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कही-सुनी (01 AUG.-21): मुख्यमंत्री के लिए भाजपा का सर्वे

samvet srijan

(रवि भोई की कलम से)


कहा जा रहा है भाजपा ने छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के लिए सर्वे करवाया है, जिसके आधार पर दो ओबीसी और एक ट्राइबल नेता का नाम सामने आया है। माना जा रहा है कि भाजपा 2023 में यहां सत्ता में आई तो ओबीसी या ट्राइबल को कमान सौंप सकती है। राष्ट्रीय महासचिव और छत्तीसगढ़ प्रभारी डी. पुरेन्दश्वरी ने किसी चेहरे की जगह यहां विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की बात कर पार्टी की रणनीति का संकेत दे दिया है। सुनने में आ रहा है कि पार्टी 2023 में राज्य में सरकार बनाने के लिए जमीनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में काम करने के साथ भाजपा प्रत्याशी के लिए चेहरों का सर्वे भी शुरू कर दिया है। इसके लिए भाजपा ने तीन एजेंसियों को काम में लगाया है। कहते हैं तीनों एजेंसियों की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी 90 फीसदी सीटों पर नए चेहरे को ही टिकट देने पर विचार कर रही है। लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाले नेताओं को बदलने की भी बात की जा रही है। पार्टी की नजर प्रोफेशनल्स, युवा और पढ़े-लिखे लोगों पर ज्यादा है। खबर है कि वर्तमान 14 विधायकों में से 6 -7 को ड्राप कर वहां से पार्टी नए चेहरे पर दांव लगाने के मूड में है। कुछ सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाने पर भी विचार हो रहा है। पार्टी की रणनीति से कई दिग्गजों का भविष्य खतरे में बताया जा रहा है। कहते हैं नई रणनीति से पार्टी के भीतर खलबली भी मचनी शुरू हो गई है।

क्या पिघल गए टीएस सिंहदेव ?

क्या विधायक बृहस्पत सिंह के माफीनामे से स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पिघल गए, यह सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहा है। कुछ लोग इसे तूफान के पहले की शांति बता रहे हैं , तो कुछ लोग कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई। एक बात तो साफ़ लग रहा है कि बृहस्पत का तीर गलत जगह लग गया और सिंहदेव के सफाए की जगह कांग्रेस का गुब्बारा फूट गया। भाजपा को कांग्रेस पर वार का मौका मिल गया और कांग्रेस में सब कुछ ठीक न होने के उसके आरोप की पुष्टि हो गई। कहते हैं अच्छे बनने के चक्कर में बृहस्पत ने अपने पैर में कुल्हाड़ी मार ली। भाजपा नेता रामविचार नेताम और आईएएस एलेक्स पाल मेनन के खिलाफ बगावती सुर अपनाकर सुर्ख़ियों में आए बृहस्पत कांग्रेस हाईकमान और जनता दोनों की नजर में विलेन बन गए, जबकि सिंहदेव सहानुभूति से लबरेज हो गए। चट्टान जैसे मजबूत बहुमत वाले कांग्रेस में इस घटना के बाद विधायकों के बंटने का खेल भी दिखाई देने लगा है। अब लोगों को कांग्रेस में नई धारा का इंतजार है।

गले की हड्डी बन गई शराबबंदी

छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी राज्य की कांग्रेस सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई। पूर्ण शराबबंदी पर राज्य में पेंच ही पेंच दिखाई पड़ रहा है। शराब आदिवासियों की संस्कृति का हिस्सा होने के साथ सरकारी खजाना भरने का बड़ा स्रोत भी है। कहते हैं कांग्रेस ने चुनावी घोषणापत्र में भले पूर्ण शराबबंदी का वादा किया है, पर उसे अब आदिवासियों की नाराजगी का भय और खजाने की चिंता सताने लगी है। आदिवासी वर्ग कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक है। भाजपा समय-समय पर शराबबंदी के वादे का मुद्दा उछलकर कांग्रेस की दुखती रग पर हाथ रख देता है। विधानसभा में भाजपा सदस्य शिवरतन शर्मा ने अशासकीय संकल्प लाकर सरकार को घेरने की कोशिश की। सरकार ने सदन में शराबबंदी के लिए अध्ययन और दूसरे तर्क की घुट्टी विपक्ष को पिला दी। भाजपा राज में भी शराबबंदी की बात चली थी। दुकानों की संख्या भी घटाई गई थी , पर जमीनी हकीकत से रूबरू होने के बाद भाजपा सरकार ने चुप्पी साध ली। भाजपा भी जानती है कि छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी संभव नहीं है , पर इस बहाने वह कांग्रेस के कपडे उतार लेती है।

