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13 साल बाद फैसलाः माओवादियों को आम आदिवासी बताने वाले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 5 लाख का जुर्माना

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के बस्तर में फोर्स ने 13 साल पहले नक्सलियों को मारा था। घटना को गलत साबित करने के लिए मारे गए नक्सलियों को आम आदिवासी बताया था। मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय देते हुए बड़ा झटका दिया है।

फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हिमांशु कुमार पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हिमांशु कुमार द्वारा नक्सलियों की मौत की जांच को लेकर लगाई गई याचिका को भी खारिज कर दिया है।

मामले में जानकारी अनुसार 2009 में सुकमा जिले के गोमपाड़ में सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में 16 नक्सलियों को मार गिराया था। इस घटना के बाद एक आदिवासी महिला ने दावा किया कि सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में नक्सलियों को नहीं बल्कि निर्दोष ग्रामीणों की हत्या की है। इस मामले ने तूल पकड़ा और यहां के सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार व 12 अन्य लोगों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले में 13 साल की सुनवाई के बाद फैसला आया है।

जस्टिस एएम खानविलकर और जेबी पारदीवाला की पीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता हिमांशु कुमार पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। निर्णय में सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार को पांच लाख रुपए का जुर्माना चुकाने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।

बिठाई जा सकती है जांच
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में केवल झूठा अरोप लगाए जाने का ही नहीं बल्कि आपराधिक साजिश रचने पर भी कार्रवाई की जा सकती है। यही नहीं इस मामले में केन्द्रीय जांच एजेंसी द्वारा कोर्ट से जांच की मांग का भी अनुरोध किया गया है। बताया जा रहा है कि कोर्ट ने अनुरोध मान लिया है और इस मामले को लेकर कभी जांच बैठाई जा सकती है।

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