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आंखों से दिव्यांग, सुरों की सरताज: मधुर आवाज से कर देती है मंत्रमुग्ध

गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही। मनुष्य जब इस दुनियां में जन्म लेता है तो घर में खुशियां छा जाती है। माता-पिता नन्हें से बच्चे को गोद में लेकर हजारों सपने संजोने लगते हैं। पर जब उन्हें पता चलता है कि बच्चे के शरीर में कुछ कमी है, तो वह दुखी हो जाता है। पर उपर वाला ऐसे बच्चों को खास तरह के गुण के साथ जमीन पर भेजता है।

समय अनुसार जब वह गुण दुनियां के सामने आता है और सभी ओर उसकी सराहना होती है तो माता-पिता के दिल में खुशिय़ां छा जाती है। उपर वाले को धन्यवाद देते हुए पालक की आंखों में खुशियों के आंसू आ जाते हैं। ऐसी ही एक बच्ची सामने आई है। कहा भी गया है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती।

जी हां.. अपनी सुरीली आवाज से छत्तीसगढ़ का राजगीत गाते हुए 12 साल की बच्ची का वीडियो वायरल हो रहा है। आंखों से दिव्यांग फिर भी अपनी मधुर आवाज से सुनने वालों को मंत्र मुग्ध कर रही है। उनकी आवाज सुनकर दूर से लोग खींचे चले आते हैं।

पिछड़ी जनजाति बैगा परिवार की है
विकासखंड गौरेला के वनांचल ग्राम साल्हेघोरी के मिडिल स्कूल ऊपरपारा में 7वीं कक्षा में पढ़ने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा छात्रा कुमारी क्रांति लोगों को अपने सुमधुर आवाज से गीत पेश कर मंत्र मुग्ध कर रही है।

राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र है परिवार
पिता ज्ञानचंद बैगा के अनुसार बचपन से ही नेत्र से 100% दिव्यांग होने के कारण देख नहीं सकती है, लेकिन बेटी को गायन में विशेष रुचि है। मैकल पर्वत की तराई के जिस गांव में छात्रा रहती है यह पूरा इलाका अत्यंत पिछड़ा है। जहां सबसे ज्यादा बैगा परिवार निवास करते हैं। इन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी माना जाता है।

बस प्रोत्साहन की है आवश्यकता
यह परिवार गरीबी के कारण और समुचित स्वास्थ्य संबंधित जानकारी के अभाव में अपने नेत्र का इलाज नहीं करा पाया। राज्य सरकार और जिला प्रशासन द्वारा इस छात्रा को विशेष प्रोत्साहन दिया जाए तो संभवतः नेत्रों से दिव्यांग इस छात्रा को रोशनी प्रदान की जा सकती है। इसकी प्रतिभा में और निखार आ सकता है।

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