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सोयाबीन की कीमतों में आया जबरदस्त उछाल, पोल्ट्री इंडस्ट्री के लिए चिंता का विषय

विदेशी बाजारों में तेजी आने के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को मंडियों में सरसों की आवक घटने और वायदा कारोबार में भाव टूटने से तेल-तिलहन के भाव में गिरावट दर्ज की गई. हालांकि, सोयाबीन की कमी होने के कारण सोयाबीन और सीपीओ सहित विभिन्न खाद्य तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ. बाजार सूत्रों ने बताया कि शिकॉगो एक्सचेंज में 0.5 प्रतिशत और मलेशिया एक्सचेंज में एक प्रतिशत की तेजी आई.

सोयाबीन में लगातार तीसरे दिन ऊपरी सर्किट लगा है. पिछले 3 सेशन में ही कीमतें करीब 18 परसेंट बढ़ चुकी हैं. सोयाबीन की सप्लाई काफी तंग है, वहीं फसल आने में भी अभी 2 महीने से ज्यादा का समय बाकी है. लेकिन इसके बावजूद इंडस्ट्री वायदा में इतनी तेजी को जायज नहीं मान रही है. SOPA ने एक्सचेंज को चिट्ठी लिखकर सट्टेबाजी की आशंका जताई है और कीमतों पर नियंत्रण के लिए उचित कदम उठाने की मांग की है.

सरकार से डीओसी के निर्यात पर रोक लगाने की मांग 

सूत्रों का मानना है कि स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए सरकार को डीओसी के निर्यात पर रोक लगा देनी चाहिए. सोयाबीन की बढ़ती मांग को देखते हुए राजस्थान के नीमच में सोयाबीन दाना का प्लांट डिलिवरी भाव 9,225 रुपए क्विन्टल हो गया. वहीं, महाराष्ट्र के नांदेड में सोयाबीन दाना का प्लांट डिलिवरी हाजिर भाव 9,600 रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. इससे पॉल्ट्री वालों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. सोयाबीन की अगली फसल अक्टूबर में आएगी. सरसों संवर्धन परिषद के एक विशेषज्ञ ने कहा कि सरसों की अगली फसल आने में लगभग सात-आठ महीने की देर है और मार्च-अप्रैल के दौरान सरसों से रिफाइंड बनएये जाने के कारण सरसों की मौजूदा किल्लत हुई है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में सरसों की किल्लत और बढ़ेगी.

 

 

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