ट्रांसपोर्टिंग के लिए कांग्रेसियों में दुश्मनी

कहते हैं बस्तर इलाके में ट्रांसपोर्टिंग को लेकर कांग्रेस के दो ताकतवर नेताओं में दांत काटी दुश्मनी हो गई और मामला कांग्रेस हाईकमान तक पहुँच गया। चर्चा है कि युवा कांग्रेस में दखल रखने वाले एक नेता अपनी ट्रांसपोर्ट कंपनी का फीता कटवाने के लिए बड़े कांग्रेस के दमदार नेता को बुलवाया। ‘अतिथि देवो भवो’ का अनुपालन कर सेवा-सत्कार भी किया गया। ट्रांसपोर्टिंग के काम में मुनाफा सुनकर बड़े कांग्रेस के नेता का मन डोल गया और प्रशासन से कहकर छोटे को बेदखलकर अपना साम्राज्य कायम कर लिया। कहा जाता है युवाओं के बीच दम दिखाने वाला नेता रोता-गाता हाईकमान के पास पहुँच गया। बताया जाता है युवा नेता का राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से ठीक-ठाक संबंध है। चर्चा है भाई-बहन ने बड़े कांग्रेस के नेता को बुलाकर फटकार लगाईं , तो अकल आ गई और वे बड़े होने का रौब-दाब भी भूल गए। इसके बाद अपना सामन समेटकर कारोबार युवा नेता को सौंप कर चलते बने। आजकल इस कांड की बड़ी चर्चा हो रही है।

अब उमेश अग्रवाल चलाएंगे राजस्व मंडल

भूपेश सरकार ने 2004 बैच के आईएएस उमेश अग्रवाल को छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल का सदस्य बनाकर सबको चौंका दिया। सरकार ने राजस्व मंडल के अध्यक्ष सीके खेतान के रिटायरमेंट के बाद वहां किसी सीनियर अफसर को भेजने की जगह फिलहाल सदस्य से ही काम चलने का फैसला किया है। प्रशासनिक दृष्टि से राजस्व मंडल में पोस्टिंग को लूप लाइन माना जाता है, लेकिन उमेश अग्रवाल के लिए यह स्वतंत्र प्रभार वाला पद होगा। गृह विभाग के सचिव के तौर पर उमेश अग्रवाल अपर मुख्य सचिव के अधीन काम कर रहे थे। भाजपा शासन में चर्चित और पावरफुल रहे उमेश अग्रवाल को तेजतर्रार और सख्त अफसर माना जाता है। अब राजस्व मंडल में किस तरह की छवि बनती है, देखते हैं।

अब कौन होगा दुर्ग रेंज का आईजी

1996 बैच के आईपीएस विवेकानंद सिन्हा पुलिस महानिरीक्षक से पदोन्नत होकर अब अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बन गए हैं। विवेकानंद अभी दुर्ग रेंज के आईजी हैं। सरकार ने पदोन्नति के बाद फिलहाल उन्हें दुर्ग रेंज का आईजी बनाए रखा है, लेकिन जल्द ही पुलिस मुख्यालय में उनकी पोस्टिंग की उम्मीद की जा रही है। 2003 बैच के आईपीएस का डीआईजी से आईजी पद पर प्रमोशन जल्द होना है। इसके बाद रेंज में आईजी की पोस्टिंग में परिवर्तन के आसार हैं। राज्य में आईजी स्तर के अफसरों की कमी है। बिलासपुर और सरगुजा रेंज रतनलाल डांगी देख रहे हैं। डॉ आनंद छाबड़ा आईजी रायपुर रेंज के साथ इंटेलिजेंस का काम भी देख रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि दुर्ग में किसी डीआईजी को आईजी बनाकर भेजा जा सकता है।

एयरपोर्ट रोड कामर्शियल होगा ?

चर्चा है कि सरकार कांग्रेस नेताओं के दबाव में एयरपोर्ट रोड को जल्द ही कामर्शियल करने जा रही है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने एयरपोर्ट रोड से लगे नकटी, अटारी और दूसरे गांवों में जमीन लेकर प्लाटिंग भी कर दिया है। कहते हैं कांग्रेस के एक पदाधिकारी के रिश्तेदार एयरपोर्ट रोड से लगे इलाके में बड़ी कालोनी लाने की प्लानिंग कर रहे हैं , उसके लिए सरकार सर्विस रोड से रास्ता खोलने पर विचार कर रही है , जबकि पिछली सरकार ने सर्विस रोड से किसी को इंट्री नहीं देने का नियम बनाया था।


(लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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