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लोगों पर बढ़ा कर्ज का बोझ, 2020-21 की पहली तिमाही में 73.59 लाख करोड़ के मुकाबले अब 75 लाख करोड़

नई दिल्लीदेश में जानलेवा कोरोना वायरस के दस्तक देने के बाद से अर्थव्यवस्था सुस्त है. हालांकि अब धीरे धीरे हालात सुधर रहे हैं. इस बीच भारतीय स्टेट बैंक की शोध रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि भारत में कोरोना के बाद से लोगों पर कर्ज का बोझ काफी बढ़ गया है. अब घरेलू कर्ज बढ़कर 75 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो 2020-21 की पहली तिमाही में 73.59 लाख करोड़ रुपए था.

1.41 लाख करोड़ रुपए बढ़ा घरेलू कर्ज

शोध रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी के प्रतिशत के रूप में घरेलू कर्ज पहली तिमाही में घटकर 34 प्रतिशत रह गया है, हालांकि निरपेक्ष रूप से यह बढ़ा है.’ रिपोर्ट के मुताबिक निरपेक्ष रूप से वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में घरेलू कर्ज बढ़कर 75 लाख करोड़ रुपए हो गया, जो 2020-21 की पहली तिमाही में 73.59 लाख करोड़ रुपए था.

घरेलू कर्ज-जीडीपी दर अनुपात बढ़ा

कोविड-19 महामारी के चलते घरेलू कर्ज-जीडीपी दर अनुपात बढ़ गया है. बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार यह 2020-21 में तेजी से बढ़कर 37.3 प्रतिशत हो गया, जो 2019-20 में 32.5 प्रतिशत था. हाल में 2018 के लिए जारी भारत कर्ज और निवेश सर्वेक्षण (एआईडीआईएस) रिपोर्ट में कहा गया कि 2012 से 2018 के बीच ग्रामीण और शहरी परिवारों का कर्ज बढ़ा.

हालांकि रिपोर्ट के एक अनुमान के मुताबिक 2021-22 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में घरेलू कर्ज घटकर 34 प्रतिशत रह सकता है.

 

 

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