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कही-सुनी ( 31 JULY-22): छत्तीसगढ़ में राजनीतिक अनिश्चितता के बादल गहराए

रवि भोई की कलम से 


छत्तीसगढ़ में इन दिनों भले मौसम खुल गया है और चमकदार धूप लोगों को तरबतर कर रही है, लेकिन राजनीतिक बादल छटने का नाम नहीं ले रहे हैं। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग त्यागकर मंत्री टीएस सिंहदेव हाईकमान के आदेश की प्रतीक्षा में दिल्ली में जमे हुए हैं, उससे लग रहा है कि वे इस बार आरपार की लड़ाई के मूड में हैं। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत की दिल्ली यात्रा और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से भेंट के कार्यक्रम ने राज्य की राजनीति में तड़का लगा दिया है। वर्तमान में डॉ चरणदास महंत प्रदेश कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता हैं। डॉ. महंत संयुक्त मध्यप्रदेश के साथ केंद्र में भी मंत्री रह चुके हैं। इस बीच चर्चा चल पड़ी है कि सिंहदेव के पक्ष में कुछ विधायक एकजुट हो रहे हैं। विधायकों को एकजुट करने का काम एक मंत्री कर रहे हैं। वैसे राज्य के 61 विधायकों ने चिट्ठी सार्वजानिक करने के लिए टीएस सिंहदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर चुके हैं। उठापटक के कारण छत्तीसगढ़ में राजनीतिक बादल गहराता ही जा रहा है।  लोगों का मानना है कि भले कुछ दिन ऐसी अनिश्चितता बनी रहे, इस बार तो राज्य में कांग्रेस की दशा और दिशा दोनों ही साफ जाएगी और टीएस सिंहदेव का मामला भी साफ़ हो जाएगा।

अब सारा दारोमदार जामवाल पर

चर्चा है कि छत्तीसगढ़ भाजपा में नई रणनीति और बदलाव अब क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल पर निर्भर करेगा। छत्तीसगढ़  भाजपा के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री बनाए जाने के बाद अजय जामवाल दो अगस्त को रायपुर आ रहे हैं। जामवाल रायपुर में ही रहकर मध्यप्रदेश का भी काम देखेंगे। कहा जा रहा है कि कार्यभार संभालने के तत्काल बाद श्री जामवाल जिलों का दौरा करेंगे। जमीनी फीडबैक के आधार पर 2023 की चुनावी रणनीति बनाई जाएगी और प्रदेश भाजपा में बदलाव के संकेत हैं। वैसे माना जा रहा है कि  छत्तीसगढ़ में भाजपा चुनावी मोड  में आ गई है। प्रशिक्षण शिविर और अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से नेताओं और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का काम चल रहा है।

दीपक बैज का पत्ता कटा

कहते हैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में शामिल बस्तर के सांसद दीपक बैज का पत्ता एक आदिवासी नेता ने ही कटवा दिया। दीपक बैज को अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना देने से वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की दावेदारी से बाहर हो गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम का 29 जून को तीन साल का कार्यकाल पूरे हो जाने के बाद नए प्रदेश अध्यक्ष की सुगबुगाहट शुरू हुई। कहा जा रहा है कि  कुछ लोगों ने मोहन मरकाम की जगह दीपक बैज का नाम आगे किया, लेकिन प्रदेश की कमान मिलने से पहले ही उनकी धारा मोड़ दी गई। अब माना जा रहा कि मोहन मरकाम की पारी तो चलती रहेगी।

