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गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने कहा- ‘जीत के बाद गोल्ड मेडल सिरहाने रखकर सुकून से सोया’

टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने जेवलीन थ्रो में गोल्ड मेडल जीत इतिहास रच दिया. नीरज एथलेटिक्स में भारत के लिए ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं. नीरज ने कहा कि, टोक्यो पहुंचने के बाद पहले दो दिनों तक टाइम जोन में अंतर के चलते वो अच्छे से सो नहीं सके थे. लेकिन शनिवार को जीतने के बाद वो बेहद खुश थे और रात को गोल्ड मेडल सिरहाने पर रखकर वो सुकून से सोए.

अभिनव बिंद्रा के बाद व्यक्तिगत इवेंट में देश के लिए गोल्ड जीतने वाले नीरज दूसरे एथलीट हैं. गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने कहा, “मैंने अपना मेडल तकिए के पास रखा था. मैं अपनी जीत से बेहद खुश था लेकिन साथ ही मैं बहुत थका हुआ भी था. इसलिए शनिवार रात अच्छे से सो सका.”

साथ ही उन्होंने कहा, “मैं स्वीडन से सीधे टोक्यो पहुंचा था. दोनों ही जगह के टाइम जोन में बहुत ज्यादा अंतर है. यही वजह है कि शुरुआत के दो दिन मुझे सोने में काफी परेशानी हुई. लेकिन अब ये सब कोई मायने नहीं रखता है, क्योंकि अब मेरे पास मेडल है.”

जेवलीन थ्रो में नीरज की गोल्डन जीत के साथ ही ये ओलंपिक इतिहास में पहला मौका था जब ट्रैक एंड फील्ड स्टेडियम में भारत का नेशनल एंथम गूंजा. नीरज ने कहा कि, पोडियम के शिखर पर खड़े होकर अपने देश के नेशनल एंथम को सुनना एक बेहद ही अद्भुत और सुखद एहसास था. उन्होंने कहा, “ये एक बेहद अलग अनुभव था. ओलंपिक स्टेडियम में हमारा नेशनल एंथम बज रहा था. उस समय के माहौल और अपने अनुभव को मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता हूं.”

शनिवार को खेले गए जेवलीन थ्रो के इवेंट में नीरज चोपड़ा ने अपने पहले प्रयास में 87.03 मीटर तक की दूरी तय कर देश के लिए लगभग पदक पक्का कर लिया था. इसके बाद अपने दूसरे प्रयास में नीरज ने और बेहतर प्रदर्शन करते हुए 87.58 मीटर तक थ्रो किया जो कि अंत में गोल्ड मेडल थ्रो साबित हुआ. नीरज के अनुसार पूरे इवेंट के दौरान उनका टारगेट केवल गोल्ड मेडल जीतना था. उन्होंने कहा, “अपने पहले दो थ्रो के बाद मुझे पूरा यकीन था कि मैं मेडल जीत रहा हूं, लेकिन मेरा टारगेट गोल्ड मेडल था और इसलिए मैंने इस मुकाबले में अपना सौ प्रतिशत दिया. आखिरी थ्रो से पहले मुझे पता था कि मैं गोल्ड जीत चुका हूं उसके बाद का मेरा अनुभव बिल्कुल अलग था.”

 

 

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