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शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाला : मुख्य आरोपी पूर्व सीईओ की जमानत याचिका खारिज, चयन समिति के सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए दबिश

रायपुर। 15 साल पहले फर्जी शिक्षाकर्मी नियुक्ति के मामले पर अब जाकर दोषियों पर कार्रवाई हुई है। इस मामले के प्रमुख आरोपी तत्कालिक सीईओ कमलाकांत तिवारी को मगरलोड पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। मामले की सुनवाई के बाद विशेष न्यायालय ने कमलाकांत की जमानत याचिका खारिज कर दिया। आरोपी वर्तमान में जिला परियोजना अधिकारी दुर्ग में पदस्थ हैं।

यह मामला ब्लॉक मुख्यालय मगरलोड के जनपद पंचायत का है। जहां 2007 में बड़ी संख्या में फर्जी शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति की गई थी। इस मामले के प्रमुख आरोपी तत्कालिक सीईओ कमलाकांत तिवारी को मगरलोड पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उन्हें न्यायालय में पेश किया गया, जहां सुनवाई के बाद विशेष न्यायालय ने कमलाकांत की जमानत याचिका खारिज कर दी है।

प्रार्थी आरटीआई कार्यकर्ता की दलील काम आई
मामले में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता फैजल रिजवी रायपुर और अनिल तिवारी दिल्ली से विशेष न्यायालय एसटी एससी में उपस्थित होकर न्यायाधीश केएल चरयानी के सामने जमानत याचिका प्रस्तुत किया। प्रस्तुत दस्तावेज एवं वकीलों का पक्ष सुनने के बाद प्रार्थी आरटीआई कार्यकर्ता कृष्ण कुमार साहू की भी दलील सुनी गई।

मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी के बाद चयन समिति के सदस्य गायब
शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक साहिल अली हाशमी ने भी इस मामले में अपना पक्ष रखा, जिसके बाद विशेष न्यायालय ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया। इधर जनपद पंचायत मगरलोड में 15 साल पहले बड़ी संख्या में फर्जी शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाला में सीईओ केके तिवारी की गिरफ्तारी के बाद चयन एवं छानबीन समिति के कई सदस्य फरार हो गए हैं। पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए गुप्त ठिकानों पर दबिश दे रही है।

हाईकोर्ट में भी याचिका खारिज हुई थी
बता दें कि इसके पूर्व भी आरोपियों ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई थी। वहां भी खारिज किया जा चुका है। मामले में 2007 में शिक्षाकर्मी भर्ती में भारी पैमाने पर अनियमितता बरती गई थी, जिसमें फर्जी तरीके से फर्जी डिग्री, राज्यपाल के फर्जी हस्ताक्षर, फर्जी खेलकूद प्रमाण पत्र, फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र, कूट रचना की गई थी।

इन्होंने की कूटरचना
वहीं जानबूझकर चयन एवं छानबीन समिति के पदाधिकारियों ने मिलीभगत कर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया था। इसकी जानकारी सूचना के अधिकार से निकालकर 2011 से कृष्ण कुमार साहू लगातार शासन-प्रशासन को इस मामले से अवगत कराता रहा। लंबे अंतराल के 11 साल तक जांच चलती रही।

132 पदों पर फर्जी शिक्षाकर्मी की नियुक्ति
मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सीआईडी रायपुर को सौंपा गया था, जिसमें 132 पदों पर फर्जी शिक्षाकर्मी की नियुक्ति करना पाया गया। जांच में अधिकतर प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया।

आरोपियों को पकड़ने लगातार दबिश
मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी के बाद मगरलोड एवं जिला पुलिस लगातार फर्जी शिक्षाकर्मी भर्ती करने वाले लोगों व फर्जी शिक्षाकर्मी में कार्यरत लोगों की पतासाजी कर रही है। उन्हें गिरफ्तार करने पूरे क्षेत्र में जाल बिछा दिया गया है। शीघ्र ही फर्जी शिक्षाकर्मी भर्ती करने वाले चयन एवं छानबीन समिति के साथ फर्जी डिग्रीधारी जो नौकरी कर रहे हैं उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।

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