सरकार की बेरुखी से बौखलाए कर्मचारी

सरकार और कर्मचारियों का चोली -दामन का साथ होता है। बिना कर्मचारियों के सरकार की गाड़ी चलती नहीं है, फिर भी छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने इस बार राज्य के कर्मचारियों को कोई भाव नहीं दिया। इस बीच विधानसभा का मानसून सत्र भी निपटा लिया गया। प्रदेश के करीब साढ़े चार लाख कर्मचारी 25 से 29 जुलाई तक महंगाई भत्ता 34 फीसदी करने की मांग को लेकर हड़ताल पर रहे। इससे कामकाज ठप रहा। इसके बाद भी कर्मचारियों से न तो सरकार का कोई प्रतिनिधि बात करने आया और न ही अफसरों ने मध्यस्थता की, उलट हड़ताल अवधि का वेतन काटने का फरमान जारी हो गया। कहते हैं वेतन काटे जाने की खबर से कर्मचारियों का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया और कर्मचारियों ने झुकने की बजाय लड़ाई जारी रखने का फैसला कर लिया। खबर है कि तकरीबन 88 कर्मचारी संगठनों ने एकजुट होकर आगे चरणबद्ध हड़ताल का निर्णय लिया है। अब देखते हैं आगे हड़ताल का स्वरूप और प्रभाव क्या होता है?

कलेक्टर साहब निशाने पर

कहा जाता है कि प्रशासनिक अफसर सरकार की डोर से बंधे होते हैं और दलगत राजनीति से उन्हें कोई लेना-देना नहीं होता है, पर जिस पार्टी की सरकार होती है, उसके नेताओं और कार्यकर्ताओं को भाव तो मिल जाता है। इसे विरोधी दल के लोग मन मसोस कर स्वीकार भी कर लेते हैं, लेकिन पिछले दिनों महासमुंद भाजयुमो के लोग  इसके खिलाफ सड़क पर उतर आए और कलेक्टर साहब पर कांग्रेस के इशारे पर काम करने का आरोप लगा दिया। चर्चा है कि भाजयुमो नेताओं ने कलेक्टर कार्यालय पर कांग्रेस कार्यालय का पोस्टर चस्पा कर अपना गुस्सा इजहार किया। खैर यह समय-समय की बात है।

ट्रांसफर नीति का इंतजार

उम्मीद थी कि राज्य के कर्मचारियों के ट्रांसफर के लिए जुलाई के आखिर तक नई नीति आ जाएगी। भूपेश बघेल की सरकार ने ट्रांसफर नीति बनाने के लिए मंत्रियों की एक समिति बना दी है। मंत्री समिति की रिपोर्ट के आधार पर ट्रांसफर पर प्रतिबंध हटाने या जारी रखने का फैसला लिया जाना है। कहते हैं ट्रांसफर नीति पर विचार-विमर्श के लिए मंत्री समिति की बैठक टलती जा रही है। 27 जुलाई को विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के कारण बैठक की तारीख बढ़ गई। अब देखते कब तक  बैठक होती है और नई ट्रांसफर नीति जनता के सामने आती है। मंत्री-विधायकों से लेकर कई लोगों को नई ट्रांसफर नीति का इंतजार है।

मंत्री के साथ सचिव भी बदला

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का मंत्री टीएस सिंहदेव की जगह रविंद्र चौबे को बनाने के बाद सरकार ने सचिव भी बदल दिया। रेणु पिल्ले के स्थान पर सुब्रत साहू को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का एसीएस बनाया गया है। मनोज पिंगुआ को वापस वन विभाग मिल गया। सरकार ने शनिवार को मंत्रालय में पदस्थ आईएस अफसरों की पोस्टिंग बदली। इसमें डॉ. एस भारतीदासन, हिमशिखर गुप्ता, डॉ. अय्याज तंबोली और सारांश मित्तर का कद बढ़ाया गया। रायपुर कमिश्नर ए के टोप्पो को मंत्रालय में पदस्थ कर दिया गया। यशवंत कुमार को रायपुर कमिश्नर की जिम्मेदारी दी गई है।

बद्री नारायण मीणा का कद बढ़ा

2004 बैच के आईपीएस बद्री नारायण मीणा का कद बढ़ा दिया गया है। श्री मीणा अब दुर्ग रेंज के साथ रायपुर रेंज के भी आईजी होंगे। 2003 बैच के आईपीएस ओ पी पाल को पुलिस मुख्यालय में आईजी नक्सल आपरेशन बनाया गया है। रायपुर में पिछले कुछ महीने में चाकूबाजी और दूसरे अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। अब देखते हैं श्री मीणा इसे किस तरह रोकने में कामयाब होते हैं।

(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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