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चारधाम यात्रा बंद होने से पर्यटन स्थलों की यात्रा कर रहे सैलानी, प्रकृति का ले रहे हैं आनंद

केदारघाटी (Kedar Ghati) के ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार हो रही बारिश (Rain) की वजह से मखमली बुग्याल बेहद खूबसूरत नजर आ रहे हैं. हिमालय (Himalayas) के आंचल में खूबसूरत बुग्याल इन दिनों विभिन्न प्रजातियों के फूलों से सजे हुए हैं. तीर्थयात्री और पर्यटक (Tourists) हिमालय के इन सुरम्य मखमली बुग्यालों और प्राकृतिक सौन्दर्य से रूबरू हो रहे हैं. पर्यटक चाहते हैं कि सरकार ((Government)) इन पर्यटन स्थलों (Tourist Places) का विकास करे, जिससे देश-विदेश के लोगों तक इन स्थलों की जानकारी पहुंच सके.

बता दें कि, वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण चारधाम यात्रा बंद होने से केदारघाटी सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रकृति प्रेमी इन दिनों त्रियुगी नारायण-पंवालीकांठा, चैमासी-मनणामाई-केदारनाथ, रांसी-मनणामाई, मदमहेश्वर-पाण्डवसेरा-नन्दीकुण्ड, बुरूवा-विसुणीताल पैदल ट्रैक का भ्रमण कर प्राकृतिक सौन्दर्य से रूबरू हो रहे हैं.

पर्यटक लक्ष्मण सिंह नेगी ने बताया कि मनणामाई तीर्थ मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव से लगभग 38 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य व मदानी नदी के किनारे विराजमान है. मनणामाई को भेड़ पालकों की अराध्य देवी माना जाता है. सावन मास में रांसी गांव से भगवती मनणामाई की डोली अपने धाम के लिए जाती है और पूजा-अर्चना के बाद डोली रांसी गांव को वापस लौटती है. मनणामाई तीर्थ यात्रा बहुत कठिन है और भक्त इसमें पूरे भाव के साथ शामिल होते हैं. थौली से लेकर मनणामाई तीर्थ तक सुरम्य मखमली बुग्यालों की भरमार है. इन दिनों सुरम्य मखमली बुग्यालों के अनेक प्रजाति के पुष्पों से सुसज्जित होने से प्राकृतिक सौन्दर्य अलग ही नजर आ रहा है.

पर्यटक लक्ष्मण सिंह नेगी ने बताया कि पटूड़ी से मनणामाई तीर्थ तक हर पड़ाव पर भेड़ पालक निवास करते हैं और 6 माहीने बुग्यालों में प्रवास करने वाले भेड़ पालकों का जीवन बड़ा कष्टकारी होता है. भेड़ पालकों के साथ रात्रि प्रवास करने में आनंद की अनुभूति होती है और भेड़ पालक बडे़ भाईचारे से आदर व स्वागत करते हैं. कालीमठ घाटी के चैमासी गांव से खाम होते हुए भी मनणामाई धाम पहुंचा जा सकता है और मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव से मनणामाई पहुंचने वाला पैदल मार्ग बहुत ही कठिन है.

मनणामाई तीर्थ की यात्रा कर लौटे लक्ष्मण सिंह नेगी, शंकर सिंह पंवार, दीपक सिंह ने बताया कि यदि केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग की पहल पर प्रदेश सरकार की तरफ से पैदल ट्रैकों को विकसित करने की कवायद की जाती है तो स्थानीय तीर्थांटन, पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ ही मनणामाई तीर्थ विश्व मानचित्र में अंकित हो सकता है. दल में शामिल मनीष असवाल ने बताया कि मनणामाई तीर्थ की यात्रा करने के लिए सभी संसाधन साथ ले जाने पड़ते हैं और ट्रैक रूटों पर बनी प्राचीन गुफाओं पर रात्रि गुजारनी पड़ती है. मनणामाई तीर्थ यात्रा करने से हर भक्त को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

 

 

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