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10 सितंबर तक सुनवाई टली, SC ने कहा- फिलहाल किसी भी अकाउंट को NPA घोषित न किया जाए

नई दिल्ली: लोन मोरेटोरियम मामले की सुनवाई 10 सितंबर के लिए टल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल किश्त भुगतान न होने के आधार पर किसी भी एकाउंट को NPA घोषित न किया जाए.

आज की सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम मानते हैं कि जितने लोगों ने भी समस्या रखी, वह सही हैं. हर सेक्टर की स्थिति पर विचार ज़रूरी है. लेकिन बैंकिंग सेक्टर का भी ध्यान रखना होगा. बैंकिंग अर्थव्यवस्था की रीढ़ है.

उन्होंने कहा कि जब मोरेटोरियम योजना लाई गई तो मकसद यह था कि व्यापारी उपलब्ध पूंजी का ज़रूरी इस्तेमाल कर सकें. उन पर बैंक की किश्त का बोझ न हो. मकसद यह नहीं था कि ब्याज माफ कर दिया जाएगा. कोरोना के हालात का हर सेक्टर पर अलग असर पड़ा है. फार्मा, IT जैसे सेक्टर ने अच्छा प्रदर्शन भी किया है.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि हमारे सामने सवाल यह रखा गया है कि आपदा राहत कानून के तहत क्या सरकार कुछ करेगी? हर सेक्टर को स्थिति के मुताबिक राहत दी जाएगी?

मेहता ने कहा, ”6 अगस्त के RBI के सर्क्युलर में बैंकों को लोन वसूली प्रक्रिया तय करने की छूट दी गई है. एक कमिटी भी बनाई गई है, जो 6 सितंबर को रिपोर्ट देगी.”

इसके बाद बैंकों के समूह के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हर सेक्टर के लिए भुगतान का अलग प्लान बनाया जाएगा. उन्हें नया लोन भी दिया जाएगा. हमें लोन लेने वाले सामान्य लोगों के लिए भी सोचना है. उनकी समस्या उद्योग से अलग है. कोर्ट ने कहा कि एक तरफ मोरेटोरियम, दूसरी तरफ ब्याज पर ब्याज. दोनों साथ में नहीं चल सकते हैं.

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सर्क्युलर कहता है कि लोन रिस्ट्रक्चरिंग उसी की होगी, जिसका एकाउंट फरवरी तक डिफॉल्ट में नहीं था. फिर कोर्ट ने कहा कि यानी जिसने पहले डिफॉल्ट किया था. फिर लॉकडाउन में और ज़्यादा दिक्कत में आ गया. उसको कोई राहत नहीं दी जाएगी?

साल्वे ने कहा कि जिन्होंने पहले भी डिफॉल्ट किया था, वैसे लोग बैंक से अलग से राहत मांग सकते हैं. उन्हें कोविड वाली योजना का लाभ नहीं मिलेगा. कोर्ट ने कहा कि सब कुछ बैंक पर नहीं छोड़ा जा सकता. साल्वे ने कहा कि RBI एक कमिटी बनाए, जिसमें बैंकों के प्रतिनिधि हों.

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