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कोरोना से पहले और बाद में देश के कुछ प्रमुख क्षेत्रों में क्या बदला है, जानिए

कोरोना वायरस महामारी की वजह से सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था ही नहीं लड़खड़ाई है. बल्कि दुनिया की आर्थिक महाशक्तियों को भी झटका लगा है और हर देश अब इस चोट से उबर रहा है. लेकिन हिन्दुस्तान कितना उबरा और कितना नहीं? ये जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने एक तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट की मदद से आप यह जान सकेंगे कि कोरोना से पहले और कोरोना के बाद हिन्दुस्तान के कुछ प्रमुख क्षेत्रों में क्या कुछ बदला है.

कोरोना ने चौपट की देश की अर्थव्यवस्था

कोरोना ने जब दुनिया में दस्तक दी तो आफत में सिर्फ जान ही नहीं आई, अर्थव्यवस्थाएं भी चौपट हो गईं और इसकी सीधी मार विकासशील देशों पर पड़ी. जिनमें भारत भी एक है. सरकार ने 2024-25 तक पांच ट्रिलियन इकोनॉमी का टारगेट रखा था, लेकिन उस लक्ष्य पर भी कोरोना का तगड़ा डेंट पड़ा. मजदूर घरों में बंद हो गए. उद्योगों पर ताले जड़ गए. छोटी फैक्ट्रियों पर तो ऐसा फंदा लटका की नौबत बोरिया-बिस्तर बांधने तक की आ गई.

कोरोना के बाद ‘पावर सेक्टर’ में आया बूम

लेकिन अब धीरे-धीरे ही सही लेकिन सारे सेक्टर्स कोरोना की मार से उबर रहे हैं. कम से कम कुछ क्षेत्रों से ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं और आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा बूम ‘पावर सेक्टर’ में आया है. कोरोना से पहले यानि अगस्त 2019 में पावर सेक्टर में 14.9 % की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. लेकिन अगस्ते 2021 में पावर सेक्टर ने रिकॉर्ड 17.1 % की बढ़ोतरी दर्ज की है.

अगस्त 2021 में 19.04 लाख करोड़ के ई-वे बिल जेनरेट हुए

सिर्फ पावर सेक्टर ही नहीं बल्कि दूसरे क्षेत्रों में भी अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं. सिर्फ अगस्त 2021 में 19.04 लाख करोड़ रुपये के ई-वे बिल जेनरेट किए गए हैं. जुलाई 2021 के हिसाब से इसमें 18.2 % बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अगस्त 2020 की तुलना में ये 37.4% ज्यादा है और कोरोना काल यानि अगस्त 2019 से पहले 33.9% ज्यादा है.

कोरोना के बाद मालगाड़ी ने भी पकड़ी रफ्तार

रेलवे, भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है, क्योंकि पैसेंजर्स से ज्यादा ये उत्पादों की ढुलाई करती है. कोरोना काल में ये भी ठप पड़ गई थी, लेकिन मालगाड़ी भी रफ्तार पकड़ रही है. अगस्त 2021 में रेलवे ने 11.05 करोड़ टन माल ढुलाई की है. जो अगस्त 2020 के मुकाबले 16.9 % ज्यादा है और तुलना अगर कोरोना से पहले यानि अगस्त 2019 से की जाए तो ये आंकड़ा 21.4% ज्यादा है.

रिकॉर्ड स्तर पर है UPI पेमेंट

आकंड़ों से इतर साफ,सुधरी और सीधी बात ये है कि अर्थव्यवस्था की सेहत तभी ठीक मानी जा सकती है. जब आम आदमी की जेब में पैसा हो. कोरोना काल में देश ने देखा कि कैसे गरीब भूख नहीं जेब में रखी रेजगारी के हिसाब से खा रहा था. लेकिन हालात धीरे-धीरे बदल रहे हैं. क्योंकि UPI पेमेंट रिकॉर्ड स्तर पर है. अगस्त 2021 में देश में ₹6.39 लाख करोड़ का UPI मोड से पेमेंट हुआ. UPI से जुलाई 2021 में ₹6.06 लाख करोड़ की पेमेंट हुई थी.

सरकारी खजाना भी भर रहा है

अब सरकारी खजाना भी भर रहा है. मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानि अप्रैल-जून 2021 में सरकार को 5.29 लाख करोड़ रुपये का टैक्स रेवेन्य मिला. जो वित्त विर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के मुकाबले 2.5 गुना ज्यादा है.

एफडीआई, एक्सपोर्ट, घरेलु खपत के रास्ते भी देश की आर्थिक हालत सुधर रही है और अर्थव्यवस्था को संजीवनी मिल रही है

 

 

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