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7 की बजाय जेल में रहा 10 साल, सुप्रीम कोर्ट का फैसला, रेप के आरोपी को राज्य सरकार देगी 7.50 लाख

जशपुर। जिले के जेल में रेप के आरोप में बंद एक बंदी की मेहनत रंग लाई। उन्हें सात की जगह 10 साल की सजा दे दी गई थी। मामले में बंदी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। फैसले से बंदी के भाग्य खुल गए। राज्य सरकार बंदी को जुर्माना देगी।

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला रेप के आरोपी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी आरोपी को 3 साल ज्यादा सजा काटनी पड़ी थी।

मामले में 10 साल की सजा काटकर रिहा हुए रेप के आरोपी को बतौर जुर्माने के तौर पर राज्य सरकार को 7 लाख रुपए 50 हजार रुपए देने होंगे।

पूरा मामला छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले का है। जिले के फरसाबहार थाना क्षेत्र के तहत ग्राम तमामुंडा का रहने वाले भोला कुमार को रेप के एक मामले में लोवर कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लोवर कोर्ट के इस फैसले को भोला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

हाईकोर्ट ने इस फैसले को बदल दिया और उसकी सजा को 7 साल का कर दिया। 7 साल की सजा पूरी होने के बाद भी उसे रिहाई नहीं मिली। इसके बाद उसने अंबिकापुर जेल में रहते हुए ही सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा था। उसे पूरे 10 साल तक जेल में रहना पड़ा।

ऐसे चली सुनवाई
बंदी के पत्र को स्पेशल लिव पीटिशन (SLP) के रूप में सुप्रीम कोर्ट की डब बेंच ने स्वीकार करते हुए इसकी सुनवाई शुरू की। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा तैयार दस्तावेजों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने पहले अंबिकापुर जेल प्रशासन के दस्तावेज जुटाए और इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश के दस्तावेज जमा किए। दोनों दस्तावेजों परिक्षण में सबकुछ सही पाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई को इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली।

जल प्रबंधन ने कहा मुझे फैसले की सूचना नहीं मिली
इसके बाद आरोपी भोला कुमार को रिहा करने का आदेश जारी किया। सुप्रीम के आदेश जारी करने पहले तक वह 10 वर्ष की सजा पूरा कर चुका है। इस मामले में जेल प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि उन्हें हाईकोर्ट के फैसले की सूचना नहीं दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने जेल प्रबंधन की इस दलील को नहीं माना।

कोर्ट ने जेल प्रबंधन की लापरवाही को माना जिम्मेदार
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे प्रकरण में जेल प्रबंधन की लापरवाही को जिम्मेदार मानते हुए अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2018 में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले की जानकारी नहीं होने की बात कहना तथ्यहीन है।

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में सजा पूरी होने के बाद भी जेल में बंद रहे भोला कुमार को बातौर मुआवजा 7 लाख 50 हजार रुपए देने राज्य सरकार को आदेशित किया है।

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