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मंत्रियों ने कहा- अमर्यादित आचरण के लिए विपक्षी सांसदों पर हो कार्रवाई

सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप प्रत्यारोपों का दौर जारी है. आज कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने राज्यसभा में कुछ महिला सांसदों के साथ कथित धक्का-मुक्की की घटना को लेकर संसद भवन से विजय चौक तक पैदल मार्च किया. इस घटना को विपक्ष ने लोकतंत्र की हत्या करार दिया. विपक्ष के तेवर को देखते हुए केंद्रीय मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्ष पर कई आरोप लगाए. पढ़ें 10 बड़ी बातें-

1. संसद का मानसून सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित किए जाने के एक दिन बाद कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने आज राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात की. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और उपनेता मुख्तार अब्बास नकवी ने नायडू से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की.

2. इसके बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मॉनसून सत्र के दौरान संसद में जो हुआ, उसके लिए विपक्ष को देश से माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि विपक्ष का एकमात्र एजेंडा सड़कों से लेकर संसद तक अराजकता पैदा करना था.

3. वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस और उसके मित्र सहयोगियों ने संसद को नहीं चलने देने का पहले ही फैसला कर लिया था. हम मांग करते हैं कि राज्यसभा के सभापति को नियम तोड़ने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.

4. पीयूष गोयल ने कहा कि राज्यसभा में बुधवार को विपक्ष का आचरण संसदीय लोकतंत्र का निचला स्तर था. विपक्ष इस तथ्य को पचा नहीं पा रहा है कि देश ने उस पर भरोसा करना बंद कर दिया है. विपक्ष का ‘‘मेरे तरीके से नहीं तो किसी भी तरीके से नहीं’’ का रवैया बहुत निंदनीय है और देश भी ऐसे रुख की निंदा करता है. राज्य सभा के नेता गोयल ने कहा कि विपक्षी सांसदों के अमर्यादित आचरण एवं मर्शलों के साथ धक्का-मुक्की करने को लेकर उनके (विपक्षी दलों के सांसदों के) खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

5. वहीं विपक्षी दलों ने मार्च के बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात की. एनसीपी चीफ शरद पवार ने ट्वीट कर कहा, ”राज्यसभा में कल के हंगामे पर चिंता व्यक्त करने के लिए विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज माननीय उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने इस बैठक के दौरान सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के अलोकतांत्रिक व्यवहार की निंदा की.”

6. पवार ने कहा कि अपने 55 साल के संसदीय करियर में मैंने सदन में महिला सांसदों के प्रति इस तरह का व्यवहार कभी नहीं देखा. 40 से अधिक पुरुषों और महिलाओं को बाहर से सदन में लाया गया. यह दर्दनाक है. यह लोकतंत्र पर हमला है.

7. वेंकैया नायडू के साथ बैठक से पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में बैठक करने के बाद विपक्षी नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक पैदल मार्च किया. इस दौरान कई नेताओं ने बैनर और तख्तियां ले रखी थीं. बैनर पर ‘‘हम किसान विरोधी काले कानूनों को रद्द करने की मांग करते हैं’’ लिखा हुआ था.

8. विपक्षी नेताओं की बैठक में खड़गे, राहुल गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश एवं आनंद शर्मा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव, द्रमुक के टी आर बालू, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और कई अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए.

9. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘‘संसद सत्र पूरा हो चुका है. जहां तक देश के 60 फीसदी हिस्से की बात है तो उनके लिए यह कोई सत्र नहीं था क्योंकि इन 60 फीसदी लोगों की आवाज को दबाया गया, अपमानित किया गया और कल राज्यसभा में पीटा गया.’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हमने पेगासस मामले पर चर्चा की मांग की, सरकार ने इनकार कर दिया. हमने किसानों, महंगाई का मुद्दा संसद के बाहर उठाया क्योंकि अंदर नहीं उठा नहीं सकते. ”

10. सदन में सत्ता तथा विपक्ष के बीच गतिरोध को बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया. मायावती ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ देश की संसद तथा इसके उच्च सदन राज्यसभा में गत दिनों में सत्ता व विपक्ष के बीच गतिरोध में जो कुछ हुआ वह अति दुर्भाग्यपूर्ण है. मैंने अपने लंबे संसदीय जीवन में बहुत बार सत्ता व विपक्ष के बीच तीखी तकरार, तनाव व तीव्र विरोध आदि देखे हैं, किन्तु संसद में अब जैसा दृश्य कभी नहीं देखा.’’

 

 

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