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छत्तीसगढ़ भवन में ‘हरेली’ की धूम, दिल्ली में दिखी छत्तीसगढ़ी संस्कृति और पर्व की झलक, पकवानों की खुशबू भी उड़ी

नई दिल्ली। प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण का लोक पर्व व छत्तीसगढ़ का प्रथम त्यौहार ‘हरेली’ पर देश की राजधानी नई दिल्ली के छत्तीसगढ़ भवन में उत्साह के साथ मनाया गया। जहां छत्तीसगढ़ की संस्कृति की झलक देखने को मिली।

बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के तीज-त्यौहार, परंपरा एवं संस्कृति को आगे बढ़ाने की पहल की है। दिल्ली में लोग राज्य की लोक संस्कृति से जुड़ सकें इसके लिए छत्तीसगढ़ भवन में हरेली पर्व का आयोजन किया गया। हरेली पर नई दिल्ली के लुटिएन्स ज़ोन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही छत्तीसगढ़ी पकवानों की खुशबू भी बिखरी। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों का भी दिल्लीवासियों ने जमकर लुत्फ उठाया।

मामले में मुख्यमंत्री बघेल का कहना है कि आयोजन का उद्देश्य लोगों को अपनी परंपरा और संस्कृति से जोड़ना है, ताकि लोग छत्तीसगढ़ की समृद्ध कला-संस्कृति, तीज-त्यौहार एवं परंपराओं पर गर्व की अनुभूति कर सकते हैं।

छत्तीसगढ़ का लोक पर्व ‘हरेली’ कृषि परंपरा और पर्यावरण की महत्ता को दर्शाता है। इसे अंचल का प्रथम त्यौहार माना जाता है। धान की बुआई के बाद किसान हरेली के दिन सभी कृषि एवं लौह औज़ारों की पूजा कर अच्छी फसल और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

इस त्यौहार का विशेष व्यंजन चावल से बना ‘चीला’, चौसेला, खीर आदि है, जिसे प्रसाद स्वरूप बांटा जाता है। हरेली के दिन पुरुष गेड़ी (बाँस से निर्मित) बनाकर उस पर चढ़ने की परंपरा है। छत्तीसगढ़ भवन में हरेली उत्सव के दौरान गेड़ी चढ़ने के पारंपरिक खेल ने लोगों को आकर्षित किया और जिसमें सबने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। यह खेल हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने का संदेश देता है।

दिल्ली में बसे छत्तीसगढ़ के लोगों ने भी मुख्यमंत्री के इस पहल को काफी सराहा। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन राज्य से दूर होने पर भी उन्हें अपनी संस्कृति के करीब रखते हैं। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के आवासीय आयुक्त अजीत वसंत सहित अन्य गणमान्य अतिथि व दिल्ली में रहने वाले छत्तीसगढ़वासी बड़ी संख्या में शामिल हुए।

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