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हरियाली अमावस्याः ईश्वर का आभार मानने के साथ प्रकृति के लिए कुछ अच्छा करने का दिन

प्रवीर गांगुली, रायपुर। गुरुवार 28 जुलाई को सावन महीने की अमावस्या है। महादेव शिव का प्रिय माह श्रावण का कृष्ण पक्ष की अमावस्या, जो इस बार 28 जुलाई को है, इसे हरियाली अमावस्या कहते हैं। यह पर्व प्रकृति का आभार मानने के साथ प्रकृति के लिए कुछ अच्छा करने का दिन है। इसे हरियाली अमावस्या कहते हैं।

सावन मास की अमावस्या को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा का विधान है। इस दिन सुहागिनें श्रृंगार का सामान बांटती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरियाली अमावस्या के दिन पीपल के मूल भाग में जल, दूध चढ़ाने से पितृ तृप्त होते हैं। शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव शांत होते हैं।

छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार
छत्तीसगढ़ में इसका बड़ा महत्व है। यह राज्य का पहला त्यौहार माना जाता है। खासकर खेती-किसानी से जुड़े लोग घर के सभी तरह के कृषि यंत्रों की पूजा कर अच्छी फसल के साथ सुख-समृद्धि की कामना की करते हैं। वहीं बच्चों के लिए खेल का महत्व है।

पूजन विधि व शुभ मुहूर्त
हरियाली अमावस्या का शुभ मुहूर्त अमावस्या का प्रारंभ 27 जुलाई को रात 09 बजकर 11 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 28 जुलाई को रात 11 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इसके बाद श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा प्रारंभ हो जाएगी।

शिव और पार्वती की पूजा
सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान शिव और पार्वती की पूजा करनी चाहिए। सुहागन महिलाओं को माता पार्वती की पूजा करने के बाद सुहाग सामग्री बांटनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन जो भी महिला सुहाग सबंधी सामग्री जैसे हरी चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी बांटती है उसके सुहाग की आयु लंबी होती है और घर में खुशहाली बनी रहती है।

पीपल व तुलसी की पूजा
हरियाली अमावस्या के दिन पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और प्रसाद में मालपुआ का भोग लगाना चाहिए। जो लोग इस दिन उपवास रखते हैं वो शाम को भोजन ग्रहण करके अपना व्रत खोलते हैं।

ये कहता है भविष्यपुराण
भविष्यपुराण के अनुसार जिसके संतान नहीं है उसके लिए वृक्ष ही संतान है। जो वृक्ष लगाते हैं उनके लौकिक-परलौकिक कर्म वृक्ष ही करते हैं। इसलिए जिनकी संतान नहीं है उन्हें तो अवश्य पौधे लगाने चाहिए। वृक्ष में विद्यमान देवी-देवता पूजा करने वालों की इच्छा पूर्ण करते हैं। दिन-रात ऑक्सीजन देने वाले पीपल में ब्रह्मा, विष्णु व शिव का वास होता है। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए कदम्ब या आंवले का पौधा लगाना चाहिए।

खुशहाली के लिए करें ये उपाय
वहीं मान्यता है कि हरियाली अमावस्या पर कुछ खास कार्य करने से जीवन में खुशहाली आ सकती है। आइए जानते हैं कौन से हैं वो काम। अमावस्या पर पूजा-पाठ के साथ ही पौधारोपण भी जरूर करना चाहिए। अगर पौधे राशि अनुसार लगाएंगे तो हरियाली बढ़ेगी और कुण्डली के दोष दूर हो सकते हैं।

पौधारोपण
हरियाली अमावस्या पर पौधे लगाने की परंपरा है। मान्यता है इस दिन पौधारोपण कर उन पौधों की देखभाल का संकल्प लेने से पितृदोष समाप्त होते हैं। इस दिन आंवला, पीपल, नीम, तुलसी, वटवृक्ष का पेड़ लगाने से पुण्य फल मिलता है।

पितृ शांति
कुंडली में पितृदोष होने से जातक का जीवन तनाव युक्त रहता है। मांगलिक कार्यो में बाधाएं आती हैं। ऐसे में अमावस्या पर पितरों की शांति दक्षिणाभिमुख होकर तर्पण करना चाहिए। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद तर्पण करें और फिर पितृसूक्त का पाठ करें।

दीपदान
हरियाली अमावस्या पर दीपदान करने से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। घर में सुख समृद्धि आती है। इस दिन शनिदेव के समक्ष दीपक लगाकर उनकी आराधना करें। साथ ही आटे के दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करें। इससे जीवन से अंधकार मिटते हैं और खुशियों का आगमन होता है।

अन्नदान
हरियाली अमावस्या पर अन्न दान से पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है। इस दिन किसी जरूरतमंदों को चावल, गेहूं, ज्वार की धानि का दान करना चाहिए। साथ ही किसी ब्राह्रण को भोजन कराएं।

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