Close

ओलंपिक हॉकी में भारत ने जीता अपना 12वां मेडल, जाने भारत ने और किन ओलंपिक में जीते हैं पदक

भारतीय हॉकी टीम ने आज एक बार फिर बेहतरीन हॉकी का खेल दिखाते हुए जर्मनी को एक बेहद ही रोमांचक मुक़ाबले में 5-4 के अंतर से मात दे दी और ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया हैभारत ने 41 साल बाद ओलंपिक में हॉकी का मेडल जीता है.

इस से पहले भारत ने वासुदेवन भास्करन की कप्तानी में 1980 के मॉस्को ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था. इसके साथ ही ओलंपिक हॉकी में भारत के मेडल की संख्या 12 हो गई है. इनमें 8 गोल्डएक सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैंऐसा करने वाली भारत दुनिया की इकलौती हॉकी टीम है.

हॉकी में भारत ने अपना आखिरी मेडल 1980 के मॉस्को में ओलंपिक  में जीता थाउस साल कप्तान वासुदेवन भास्करन की अगुवाई में भारत ने गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया थाउसके बाद से अब तक का भारत का सबसे अच्छा प्रदर्शन 1984 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक में आया था.

जहाँ पुरुष हॉकी टीम पांचवें स्थान पर रही थीअब इस जीत के साथ ही 41 साल बाद भारत ने ओलंपिक हॉकी में अपने पदक का सूखा समाप्त कर लिया हैआइए जानते हैं भारत ने कब और किन किन ओलंपिक में हॉकी के मेडल अपने नाम किए हैं. 

भारत ने कब कब जीते हैं हॉकी के मेडल

भारतीय हॉकी में एक दौर ऐसा भी था जब पूरी दुनिया हमारा लोहा मानती थीउस दौर में हॉकी के जादूगर महान ध्यान चंद विपक्षी टीम के 11 खिलाड़ियों पर भारी पड़ते थेभारत ने 1928 से 1956 के बीच लगातार छह बार ओलंपिक हॉकी का गोल्ड मेडल अपने नाम किया थाइस दौर को भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग भी कहा जाता है.

भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक के हॉकी इवेंट में अपना  पहला गोल्ड मेडल साल 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक में जीता थामेजर ध्यानचंद ने इस पूरे ओलंपिक में अकेले सबसे ज्यादा 14 गोल दागेजबकि भारतीय टीम ने 5 मैचों में कुल 29 गोल किए थेइस साल फाइनल में भारत का सामना नीदरलैंड से हुआमेजर ध्यानचंद की शानदार  हैटट्रिक की बदौलत टीम इंडिया ने ये पहला गोल्ड मेडल अपने नाम किया थाखास बात ये है कि भारत के खिलाफ इस ओलंपिक में कोई भी टीम एक भी गोल दागने में सफल नहीं हो सकी थी.

इसके बाद भारत ने 1932 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक, 1936 के बर्लिन ओलंपिक, 1948 के लंदन ओलंपिक, 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक और 1956 के मेलबर्न ओलंपिक मिलाकर लगातार छह गोल्ड मेडल अपने नाम किए.

1960 के रोम ओलंपिक के फाइनल में भी बनाई जगह

भारत ने एक बार फिर 1960 के रोम ओलंपिक के फाइनल में भी जगह बनाई. हालांकि भारत लगातार अपना सातवां गोल्ड मेडल जीतने से चूक गया और उसे फाइनल में पाकिस्तान के हाथों 0-1 कार का सामना करना पड़ा. ये भारत का ओलंपिक में पहला और एकमात्र सिल्वर मेडल है.

1964 के टोक्यो ओलंपिक में भारत ने रोम के फाइनल की हार को भूलते हुएँ एक बार फिर जादुई हॉकी का प्रदर्शन कियाफाइनल में एक बार फिर उसके सामने पाकिस्तान की टीम थीभारत ने रोम ओलंपिक की हार का बदला लेते हुए इस मैच में पाकिस्तान को मात दी और ओलंपिक हॉकी का अपना सातवां गोल्ड मेडल जीत इतिहास रच दिया.

1968 के मेक्सिकों ओलंपिक में पहली बार फाइनल में नहीं पहुंचा भारत 

1968 के मेक्सिकों ओलंपिक में भारत को कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ाभारत का ये ओलंपिक हॉकी का पहला ब्रॉन्ज मेडल थासाथ ही 1928 के बाद से ये पहला ओलंपिक था जब भारत हॉकी के फाइनल में जगह नहीं बना पाया थासेमीफाइनल में भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा थाइसके बाद वेस्ट जर्मनी के खिलाफ हुए मैच में भारत ने जीत दर्ज कर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया थाइसके बाद 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में भी भारत को कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा था.

1976 के मांट्रीयल ओलंपिक भारतीय हॉकी के लिए बेहद खराब रहे थेये पहला मौका था जब टीम इंडिया नॉक आउट दौर से पहले ही बाहर हो गई थीसाथ ही 1928 के बाद से ऐसा पहली बार हुआ था कि भारतीय हॉकी टीम को ओलंपिक से ख़ाली हाथ लौटना पड़ा था.

1980 के मॉस्को ओलंपिक में एक बार फिर जीता गोल्ड 

हालांकि 1980 के मॉस्को ओलंपिक में भारत ने एक बार फिर शानदार वापसी की और फाइनल में स्पेन को हराकर ओलंपिक हॉकी का आठवां गोल्ड मेडल अपने नाम कियाये टोक्यो ओलम्पिक से पहले भारत का आख़िरी मेडल भी थाऔर अब 41 साल बाद भारत ने ब्रॉन्ज मेडल जीत हॉकी में अपने पदक का सूखा समाप्त कर लिया है.

गोल्ड मेडल– 1928, 1932, 1936, 1948, 1952,    1956, 1964, 1980

सिल्वर मेडल– 1960

ब्रॉन्ज मेडल1968, 1972, 2020

 

 

यह भी पढ़ें- विनेश फोगाट गोल्ड मेडल की रेस से बाहर, ब्रॉन्ज जीतने का मिल सकता है मौका

One Comment
scroll to top