं या नहीं?

यह शोध महत्वपूर्ण है क्योंकि सॉर्स कोव-2 आंत के साथ-साथ श्वास नली के जरिए भी संक्रमित कर सकता है। आमतौर पर ठंडे तापमान की तुलना में प्रशीतन में उनकी संख्या में अधिक कमी देखी गई है।

उपयोग की जाने वाली खाद्य सामग्री के अनुसार संख्या में कमी भी अलग-अलग हो सकती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि खाद्य पदार्थों और श्रमिकों के हाथों तथा बर्तनों जैसे चाकू आदि से संक्रमण रोकने की जरूरत है। इन खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग से पहले इनका कीटाणु से पर्याप्त बचाव जरूरी है।

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