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आज है त्रयोदशी (मघा) श्राद्ध, जानें श्राद्ध करने की विधि और महत्व

Pitru Paksha 2020: हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है. यह पितृ पक्ष हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है और समापन अमावस्या पर होता है. जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पितृ पक्ष सामान्य रूप से सितंबर महीने में पड़ता है. इस पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों या पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं.

पितृ पक्ष में पड़ने वाली अलग-अलग तिथियों का अपना अलग-अलग महत्व है. पितृ पक्ष की इन्हीं तिथियों में 15 सितंबर 2020 को त्रयोदशी या मघा श्राद्ध किया जाएगा. बता दें कि त्रयोदशी तिथि में उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि को हुई होती है और इसी तिथि के दिन घर के मृत बच्चों का भी श्राद्ध करने का विधान है.

हिन्दू पंचांग के मुताबिक त्रयोदशी तिथि के दिन जो श्राद्ध किया जाता है उसे मघा श्राद्ध भी कहा जाता है क्योंकि यह श्राद्ध मघा और त्रयोदशी तिथि के योग में पड़ता है. शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि मघा नक्षत्र में श्राद्ध करने से पद-प्रतिष्ठा, लक्ष्मी और वंश में बढ़ोत्तरी होती है.

मघा में श्राद्ध करने के लिए सबसे पहले अपने पितरों की फोटो को सामने रखकर उस पर सफ़ेद चन्दन का तिलक लगाकर चन्दन की ही माला चढ़ाना चाहिए. इस दिन इलायची, केसर, चीनी और शहद से बना हुआ खीर पितरों को चढ़ाना चाहिए.

इसके बाद कौआ, गाय और कुत्तों को प्रसाद खिलाने के बाद ब्राह्मणों को भी भोजन कराना चाहिए. इसके बाद खुद भोजन करना चाहिए. अगर संभव हो तो इस दिन किसी गरीब को भोजन कराना चाहिए और वस्त्र भी दान देना चाहिए.

श्राद्ध में रखनी चाहिए ये सावधानियां : पितरों के श्राद्ध के समय तामसिक भोजन, घर में किसी तरह का उत्सव, मांस-मदिरा का सेवन करना वर्जित किया गया है.

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