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गुरु पूर्णिमा को क्यों कहते हैं व्यास पूर्णिमा? करें ये उपाय तो प्रसन्न होंगे गुरु

हिंदू धर्म के अनुयायियों के बीच पूर्णिमा तिथि का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. जब यह पूर्णिमा तिथि आषाढ़ मास के शुक्ल में होती है तो इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते है. धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरुओं के नमन और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान के प्रति आभार व्यक्त करने का है. इस दिन भक्त अपने गुरु का आदर सम्मान करते हैं और उन्हें यथा शक्ति गुरु दक्षिणा प्रदान कर कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं.

धार्मिक मान्यता है कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को वेद व्यास जी का जन्म हुआ था. इस लिए इसे गुरु पूर्णिमा के साथ व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं.  इससे आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. साल 2021 में गुरु पूर्णिमा यानी व्यास पूर्णिमा 24 जुलाई को पड़ रही है. माना जाता है कि वेदव्यास जी ने ही पहली बार चारों वेदों का ज्ञान दिया था. इस लिए महर्षि व्यास जी को पहले गुरु की उपाधि दी गई है.

करें ये उपाय घर में आएगी सुख समृद्धि  

धार्मिक मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन इस छोटे से उपाय को करने से घर में सुख –समृद्धि आती है. मनोकामना पूरी होती है. धन का आगमन बना रहता है.

  1. गुरु पूर्णिमा को गुरु का आदर और सम्मान करना चाहिए.
  2. गुरु पूर्णिमा के दिन जरूरतमंद लोगों को पीले अनाज, पीले वस्त्र और पीली मिठाई का भोग लगाकर दान करें. आर्थिक तंगी से निजात मिलेगा.
  3. गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से श्रद्धा पूर्वक पूजा –अर्चना करने और जरूरत मंद लोगों को अन्न दान करने से कुंडली का गुरु दोष समाप्त होता है.
  4. गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नानादि के बाद कुमकुम के घोल से मंदिर के बाएं और दायें तरफ स्वास्तिक का निशान बनाएं और मंदिर में दीपक जलाएं. इससे आपके घर में गृह क्लेश की समस्या दूर होगी और सुख- समृद्धि बनी रहेगी.

 

 

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