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विधानसभा सत्रः सरकारी कर्मचारियों के आंदोलन का उठा मुद्दा, सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

रायपुर। विधानसभा का मानसून सत्र जारी है। कई ऐसे मुद्दे हैं जिसे लेकर विपक्ष सरकार पर हावी है। सोमवार को सदन में सरकारी कर्मचारियों के आंदोलन का मामला गूंजा। बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के 5 दिनों की हड़ताल शुरू है।

सुबह से स्कूल बंद है। सरकारी कार्यालय बंद हैं। सभी विभागों के शासकीय कार्यालयों में ताला लगा हुआ है। ऐसे में जनता अपने काम के लिए भटक रही है। उन्हें पता नहीं कि सरकार व कर्मचारियों के बीच का मामला। लोग कार्यालय पहुंचे तो दफ्तर में ताला लटका मिला।

सरकार ने की वादाखिलाफी
इस मामले पर विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि डीए और अन्य मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों से सरकार ने वादाखिलाफी की। घोषणा पत्र में जो वादे किए गए थे एक भी पूरे नहीं किए गए। हमने इस मामले में स्थगन लाया है, आप चर्चा कराएं।

प्रदेश की हालत बदतर
बीजेपी विधायक अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की हालत आज इतनी बदतर है कि हम चार-चार स्थगन पर चर्चा करना चाहते हैं। इस पर आसंदी ने कहा कि चार में चर्चा कैसे संभव है। इस पर बृजमोहन ने कहा कि संभव है।

छत्तीसगढ़ में ऐसी स्थिति कभी नहीं आई
वहीं नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि प्रदेशभर के और मंत्रालय के कर्मचारी सड़कों पर हैं। एक दिन के लिए नहीं बल्कि पांच दिनों के लिए कार्यालयों में ताला लगा है। छत्तीसगढ़ में ऐसी स्थिति कभी नहीं आई। पूरे प्रदेश में अफरा-तफरी मची हुई है। आखिर जनता कहां जाए और इसका कारण ये सरकार है।

मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे कर्मचारियों से चर्चा करे
कौशिक ने कहा कि साढ़े 3 साल का समय निकल चुका है। धैर्य की सीमा टूटती जा रही है। आखिर कितनी प्रतीक्षा करें। कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर बैठे हुए हैं। मुख्यमंत्री को उन्हें बुलाकर उनसे बातचीत करनी चाहिए। पहले उनके साथ जाकर कई घोषणाएं की थी, लेकिन अब सरकार में आने के बाद मंत्रियों को बोलना चाहिए कि हम आपके साथ खड़े हैं।

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