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अफगानिस्तान के हालात पर भारत के उच्च स्तरीय समूह की नजर, अजीत डोभाल-जयशंकर समेत सीनियर अधिकारी शामिल

अफगानिस्तान से करीब 20 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद बनी स्थिति और भारत की प्राथमिकताओं पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अन्य अधिकारियों का समूह नजर रख रहा है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से मंगलवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश के बाद यह समूह नियमित तौर से बैठकें कर रहा है.

भारत की फौरन प्राथमिकताएं अफगानिस्तान से सभी भारतीयों की वापसी, नई दिल्ली के साथ खड़े रहने वाले अफगान लोगों को लाना इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना कि भारत के खिलाफ अफगानिस्तान की धरती का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न हो. सूत्रों ने बताया- अफगानिस्तान में बने हालात को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल में विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और अन्य अधिकारियों का एक समूह बनाने का निर्देश दिया था, जो भारत की प्राथमिकताएं पर नजर रख सके.

एक सूत्र ने बताया, ‘‘अफगानिस्तान में उभरती स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने हाल में निर्देश दिया कि एक उच्च स्तरीय समूह भारत की तत्काल प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करें. इस समूह में विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए नहीं हो, यह सुनिश्चित करने और वहां फंसे हुए भारतीयों की सुरक्षित वापसी, अफगान नागरिकों (विशेष रूप से अल्पसंख्यकों) की भारत यात्रा से संबंधित मुद्दों पर गौर किया जा रहा है.’’ सूत्रों ने यह भी कहा कि समूह अफगानिस्तान में जमीनी हालात और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं पर नजर रख रहा है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा पारित प्रस्ताव भी शामिल है.

अमेरिका ने दो दशकों से जारी जंग को खत्म करते हुए अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली है. मंगलवार सुबह अंतिम अमेरिकी उड़ान के साथ तालिबान ने काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को अपने नियंत्रण में ले लिया है. भारत की अध्यक्षता में अफगानिस्तान को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा जारी प्रस्ताव ‘स्पष्ट रूप से’ यह बताता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग किसी भी राष्ट्र को धमकाने, हमला करने, आतंकवादियों को शरण देने या प्रशिक्षित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

 

 

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